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Talat Aziz: तलत अजीज बोले- खेलता था क्रिकेट, मुंबई में आकर गायकी और अदाकारी में रम गया

बिहार दिवस के मौके पर पटना पहुंचे लोकप्रिय गजल गायक तलत अजीज ने राज्य से जुड़ी यादों को साझा किया। उन्होंने कहा कि 42 साल पहले बिहार से जो रिश्ता बना वो आज भी कायम है। यहां के बच्चों को वह ऑनलाइन गायकी भी सिखा रहे हैं।

By Jitendra KumarEdited By: Yogesh SahuPublished: Fri, 24 Mar 2023 12:14 AM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2023 12:14 AM (IST)
Talat Aziz: तलत अजीज बोले- खेलता था क्रिकेट, मुंबई में आकर गायकी और अदाकारी में रम गया
Talat Aziz: तलत अजीज बोले- खेलता था क्रिकेट, मुंबई में आकर गायकी और अदाकारी में रम गया

जागरण संवाददाता, पटना। मुंबई आया तो क्रिकेटर था लेकिन एक घटना ने मेरी गायकी और अदाकारी के क्षेत्र में रुचि बढ़ा दी। करीब 42 वर्षों से पटना के गांधी मैदान से रिश्ता रहा है।

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पूरे देश में यदि सबसे अधिक शो किया तो वह जगह बिहार है। बिहार दिवस पर पटना आए लोकप्रिय गजल गायक तलत अजीज से दैनिक जागरण के मुख्य संवाददाता जितेंद्र कुमार की बातचीत की तो कुछ ऐसी ही यादों का पिटारा खुल गया। यहां पढ़ें अजीज से हुई बातचीत के प्रमुख अंश।

प्रश्न: गजल गायिकी के क्षेत्र में कैरियर की शुरुआत कब की? प्रसिद्धि दिलाने में किसका योगदान रहा?

उत्तर: बचपन से क्रिकेटर था। मो. अजहरूद्दीन टीम में मेरे जूनियर खिलाड़ी थे। मध्यम गति के गेंदबाज के रूप में खेलता था, लेकिन एक घटना के कारण क्रिकेट की जर्सी उतारी और अकेले में रेडियो पर मेहंदी हसन को सुनने चला गया।

घर में गायकी का माहौल था तो किराना घराना से ताल्लुक रखने वाले समर खां मेरे उस्ताद बने। क्रिकेट मैदान में मेरे नेशनल कोच सुबह 4.30 बजे पांच मिनट में 1 किलोमीटर दौड़ाते थे। एक बार में 50 सीढ़ी चढ़ाते थे।

प्रश्न: वह कौन सी गजल जिसने पहचान दिलाई?

उत्तर: करीब 18 साल की उम्र में जगजीत सिंह से हैदराबाद में मुलाकात हुई थी। उनके साथ ही मेरा पहला एलबम 70 के दशक में होम आफ इंडिया मेलोडी एचएमवी पर रिकार्ड हुआ था। फिर गायकी का सिलसिला शुरू हुआ।

प्रश्न: पटना में कब से मंच साझा कर रहे और यहां का माहौल कैसा लगा?

उत्तर: बिहार में पहली बार पटना के गांधी मैदान में दशहरे के मौके पर 1980 में आया था। करीब 42 वर्षों से बिहार से रिश्ता है। राज्य के गोपालगंज की श्रुति करीब दो साल से मेरी आनलाइन शिष्या है।

करीब 65 बच्चे बिहार के हैं, जिनसे ऑनलाइन गायकी सीखता और सिखाता हूं। श्रुति को बिहार दिवस पर मंच साझा करने के लिए बुलाया है।

प्रश्न: पटना में दशहरा महोत्सव की कुछ पुरानी यादें साझा करना चाहेंगे?

उत्तर: बहुत यादगार पल था जब पहली बार 1980 में आया था। होटल मौर्या के अलावा कुछ नहीं था। एक कार्यक्रम में 10 बजे रात का समय तय था।

करीब 3.00 बजे तक कोई बुलाने नहीं आया तो मेरा हार्मोनियम बजाने वाला साथी सोने चला गया। करीब 4.30 बजे किसी ने दरवाजा खटखटाया।

खोला तो सामने खड़े आयोजक बोले, अब चलिए आपकी बारी है। मंच पर मैं चढ़ रहा था और पं. गुदई महराज उतर रहे थे।

पीठ ठोकर कहा जाओ महफिल जमा दिया है, अब तुम बटोर लो। पहले फिल्मी गाने के बाद शास्त्रीय संगीत होता था। सुबह 7.00 बजे तक हमने अपने प्रस्तुति दी थी।

प्रश्न: बदलते समय के साथ रैप का भविष्य क्या है?

उत्तर: कोई भी फन खराब नहीं है, बस ईमानदारी होनी चाहिए। मुझे गायकी के साथ एक्टिंग में बहुत मजा आता है। गुलमोहर में मनोज वाजपेयी और शर्मिला टैगोर के साथ एक फिल्म में काम किया है।


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