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सुशात प्रकरण में बेहतर होता जाच का काम सीबीआइ को दे दिया जाता

फिल्म अभिनेता सुशात सिंह राजपूत सूसाइड मामले तूल पकड़ता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 06:38 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 06:38 AM (IST)
सुशात प्रकरण में बेहतर होता जाच का काम सीबीआइ को दे दिया जाता
सुशात प्रकरण में बेहतर होता जाच का काम सीबीआइ को दे दिया जाता

पटना। फिल्म अभिनेता सुशात सिंह राजपूत सूसाइड मामले में मुंबई पुलिस की जाच और पटना में दायर प्राथमिकी को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। बिहार पुलिस की जाच टीम आरोप लगा रही है कि सुशात सिंह राजपूत सूइसाइड केस में मुंबई की पुलिस सहयोग नहीं कर रही है। दूसरी ओर महाराष्ट्र पुलिस और वहा की सरकार बिहार पुलिस के क्षेत्राधिकार से इसे बाहर का मामला बता रही है। आपराधिक मामलों के जानकार भी इस मुद्दे को लेकर एकमत नहीं दिखते हैं। इस कानूनी पेचीदगी को देखते हुए विधि विशेषज्ञों की राय में सबसे बेहतर माना गया कि सुशात सिंह राजपूत केस के संबंध में बिहार सरकार सीबीआइ जाच की सिफारिश कर देती। इससे जाच निष्पक्ष माना जाता। क्या कहते हैं कानून के विशेषज्ञ : बार काउन्सिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा से पटना में दायर एफआइआर को लेकर मोबाइल पर बात हुई तो उन्होंने बताया कि पटना के राजीव नगर थाने में दर्ज प्राथमिकी को अवैध नहीं माना जा सकता। यह एफआइआर सुशात के पिता केडी सिंह ने दायर की है। उन्हें निश्चित ही बाद में पूरे प्रकरण की जानकारी मिली होगी। यदि पूरी घटना की आशिक जानकारी भी उन्हें पटना में मिली तो वे एफआइआर दर्ज कर सकते हैं और बिहार पुलिस दूसरे राज्यों में जाकर जाच कर सकती है। मुंबई पुलिस का सहयोग न करना अपने आप में एक रहस्य हो सकता है। अगर घटना संगीन हुई है तो निश्चित ही निष्पक्ष जाच होनी चाहिए। सबसे बेहतर सीबीआइ जांच को ही माना जा सकता है। आपराधिक मामलों के जानकार वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा बताते हैं कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 166न् के तहत नियमत: बिहार पुलिस को मुंबई पुलिस को पहले सूचित करना चाहिए। यहा तक कि एक देश की घटना दूसरे देश में होती है तो दूसरे देश को पहले नोटिस दे कर तथ्यों की जानकारी दी जाती है। ठीक इसी तरह का मामला एक राज्य से दूसरे राज्यों के बीच होता है। यहा तक कि एक जिले की घटना दूसरे जिले में होती है तो दूसरे जिले में जाकर पुलिस वहां की पुलिस से सहयोग मागती है। तब जाकर यहा घटना की घटना पर वहां का अनुसंधान होता है। सुशात सिंह राजपूत सुसाइड मामले में बिहार पुलिस दबाब नहीं दे सकती है। आपराधिक मामलों के जानकार ऐव पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता अजय कुमार ठाकुर ने बताया कि पूरा मामला क्षेत्राधिकार पर निर्भर है। इस केस में अभी तक कोई एफआइआर दर्ज नहीं किया गया था। मुंबई की पुलिस केवल सुशात सिंह राजपूत के अप्राकृतिक निधन की प्रारंभिक जाच कर रही थी। इस एफआइआर के दर्ज के होने के बाद ही जाच शुरू हुई। नियमत: पटना पुलिस को मुंबई पुलिस द्वारा कागजात और अन्य साक्ष्य संबंधित जानकारी देनी चाहिए थी। जहा तक विवाद का सवाल है बेहतर होता कि सुशात सिंह राजपूत सुसाइड केस को सीबीआइ को ही सौंप दिया जाता।

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