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Swatantrata ke Sarthi: खुद शोषण का शिकार रहीं प्रतिमा आज औरों को बना रहीं सबल

पटना से सटे फुलवारीशरीफ के 10 से ज्यादा स्कूलों में बाल सांसद व मीना मंच के माध्यम से प्रतिमा छात्राओं को जागरूक कर रही हैं। जानें हौसला देते इनके जीवन की कहानी-

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 09:04 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 09:59 AM (IST)
Swatantrata ke Sarthi: खुद शोषण का शिकार रहीं प्रतिमा आज औरों को बना रहीं सबल
Swatantrata ke Sarthi: खुद शोषण का शिकार रहीं प्रतिमा आज औरों को बना रहीं सबल

नलिनी रंजन, पटना। खुद शोषण का शिकार रहीं प्रतिमा आज औरों को सबल बना रहीं हैं। फुलवारीशरीफ के 10 से ज्यादा स्कूलों में बाल सांसद व मीना मंच के माध्यम से छात्राओं को जागरूक कर रही हैं। वह संस्था खोल पटना व शेखपुरा जिले में किशोर-किशोरियों को अधिकार, कर्तव्य और संविधान का पाठ पढ़ा रही हैं। फुलवारीशरीफ व पुनपुन की लगभग तीन हजार से अधिक महिलाओं को सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। इनमें से एक सौ अधिक महिलाएं अब अपना सिलाई सेंटर खोल जीविका चला रही हैं।

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झेलना पड़ा मानसिक दबाव

पटना जिले के परसा बाजार निवासी 41 साल की प्रतिमा कुमारी बताती हैं, वर्ष 1995 में मैट्रिक करने के बाद ही उनकी शादी करा दी गई। उस समय उनकी उम्र महज 16 वर्ष थी। पारिवारिक स्थिति सही नहीं होने के कारण काफी मानसिक दबाव झेलना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। संघर्ष को अपना हथियार बनाया। वर्ष 2015 में मसौढ़ी कॉलेज से स्नातक और फिर 2019 में मिथिला विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की।

मिटाने में जुट गईं सामाजिक भेद

वह बताती हैं, कानून के ज्ञाता होने के बाद वह समाज से छुआछूत, बाल विवाह, ऊंच-नीच, लड़का-लड़की में भेद मिटाने में जुट गईं। उसके बाद 'संविधान लाइव' नामक संस्था खोलीं। इसके माध्यम से लोगों को अधिकार के प्रति जागरूक करने में जुट गईं। अब तक सैकड़ों लोगों को उनके अधिकारी और कर्तव्य के प्रति जागरूक कर चुकी हैं। 

छात्राएं फुटबॉल में मनवा रहीं लोहा

प्रेरणा बताती हैं, गांवों में लड़कियों को फुटबॉल खेलने से मना किया जाता है। कहा जाता है कि यह खेल लड़कों का है। इस भ्रम को दूर करने के लिए हमने स्कूलों में जाकर लड़कियों में फुटबॉल के प्रति रुचि पैदा करने का प्रण लिया। वर्ष 2015 से फुलवारीशरीफ के विभिन्न स्कूलों में जाकर छात्राओं को फुटबॉल खेलने के लिए प्रेरित कर रही हूं। इसी का परिणाम है कि आज फुलवारीशरीफ व आसपास के क्षेत्रों के 25 गांवों की 55 छात्राएं फुटबॉल खेल रही हैं। जिला के साथ ही राज्य स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं।


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