छोटी-छोटी उपलब्धियों में खुशी तलाशने से दूर होगा तनाव
वैश्विक स्तर पर आत्महत्या मृत्यु के 10 सबसे प्रमुख कारणों में एक है।
पटना। वैश्विक स्तर पर आत्महत्या, मृत्यु के 10 सबसे प्रमुख कारणों में एक है। पूरे विश्व में हर साल 10 लाख लोगों की मृत्यु आत्महत्या के कारण होती है। अत्यधिक प्रतिस्पर्धा का भाव तथा ऊंची आकाक्षा पूरी नहीं होने पर इंसान अक्सर तनाव का शिकार हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में चिकित्सक की सलाह आवश्यक होती है। छोटी- छोटी उपलब्धियों में खुशी की तलाश करने से इंसान तनाव से बचा रहता है तथा मानसिक रूप से स्वस्थ एवं संतुष्ट महसूस करता है। ये बातें राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने गुरुवार को मगध महिला महाविद्यालय में मानसिक स्वास्थ्य पर एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान कहीं।
कार्यशाला की शुरुआत बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार, मानसिक स्वास्थ्य के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. एनके सिन्हा एवं आइजीआइएमएस के मानसिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार, महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. शशि शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर किया।
मानसिक चिकित्सकों की कमी दूर करने पर ध्यान
छात्राओं को संबोधित करते हुए कार्यपालक निदेशक ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सा एवं सेवा में चिकित्सक एवं प्रशिक्षित परिचारिकाओं की कमी को देखते हुए बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने नई पहल की है। ऐसे सामान्य चिकित्सक जिनकी योग्यता कम से कम एमबीबीएस हो एवं परिचारिका जिनकी योग्यता कम से कम जीएनएम हो, उन्हें निमहास बेंगलुरु के कुशल प्रशिक्षकों द्वारा मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सा एवं सेवा में ऑनसाइट एवं 11 माह का ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अभी तक निमहास, बेंगलुरु में कुल 21 सामान्य चिकित्सक, 10 क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं 29 परिचारिकाओं को मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सा एवं सेवा में प्रशिक्षण दिया गया।
11 जिलों में चल रहा मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम
इस अवसर पर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (मानसिक स्वास्थ्य) डॉ. एनके सिन्हा ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2015 में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वप्रथम राज्य के 11 जिले बाका, वैशाली, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, कैमूर, बक्सर, रोहतास, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया एवं जमुई में किया गया है। 2019-20 में 20 अन्य जिले गया, भागलपुर, अररिया, बेगूसराय, कटिहार, खगड़िया, किशनगंज, मधेपुरा, मधुबनी, समस्तीपुर, सरन, शेखपुरा, सीतामढ़ी, सिवान, सुपौल, औरंगाबाद, नवादा एवं मुंगेर में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित किया जाना है। इसके लिए जिला स्तर पर जिला अस्पताल में ओपीडी एवं काउंसलिंग की व्यवस्था के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य संबंधी औषधियों की भी उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है एवं इस कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाली अन्य सुविधाओं के लिए सरकार प्रयासरत है।
11 जिलों में चार साल में 46 हजार लोगों का इलाज
डॉ. सिन्हा ने बताया कि 11 जिले के मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में वर्ष 2015 से जून 2019 तक कुल 45745 मानसिक रोगियों की पहचान की गयी एवं इन सभी को परामर्श के साथ-साथ उपचार भी किया गया। इस अवसर पर राज्य स्वास्थ्य समिति के अधिकारीगण एवं महाविद्यालय की शिक्षिकाओं के अलावा महाविद्यालय की छात्राएं उपस्थित थीं।
इस परेशानियों को न करें नजरअंदाज
हमेशा दुखी, तनावग्रस्त, खालीपन, निराश महसूस करना, अपराधबोध से ग्रसित होना और स्वयं को नाकाबिल समझना, आत्महत्या का विचार आना, लगातार चिड़चिड़ापन, स्फूर्ति में कमी और थकान महसूस करना, सेक्स के प्रति अनिच्छा, भूख कम या अधिक लगना, किसी से बात करने का मन नहीं होना और अकेले रहने की इच्छा, एकाग्रता और याददाश्त में कमी, निर्णय लेने में परेशानी, अकारण सिर दर्द, पाचन में कमी और शरीर में दर्द।