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आयकर की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर तीन लाख की जाये: सुशील मोदी

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ नई दिल्ली में हुई बैठक में सुशील मोदी ने सुझाव दिया कि आयकर की सीमा 2.5 लाख से 3 लाख की जाए। साथ ही वित्तिय वर्ष 1 जनवरी से शुरू हो।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Thu, 18 Jan 2018 06:59 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jan 2018 06:06 PM (IST)
आयकर की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर तीन लाख की जाये: सुशील मोदी
आयकर की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर तीन लाख की जाये: सुशील मोदी

पटना [राज्य ब्यूरो]। राज्यों के वित्त मंत्रियों की गुरुवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई बजट पूर्व बैठक में बिहार की ओर से उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री सुशील मोदी ने मुख्य रूप से पांच अहम सुझाव दिए।

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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष पहली अप्रैल की जगह, पहली जनवरी से शुरू करने का प्रावधान करे। उन्होंने केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्रांश बढ़ाने, सभी तरह की सामाजिक पेंशन योजना की राशि में 500 रुपये की बढ़ोत्तरी करने, आयकर की सीमा बढ़ाने व आपदा राहत कोष से संबंधित अनेक सुझाव दिए।

उप मुख्यमंत्री ने आयकर की सीमा 2.5 लाख से बढ़ा कर 3 लाख करने, 80 सी के तहत आयकर छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ा कर 2 लाख करने, आयकर से छूट के लिए 10 लाख की ग्रेच्युटी की सीमा को बढ़ा कर 20 लाख रुपये करने और बिहार में चल रही रेल परियोजनाओं व प्रधानमंत्री पैकेज की योजनाओं को समय से पूरा करने के लिए आगामी बजट में पर्याप्त आवंटन देने समेत कई सुझाव दिए।

उन्होंने केंद्र प्रायोजित योजनाओं मसलन मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास व सड़क योजना व जीविका आदि में केंद्रांश बढ़ाने के साथ ही सड़कों की देखरेख पर अब तक जो सौ फीसद राशि राज्य को खर्च करनी पड़ती है, उसके लिए 60:40 का केंद्रांश-राज्यांश तय करने का सुझाव दिए। 

बाढ़-सुखाड़ व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से हर साल जुझने वाले बिहार के लिए उन्होंने आपदा प्रबंधन कोष को दोगुना करने, 14वें वित्त आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्र व राज्य के अंशदान को वर्तमान 75:25 की जगह 90:10 करने का भी सुझाव दिया। 

मोदी ने कहाकि कि केंद्रीय करों का हिस्सा जो राज्यों को अब तक प्रत्येक महीने की पहली तारीख को मिलता है उसे अब केंद्र तीन महीने पर 15 तारीख को देने का निर्णय करने जा रही है। इससे बिहार जैसे राज्यों को वेतन-पेंशन के भुगतान में काफी परेशानी होगी। इसलिए इस व्यवस्था को पूर्ववत रहने दिया जाए।


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