पटना लिटरेचर फेस्टिवलः दस्तावेजों के संग्रह में व्यक्तिगत स्तर पर भी लें रुचि
ज्ञान भवन में आयोजित पटना लिटरेचर फेस्टिवल में दस्तावेजों की महत्ता पर वक्ताओं ने प्रकाश डाला।
पटना, जेएनएन। साहित्य और कला का संरक्षण के लिए सरकार के भरोसे न रहकर निजी और व्यक्तिगत प्रयास भी होने चाहिए। हालांकि सरकार की ओर से कई तरह की कोशिशें हो रही हैं, पर हमारी परंपरा, संस्कृति, साहित्य और कला का फलक इतना विशाल है कि जब तक व्यक्तिगत और निजी संस्था के स्तर पर प्रयास नहीं होंगे, संरक्षण मुश्किल होगा।
साहित्य व कला का संरक्षण एवं नैतिक मूल्यों पर उसका प्रभाव विषय पर विमर्श के दौरान यह बात सामने आई। इस सत्र में शक्ति सिन्हा, विनोद भारद्वाज, व्यास जी एवं इम्तियाज अहमद सरीखे साहित्यकारों ने चर्चा में भाग लिया। व्यास जी ने कहा कि कई बार सरकार के स्तर पर हस्तक्षेप या संरक्षण को लेकर भी परंपरा या संस्कृति के नाम पर लोगों को आपत्ति हो जाती है। हालांकि दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन के लिए काफी कोशिशें हो रही हैं।
विमर्श के क्रम में ये बात भी सामने आई कि जागरूकता के जरिए लोगों को यह बताने की आवश्यकता है कि दस्तावेजों के संग्रहण में व्यक्तिगत स्तर पर भी रुचि लें। जैसे पंजी संग्रहण, जालान हाउस का संरक्षण और खुदा बक्श लाइब्रेरी के संवद्र्धन के लिए निजी प्रयास से शुरुआत हुई, वह उदाहरण है। उसी तरह हमें भी यादगार साहित्य से लेकर दस्तावेजों तक को संग्रहित और संरक्षित करना होगा। सत्र का संचालन अनीश अंकुर ने किया।