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कोरोना के दौर में सामने आई फिल्‍मों जैसी कहानी, अचानक दरवाजे पर खड़ा मिला चार साल से लापता बेटा

कोरोना संकट का एक आफ्टर इफेक्‍ट यह भी है। बिलकुल बॉलीवुड फिल्‍मों की तरह। चार साल से लापता बेटा जब अचानक घर पहुंचा तो मां-बाप की खुशी की कल्‍पना की जा सकती है।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 11:10 AM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 11:01 PM (IST)
कोरोना के दौर में सामने आई फिल्‍मों जैसी कहानी, अचानक दरवाजे पर खड़ा मिला चार साल से लापता बेटा
कोरोना के दौर में सामने आई फिल्‍मों जैसी कहानी, अचानक दरवाजे पर खड़ा मिला चार साल से लापता बेटा

पटना/ सारण, जागरण टीम। CoronaVirus: कोरोना का कहर किसी परिवार के लिए गुड न्‍यूज (Good News) भी लेकर आएगा, ऐसा शायद ही किसी ने सोचा हो। लेकिन बिहार में ऐसा हुआ है। बिहार के सारण जिला में एक बूढ़े-मां-बाप को उनका खोया बेटा कोरोना के कारण ही मिल सका है। बीते चार साल से लापता वह युवक जब अचानक घर लौटा तो परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

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चार साल बाद घर लौटा बेटा, मर गया मान चुके थे मां-बाप

ऐसी कहानियां हम बीते जमाने की बॉलीवुड फिल्‍मों (Bollywood films) में खूब देखते रहे हैं। लेकिन रील लाइफ (Reel life) की यह कहानी बिहार के सारण स्थित भेल्दी थाना स्थित मित्रसेन गांव की हकीकत (Reality) है। वहां स्थित अपने घर से चार साल पहले लापता अजय कुमार (Ajay Kumar) को लेकर जब उत्‍तर प्रदेश (UP) पुलिस पहुंची तो सभी के आश्‍चर्य का ठिकाना नहीं रहा। घर वाले तो उसे मृत (Dead) मानकर अंतिम संस्‍कार तक कर चुके थे। लेकिन अजय तो जिंदा (Alive) सामने खड़ा था।

जानिए क्‍या है पूरा मामला

चलिए, अब मामला समझते हैं। घर से लापता (Missing) होने के बाद अजय भटकता हुआ यूपी के बाराबंकी (Barabanki) चला गया था। वहां एक अपराध (Crime) के सिलसिले में उसे साल 2017 में जेल हो गई। उसने इसके बाद घरवालों से कोई संपर्क नहीं किया। वहां उसे जमानतदार (Bailer) नहीं मिला, यहां घरवाले उसे खोजकर हार गए। बीतते वक्‍त के साथ उसके वापस आने की उम्‍मीद कम होती गई। घरवालों ने मरा मानकर उसका श्राद्धकर्म कर दिया। इस बीच कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के कारण कोर्ट (Court) ने कुछ कैदियों (Prisoners) को पैरोल पर रिहा किया। इन कैदियों में अजय भी था। फिर, यूपी पुलिस उसे लेकर उसके घर पहुंची।

गांव वाले बोले- फिल्‍मी कहानी सच होने जैसा मामला

चार साल पहले बिछुड़े अजय को इस तरह सामने देखना परिवार वालों के लिए अविश्‍वसनीय लगती हकीकत थी तो गांव वालों के लिए यह किसी फिल्‍मी कहानी का सच होना। भेल्‍दी थाना क्षेत्र के सुरेश प्रसाद, रंजन यादव व संजय आदि अजय की इस कहानी की चर्चा करते हुए कहते हैं कि कोरोना ने ही उसे घर तक पहुंचा दिया।

लॉकडाउन के बाद पिता देखेंगे क्‍या है मामला

अजय के पिता बाबू लाल दास कहते हैं कि कोरोना संकट (Corona Crisis) के बाद वे बाराबंकी जाकर मुकदमे का पूरा मामला समझेंगे। मुकदमे में अपना पक्ष नहीं रख पाने तथा जमानत नहीं होने के कारण वह इतने दिनों तक जेल में रहा। परिवार वालों ने बताया कि अजय मानसिक रूप से बीमार है। वह पहले भी घर से भागता रहा था, लेकिन इस बार का मामला अलग निकला।


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