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बालिका गृह कांड: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार औऱ CBI को नोटिस जारी किया

मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में पटना हाइकोर्ट द्वारा मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार औऱ सीबीआइ को नोटिस जारी किया है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 04:07 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 11:11 PM (IST)
बालिका गृह कांड: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार औऱ CBI को नोटिस जारी किया
बालिका गृह कांड: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार औऱ CBI को नोटिस जारी किया

पटना [जेएनएन]। मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की जांच पर मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और सीबीआइ को नोटिस जारी कर उसका जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर की गई याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की।

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बता दें कि बालिका गृह में नाबालिग बच्चियों के साथ कथित रूप से बलात्कार और यौन शोषण किया गया था।मामले के खुलासे के बाद इसकी जांच की जिम्मा सीबीआइ को सौंपा गया था। साथ ही पटना हाइकोर्ट जांच की मॉनिटरिंग कर रहा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वतः संज्ञान लिया था।

न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने राज्य सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो, जो इस कांड की जांच कर रहा है, से 18 सितंबर से पहले जवाब मांगा है और इस मामले में अब 18 सितंबर को आगे की सुनवाई होगी।

पीठ को सूचित किया गया कि पटना हाइकोर्ट ने 29 अगस्त को एक महिला वकील को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त किया है और उससे कहा है कि वह आश्रय गृह जाये जहां कथित पीड़ितों को रखा गया है और उनके पुनर्वास के इरादे से उनका इंटरव्यू करे।

शीर्ष अदालत ने इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त करने के हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही इस कांड की जांच की मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने के मामले पर भी गौर किया है। बता दें कि हाइकोर्ट के आदेश को पटना स्थित एक पत्रकार ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।

बता दें कि लंबे समय से आश्रय गृह की महिलाओं से कथित बलात्कार और यौन शोषण के कारण सुर्खियों में आये मुजफ्फरपुर के इस आश्रय गृह का संचालन एक गैर सरकारी संस्था करती है, जो जांच के घेरे में है।

टिस द्वारा इस संस्था के सोशल आॅडिट के दौरान इस मामले का खुलासा हुआ था और बिहार के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गयी टिस की सोशल आॅडिट की रिपोर्ट में पहली बार लड़कियों के कथित यौन शोषण की बात सामने आयी थी। 


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