चाय की चुस्कियों के साथ पीयू के छात्रों ने बताई अपनी पसंद, ये है उनका चुनावी मुद्दा
पटना विश्वविद्यालय के छात्र शिक्षा को लोकसभा चुनाव का मुख्य मुद्दा मानते हैं। उनका कहना है कि अगर नेता छात्रों के बारे में नहीं सोच रहा तो वो जमीनी स्तर पर बात नहीं कर रहा।
जयशंकर बिहारी, पटना। छात्र संघ को एेसे ही मिनी संसद नहीं कहा जाता। यहां पढ़ाकुओं की चर्चा मंझे हुए नेता से कम नहीं। ये वादों और इरादों के अंतर में फर्क माप लेते हैं। पटना विश्व विद्यालय के दरभंगा हाउस में गुरुवार की दोपहर सामान्य दिनों की तरह थी। अंतर बस इतना था कि क्लास छूटने के बाद कालू की दुकान पर चाय की चुस्की और काली मंदिर घाट पर कोर्स की दुश्वारियों के साथ-साथ लोकसभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टियों और गठबंधनों के पैंतरे पर हंसी-ठिठोली के साथ नोकझोंक आम थी। कैमरे की फ्लैश चमकते ही छात्र-छात्राओं की टोली चौकन्ना होकर पूछती है- प्रेस से हैं क्या? छपेगा भी क्या?
कैसे बने विश्व गुरु जब शिक्षा नहीं है मुद्दा
कैमरा बैग में रखते ही राजनीतिशास्त्र विभाग के संजीव ने विभिन्न छात्र संगठनों से जुड़े साथियों से कहा : बताओ न, शिक्षा कहां है मुद्दा। कोई दल जमीनी बात नहीं करता है। देश की शिक्षा व्यवस्था कैसे दुरुस्त होगी। इस पर किसी दल का बयान नहीं आया है। उसकी बात का समर्थन करते हुए अंकिता बोलती है, इन लोगों का सॉफ्टवेयर हैंग है। सभी रटी-रटाई सुनाकर पका देंगे। शांत रहो। इसी बीच रितेश ने आकर कहा, आप बैठ गए। कुछ पूछिएगा नहीं। मतलब, देश का प्रधानमंत्री कैसा हो, कौन नेता भारत को विश्वगुरु बनाएगा, फेंकू या पप्पू आदि। जवाब नहीं मिलने पर कहा, गुस्सा गए क्या सर?
प्रत्याशी-पार्टी दोनों पर रहेगी नजर
राजनीतिशास्त्र विभाग के अभिनव कुमार का कहना है कि पटना विश्वविद्यालय जिंदा कैंपस है। साधारण घटना पर यहां वाद-विवाद होता है। अभी तो लोकसभा चुनाव ही है। हिंदी विभाग की आराधना कहती हैं, प्रत्याशी और पार्टी दोनों को ध्यान में रखकर मतदान करूंगी। अंग्रेजी विभाग के शंकर का कहना है कि लोकसभा चुनाव को लेकर अभी गर्मागर्म चर्चा नहीं हो रही है। पटना विश्वविद्यालय के कई शिक्षक व छात्रनेता चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। उनकी सूची फाइनल हो जाने पर तापमान जेठ जैसा हो जाएगा।
सीटों में ही उलझ गए हैं नेता
रितेश ने कहा, मारपीट भी होगा का। लोकसभा चुनाव के बाद सितंबर में छात्रसंघ चुनाव में होगा। सभी एक साथ हंस पड़े। चाय की चुस्की के साथ एबीवीपी के आशीष चुटकी लेते हैं, महागठबंधन में तो चुनाव बाद सीट का बंटवारा फाइनल होगा। इस पर छात्र राजद के चंदन ने कहा कि काठ की हांडी दोबारा नहीं चढ़ेगी। हम के भीम सिंह उसे रोकते हुए बोले, एनडीए के नेता मनमाफिक सीट नहीं मिलने का रोना रो रहे हैं। अभिषेक सिंह कहते हैं, बालाकोट का सबूत मांगने वालों को करारा जवाब मिलेगा। इस पर राहुल ने कहा प्रत्यक्षं किम प्रमाणं!