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सामाजिक कुरीतियों का खात्मा जन जागरुकता से संभव: सुशील मोदी

उपमुख्‍यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि सामाजिक कुरीतियों का खात्मा जन जागरुकता से ही संभव है। अच्‍छा होता कि राजद और कांग्रेस भी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ मानव श्रृंखला में शामिल होते।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sun, 21 Jan 2018 05:41 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jan 2018 11:43 PM (IST)
सामाजिक कुरीतियों का खात्मा जन जागरुकता से संभव: सुशील मोदी
सामाजिक कुरीतियों का खात्मा जन जागरुकता से संभव: सुशील मोदी

पटना [राज्य ब्यूरो]। उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि अच्छा होता कि राजद और कांग्रेस भी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ मानव श्रृंखला में शामिल होकर अपना समर्थन देते, मगर पिछले वर्ष जो लोग शराबबंदी के पक्ष में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ खड़े थे वे आज विरोध कर अभियान का मजाक उड़ा रहे हैं। पिछले वर्ष विपक्ष में होने के बावजूद भाजपा ने जहां मानव श्रृंखला में हिस्सा लिया था, वहीं शराबबंदी का भी पुरजोर समर्थन किया था।

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मानव श्रृंखला को सफल बनाने के लिए तमाम बिहारवासियों को हार्दिक धन्यवाद देते हुए सुशील मोदी ने कहा कि दहेज और बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है जिसका खात्मा केवल कानून से संभव नहीं है। 1872 में बंगाल के समाज सुधारक केशवचन्द्र सेन के प्रयास से स्पेशल मैरेज एक्ट बना था। इसके तहत शादी के लिए लड़की की उम्र 14 और लड़के की 18 वर्ष तय की गई थी।

57 वर्षों के बाद 1929 में शारदा एक्ट के जरिए लड़की और लड़का की शादी की उम्र में बढ़ोत्तरी कर 18 और 21 वर्ष कर दी गई। मगर केवल कानून बना देने मात्र से बाल विवाह पर रोक लग जाती तो करीब डेढ़ सौ वर्ष पहले बने कानून के बावजूद बिहार जैसे राज्य में आज भी सौ में 39 लड़कियां बाल विवाह का शिकार नहीं होती।

दहेज प्रथा बाल विवाह की मूल वजह है। बच्ची की उम्र ज्यादा होने पर दहेज देना पड़ेगा इसलिए लोग बाल विवाह कर देते हैं। वहीं बाल विवाह की वजह से ही शिशु मृत्यु और मातृत्व मृत्यु की दर भी आज इतनी अधिक है।

सामाजिक कुरीतियों का खात्मा कानून के साथ-साथ ऐसे ही जागरूकता अभियान के जरिए संभव है। कानून दंडित तो कर सकता है मगर हृदय परिवर्तन नहीं परंतु जब समाज जाग उठता है तो किसी भी प्रकार का सुधार व बदलाव संभव हो जाता है। सती प्रथा जैसी कुरीति का अंत भी केवल कानून से नहीं बल्कि सामाजिक जनचेतना से ही संभव हो पाई थी।


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