मिशन 2019: उपेंद्र कुशवाहा किसके साथ सस्पेंस का अब हो जाएगा द एंड, जानिए
उपेंद्र कुशवाहा पर राजग व महागठबंधन दोनों की नजरें हैं। एक-दो दिनों में उनकी अमित शाह से सीट शेयरिंग पर बातचीत हाेगी। इसके बाद कुशवाहा कहां जाएंगे, स्पष्ट हो जाएगा।
By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 09:58 PM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 07:31 AM (IST)
पटना [अरविंद शर्मा]। रालोसपा और राजद के शीर्ष नेताओं की पहले दौर की बात-मुलाकात के बाद दोनों को एक-दूसरे के अगले कदम का इंतजार है। अरवल में तेजस्वी से भेंट के बाद केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा आलाकमान ने दिल्ली तलब किया है। बिहार की सियासत और दोनों गठबंधनों के लिए अगले एक-दो दिन टर्निंग प्वाइंट साबित होंगे, क्योंकि इसी दौरान राजग में रालोसपा की हैसियत से पर्दा उठेगा। यह भी साफ हो जाएगा कि कुशवाहा कौन सी करवट लेने जा रहे हैं। साथ ही महागठबंधन का इंतजार भी खत्म हो जाएगा।
नागमणि की दो-टूक: हमें बेवकूफ न समझे भाजपा
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बुलावे पर कुशवाहा के दिल्ली रवाना होने से एक दिन पहले रालोसपा के कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि ने दो-टूक कह दिया कि हम ' ललबउआ' (बेवकूफ) नहीं हैं कि मात्र दो-तीन सीट पर ही मान जाएंगे।
नागमणि को अपने हिस्से की सीटों की गिनती से ज्यादा तकलीफ भाजपा के बराबर में जदयू के खड़े हो जाने से है। नागमणि के मुताबिक बिहार में उनके वोटरों की संख्या 10 फीसद से अधिक है, इसलिए उन्हें हैसियत के हिसाब से सम्मानजनक सीटें चाहिए। कितनी सीटें चाहिए, अमित शाह और कुशवाहा की मुलाकात से पहले नागमणि इसके बारे में कुछ भी नहीं बोलना चाहते।
राजद को भी कुशवाहा का इंतजार
बहरहाल, रालोसपा को जितनी बेचैनी लोकसभा की सम्मानजक सीटें लेकर अपनी प्रतिष्ठा बचाने से है, करीब उतनी ही बेकरारी राजद को भी अपना कुनबा बढ़ाने से है। तेजस्वी यादव के लिए अभी नहीं तो कभी नहीं के फॉर्मूले पर काम किया जाने लगा है। उन्हें लगता है कि कुशवाहा के आने से महागठबंधन की ताकत में इजाफा और राजग का जनाधार कमजोर हो जाएगा। राजद प्रवक्ता भाई वीरेंद्र इससे भी आगे की बात करते हैं। उनकी नजर अगले विधानसभा चुनाव पर है, जिसके लिए तेजस्वी के पक्ष में अभी से माहौल बन जाएगा।
नफा-नुकसान का आकलन
राजद-कांग्रेस और हम के स्तर पर कुशवाहा के संभावित आगमन के बाद के हालात का आकलन किया जाने लगा है। राजद के कुछ सहयोगी दल और कतिपय नेता नहीं चाहते कि महागठबंधन में कुशवाहा की एंट्री हो। उन्हें अपनी सीटें खोने का खतरा दिख रहा है। इसलिए अंदरखाने कुशवाहा के नकारात्मक पक्ष को भी उभारा जाने लगा है। ऐसे नेताओं में वे शामिल हैं, जिनकी सीटों पर रालोसपा की दावेदारी हो सकती है। कुशवाहा की महागठबंधन से करीब पांच से सात सीटों की अपेक्षा होगी।
हैसियत के साथ हौसला भी बढ़ा
