एके-47 के साथ झारखंड पुलिस के हत्थे चढ़ा था तबरेज
विरोधियों की गोली से ढेर हुआ मो. तबरेज आलम उर्फ तब्बू का अपराध जगत में काला इतिहास रहा।
पटना। विरोधियों की गोली से ढेर हुआ मो. तबरेज आलम उर्फ तब्बू का अपराध जगत में काला इतिहास रहा है। वर्ष 2004 में झारखंड की धनबाद पुलिस ने मुठभेड़ में उसे एके-47 के साथ दबोचा था। साथ में उसका साथी तनवीर आलम भी पकड़ा गया था। वहीं, पुलिस की गोलियों से उसका करीबी मारा गया था। यह घटना 29 जनवरी 2004 को हुई थी, जब वह सुल्तान के साथ धनबाद के वासेपुर के दबंग फहीम खान के घर पर हमला कर लौट रहा था।
सूत्र बताते हैं कि पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल तो भेज दिया, लेकिन एके-47 उसके पास कहां से आई? यह राज नहीं उगला। जमानत पर छूटने के बाद कुछ महीनों तक तबरेज ने भागलपुर के रिहायशी इलाके में एक नेता की शरण में छिपा रहा। इस दौरान वह झारखंड की गतिविधियों से जुड़ा रहा। मुंह बंद रखने के एवज में उसे मोटी रकम मिली थी, जिससे उसने बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में कई विवादित जमीनें खरीदीं और कब्जा करने लगा। फहीम और सुल्तान की अदावत से उसने अपना नाता तोड़ लिया। मामला ठंडा होने के बाद वह पटना लौट आया। झारखंड पुलिस की तफ्तीश में यह बात सामने आई थी कि हमले के वक्त तबरेज ही सुल्तान की टीम का नेतृत्व कर रहा था। उसने दर्जनों राउंड गोलियां चलाई थीं, जिसमें फहीम के रिश्तेदार समेत तीन राहगीर मारे गए थे। इस घटना पर आधारित फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' बनी थी।
तबरेज को हो सकती थी उम्र कैद की सजा :
धनबाद कोर्ट में इस कांड का ट्रायल चल रहा है। सितंबर, 2016 में फहीम खान ने कोर्ट में गवाही दी थी, जिसमें उसने तबरेज खान को मुख्य आरोपित बताया था। फहीम ने कहा था कि घटना की रात वह अपने साथी टुन्नू खान, शाहिद कमर, बाबू और आफताब के साथ बैठा था। सुल्तान के लोग गोलियों की बौछार करते उसके घर में घुसे। उसने पड़ोसी की छत पर कूदकर जान बचाई थी। इस दौरान उसने देखा कि वाहिद, तबरेज, तनवीर, शाहिद, मुन्ना मियां, पप्पू, असगर आलम सहित कई लोग फाय¨रग कर रहे हैं। तबरेज उनका नेतृत्व कर रहा था। शब्बीर के कहने पर हमला किया गया था। इसके लिए तबरेज को मोटी रकम मिली थी। कानून विशेषज्ञों के मुताबिक, फहीम और अन्य चश्मदीद गवाहों ने तबरेज की शिनाख्त कर ली थी। लिहाजा, कोर्ट उसे उम्र कैद की सजा सुना सकती थी।