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तेजस्‍वी का सुशील मोदी पर हमला: लोगों को नून-रोटी नसीब नहीं, सुना रहे बिस्किट-केक की कहानियां

आर्थिक मंदी को लेकर उपमुख्‍यमंत्री सुशील मोदी के बयान पर तेजस्‍वी यादव ने जमकर तंज कसे हैं। साथ ही उन्‍हें सबसे बड़े कुतर्क मास्टर करार दिया है।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 02:06 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 10:13 PM (IST)
तेजस्‍वी का सुशील मोदी पर हमला: लोगों को नून-रोटी नसीब नहीं, सुना रहे बिस्किट-केक की कहानियां
तेजस्‍वी का सुशील मोदी पर हमला: लोगों को नून-रोटी नसीब नहीं, सुना रहे बिस्किट-केक की कहानियां

पटना [जेएनएन]। राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसद यादव (Lalu Prasad Yadav) के पुत्र व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) पर जमकर तंज कसे हैं। तेजस्वी ने अपने ट्वीट (Tweet) में उन्‍हें 'सबसे बड़ा कुतर्क मास्टर' बताया है। कहा है कि सुशील मोदी मंदी की वजह सावन-भादो को बताते हैं। अब वे जहां नून-रोटी (Salt and Bread) उपलब्‍ध नहीं, वहां बिस्किट व केक (Biscuit and Cake) की कहानियां सुना रहे हैं।

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विदित हो कि सुशील मोदी ने एक निजी टीवी चैनल के कार्यक्रम के दौरान देश में आ‍र्थिक मंदी (Economic Slow Down) से इनकार करते हुए कहा था कि केवल कुछ सेक्‍टर में सुस्‍ती है। पारलेजी (Parle G) के बिस्किट के दाम घटने की चर्चा करते हुए कहा कि बिहार में इसकी बिक्री बढ़ गई है। तमिलनाडु व केरल जैसे अमीर माने जाने वाले राज्‍यों में इसकी बिक्री घटी तो इसके पीछे कारण वहां लोगों द्वारा पेस्‍ट्री खाना शुरू करना हो सकता है।  पहले भी सुशील कुमार मोदी ने देश में आई आर्थिक मंदी के पीछे सावन-भादो को बताया था। तेजस्‍वी ने इसपर तंज कसे हैं।

अपने ट्वीट में तेजस्‍वी लिखते हैं कि पांच साल राज करने के बाद भी अफवाह महाशय (सुशील मोदी) कह रहे हैं कि बिहार गरीब राज्य है। नीतीश सरकार (Nitish Coevrnment) खुद अपनी विफलताएं स्वीकार कर अपनी नाकामी की अपनी ही जुबानी गवाही दे रही है। बिहार में लोगों को नून-रोटी नसीब नहीं हो रही है और ये महोदय टीवी पर बिस्किट-केक खाने की परिकथाएं सुना रहे हैं।

तेजस्‍वी ने कहा है, ''सबसे बड़े कुतर्क मास्टर सुशील मोदी कभी कहते हैं कि सावन-भादो की वजह से मंदी है। कभी कहते है पितृ पक्ष, कभी खरमास, कभी बाढ़-सुखाड़ तो कभी क़ानून व्यवस्था-प्राकृतिक आपदा की वजह से मंदी है। इनके बेतुके कुतर्कों का भावार्थ है कि युवा घबराए नहीं अगले 30 वर्ष में नौकरी मिल जाएगी।''


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