तेजस्वी अपनी पूर्व निर्धारित संविधान बचाओ यात्रा पर निकल गए हैं तो कांग्रेस कुनबे में भी माथापच्ची शुरू हो गई है। राकांपा से अलग होकर सांसद तारिक अनवर के साथ आने के बाद बिहार में कांग्रेस को मजबूती मिली है। हैसियत बढ़ी तो हौसला भी बढऩा स्वाभाविक है। अब कांग्रेस को भी राजद के बराबर सीटें चाहिए। उसके तेवर से राजद के सामने नया और बड़ा संकट खड़ा हो गया है। कुशवाहा की अगर राजग से छुट्टी हो जाती है तो राजद-कांग्रेस के हिस्से की सीटों का सिमटना भी तय है।
नागमणि की दो-टूक: हमें बेवकूफ न समझे भाजपा
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बुलावे पर कुशवाहा के दिल्ली रवाना होने से एक दिन पहले रालोसपा के कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि ने दो-टूक कह दिया कि हम ' ललबउआ' (बेवकूफ) नहीं हैं कि मात्र दो-तीन सीट पर ही मान जाएंगे।
नागमणि को अपने हिस्से की सीटों की गिनती से ज्यादा तकलीफ भाजपा के बराबर में जदयू के खड़े हो जाने से है। नागमणि के मुताबिक बिहार में उनके वोटरों की संख्या 10 फीसद से अधिक है, इसलिए उन्हें हैसियत के हिसाब से सम्मानजनक सीटें चाहिए। कितनी सीटें चाहिए, अमित शाह और कुशवाहा की मुलाकात से पहले नागमणि इसके बारे में कुछ भी नहीं बोलना चाहते।
राजद को भी कुशवाहा का इंतजार
बहरहाल, रालोसपा को जितनी बेचैनी लोकसभा की सम्मानजक सीटें लेकर अपनी प्रतिष्ठा बचाने से है, करीब उतनी ही बेकरारी राजद को भी अपना कुनबा बढ़ाने से है। तेजस्वी यादव के लिए अभी नहीं तो कभी नहीं के फॉर्मूले पर काम किया जाने लगा है। उन्हें लगता है कि कुशवाहा के आने से महागठबंधन की ताकत में इजाफा और राजग का जनाधार कमजोर हो जाएगा। राजद प्रवक्ता भाई वीरेंद्र इससे भी आगे की बात करते हैं। उनकी नजर अगले विधानसभा चुनाव पर है, जिसके लिए तेजस्वी के पक्ष में अभी से माहौल बन जाएगा।
नफा-नुकसान का आकलन
राजद-कांग्रेस और हम के स्तर पर कुशवाहा के संभावित आगमन के बाद के हालात का आकलन किया जाने लगा है। राजद के कुछ सहयोगी दल और कतिपय नेता नहीं चाहते कि महागठबंधन में कुशवाहा की एंट्री हो। उन्हें अपनी सीटें खोने का खतरा दिख रहा है। इसलिए अंदरखाने कुशवाहा के नकारात्मक पक्ष को भी उभारा जाने लगा है। ऐसे नेताओं में वे शामिल हैं, जिनकी सीटों पर रालोसपा की दावेदारी हो सकती है। कुशवाहा की महागठबंधन से करीब पांच से सात सीटों की अपेक्षा होगी।
हैसियत के साथ हौसला भी बढ़ा
तेजस्वी अपनी पूर्व निर्धारित संविधान बचाओ यात्रा पर निकल गए हैं तो कांग्रेस कुनबे में भी माथापच्ची शुरू हो गई है। राकांपा से अलग होकर सांसद तारिक अनवर के साथ आने के बाद बिहार में कांग्रेस को मजबूती मिली है। हैसियत बढ़ी तो हौसला भी बढऩा स्वाभाविक है। अब कांग्रेस को भी राजद के बराबर सीटें चाहिए। उसके तेवर से राजद के सामने नया और बड़ा संकट खड़ा हो गया है। कुशवाहा की अगर राजग से छुट्टी हो जाती है तो राजद-कांग्रेस के हिस्से की सीटों का सिमटना भी तय है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें