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टेक का तड़का : मतदान करते ही दूर हो जाएगी वोटर आइडी की गलती

विधानसभा चुनाव में 25 फीसद मतदान केंद्रों पर लैपटॉप-टेबलेट के अलावा स्मार्ट और एंड्रॉयड सेलफोन के जरिए चुनाव आयोग मतदाता सूची को दुरुस्त करेगा। आयोग ने इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर विकसित कराया है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2015 11:23 AM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2015 11:32 AM (IST)
टेक का तड़का : मतदान करते ही दूर हो जाएगी वोटर आइडी की गलती

पटना [रमण शुक्ला]। विधानसभा चुनाव में 25 फीसद मतदान केंद्रों पर लैपटॉप-टेबलेट के अलावा स्मार्ट और एंड्रॉयड सेलफोन के जरिए चुनाव आयोग मतदाता सूची को दुरुस्त करेगा। आयोग ने इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर विकसित कराया है।

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इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से संबंधित मतदान केंद्र और उससे संबद्ध मतदाताओं के ब्योरे की जानकारी तो मिलेगी ही, साथ में मतदान की अद्यतन स्थिति भी वेब-कास्ट होती रहेगी। इस तरह यह सॉफ्टवेयर मतदाता सूची में संशोधन के साथ मतदान की प्रक्रिया की निगरानी में भी मददगार होगा।

दरअसल, निर्वाचन आयोग मतदाता पहचान पत्रों (इपिक-कार्ड) को पूर्णतया त्रुटिरहित बनाने की मुहिम पर है। अभी पहचान पत्र में गलत नाम-पता के अलावा किसी अन्य व्यक्ति की फोटो लगे होने की शिकायत भी आम है। आयोग की योजना मतदान केंद्र पर ही इन त्रुटियों को दूर कर लेने की है। इसके लिए लैपटॉप-टेबलेट और एंड्रायड फोन मददगार होंगे।

इनके माध्यम से मतदान करने पहुंचे मतदाता द्वारा पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध कराए जाने पर तत्काल आंकड़ों में सुधार-संशोधन कर लिया जाएगा, साथ ही उनकी नवीनतम फोटो भी ले ली जाएगी। बाद में संशोधित आंकड़ों और फोटो के साथ मतदाताओं को नया पहचान पत्र जारी कर दिया जाएगा।

फिलहाल निर्वाचन आयोग ने शासन-प्रशासन से मौजूदा समय में उपलब्ध लैपटॉप और टेबलेट की संख्या और उपयोग करने वाले कर्मियों और अधिकारियों का ब्योरा तलब किया है।

चुनावी तैयारियों के मद्देनजर इन सबको प्रशिक्षित किया जाना है। आयोग मतदान केंद्रों पर तैनाती के अनुसार अधिकारियों को मतदाताओं से संबंधित विस्तृत ब्योरा उपलब्ध कराएगा। जिन मतदान केंद्रों पर केंद्रीय सुरक्षा बल (सीआरपीएफ) की तैनाती नहीं होगी, वहां लैपटॉप-टेबलेट और एंड्रॉयड सेलफोन निगरानी के हथियार होंगे।

संचार के इन हाईटेक उपकरणों में संबंधित सॉफ्टवेयर के माध्यम से मतदाताओं की डिजिटल फोटोग्राफी होती रहेगी और साथ में वेब-कास्टिंग भी। आयोग का मानना है कि वेब-कास्टिंग के जरिए मतदान केंद्रों पर मुख्यालय से नजर रखने में सहूलियत होगी। इस दौरान संवेदनशील और अति-संवेदनशील बूथों पर चुनाव आयोग की नजर रहेगी। ऐसे बूथों पर इंटरनेट की उपलब्धता सुनिश्चित करने की चुनौती है।

कैसे काम करेंगे उपकरण

मतदान कर्मी लैपटॉप-टेबलेट और स्मार्ट सेलफोन में संबंधित सॉफ्टवेयर के जरिए मतदाता सूची का मिलान कर जरूरत के अनुसार फोटो अपडेट करेंगे। इसके अतिरिक्त पहचान पत्र से जुड़ी अन्य त्रुटियां भी दूर की जाएंगी।

आमतौर पर कई बूथों पर ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) खराब होने की शिकायत और असामाजिक तत्वों के प्रवेश की खबर मिलती है। सॉफ्टवेयर जनित निगरानी प्रणाली के मार्फत प्रत्येक मतदान केंद्र की गतिविधियां चुनाव पर्यवेक्षक के माध्यम से आयोग की नजर में होंगी।


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