गांधी सेतु के पश्चिमी लेन वाले सुपर स्ट्रक्चर निर्माण का स्टील बदला, प्रोजेक्ट पर पड़ेगा असर
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 19 से जुड़े महात्मा गांधी सेतु के सुपर स्ट्रक्चर निर्माण में लगने वाले स्टील को बदल दिया गया है। स्टील के बदले जाने से सेतु के निर्माण में अब ज्यादा समय लगने की संभावना है।
पटना [जेएनएन]। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 19 से जुड़े महात्मा गांधी सेतु के सुपर स्ट्रक्चर निर्माण में लगने वाले स्टील को बदल दिया गया है। यह बड़ा फैसला सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के प्रोजेक्ट ऑथोरिटी इंजीनियर स्तर से लिया गया है। ई-410 क्वालिटी मानक वाले स्टील से अब सेतु के पश्चिमी लेन वाले सुपर स्ट्रक्चर का निर्माण होगा। अब तक 70 डब्लू क्वालिटी मानक वाले वेद¨रग यानी जंगरोधी स्टील से यह निर्माण होना था।
सेतु प्रमंडल गुलजारबाग के कार्यपालक अभियंता सुनील कुमार ¨सह ने बताया कि सेतु के पाया संख्या 28-29 पर पश्चिमी लेन को काटने का काम इफ्कॉन कंपनी द्वारा जारी है। इस लेन के सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण का स्टील बदल जाने से अब इसकी डिजाइन व अन्य चीजों में भी बदलाव करना होगा। इसके लिए ड्राइंग बनाने और मंत्रालय से स्वीकृति पाने तक में समय लगेगा। स्टील बदले जाने की स्वीकृति से जुड़ा दिनांक 12 अप्रैल 2018 पत्र विभाग को अभी प्राप्त हुआ है। बदले गए स्टील में जंगरोधी स्टील के अपेक्षाकृत गुणवत्ता में कई बड़े अंतर हैं।
46 पायों में से केवल 27 का सुपर स्ट्रक्चर कटा, लेट होगी योजना
महात्मा गांधी सेतु के पाया संख्या एक से 46 में से एक से 27 तक के सुपर स्ट्रक्चर को ही काटा जा सका है। इस स्ट्रक्चर को काटने के लिए कंप्यूटर से संचालित होने वाली तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। कई विदेशी मशीनें लगाई गई हैं। अभी 19 पायों के सुपर स्ट्रक्चर को काटने का काम अभी बाकी है। योजना के मुताबिक मई 2019 तक पश्चिमी लेन के कटे स्ट्रक्चर की जगह स्टील का स्क्टचर तैयार कर लिया जाना है। तकनीकी विशेषज्ञों की मानें तो इस काम के पूरा होने में केवल एक साल बचा है जबकि स्टील में बदलाव कर स्वीकृति की मुहर अभी-अभी लगी है। ऐसे में सेतु के पश्चिमी लेन के निर्माण में देरी होने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि निर्माण कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर का दावा है कि वह तय समय सीमा इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लेंगे।
फेबरीकेटर से एक माह में मिलेगा एक स्पैन का स्ट्रक्चर
तकनीकी विशेषज्ञों की मानें तो स्टील बदलने के बड़े फैसले से पूरे प्रोजेक्ट पर असर पड़ सकता है। बदले स्टील का ऑडर दिए जाने के बाद सुपर स्ट्रक्चर के फेबरीकेशन का काम शुरू होगा। इसमें देश की कई बड़ी कंपनियों से मदद ली जाएगी। ऑडर मिलने के करीब तीन माह बाद स्टील के सुपर स्ट्रक्चर की पहली खेप पहुंचेगी। इसके बाद प्रत्येक माह में बमुश्किल एक स्पैन यानी 121 मीटर सुपर स्ट्रक्चर का निर्माण हो पाएगा। ऐसे में गांधी सेतु के एक से 46 तक के पायों के लिए सुपर स्ट्रक्चर का निर्माण करने में तीन साल से अधिक समय लगने की संभावना है।
लाखों लोगों की गहराएगी मुसीबत
गांधी सेतु का पश्चिमी लेन निर्माण कार्य को लेकर एक साल से पूरी तरह बंद है। पांच किलोमीटर लंबे पूर्वी लेन की ¨सगल सड़क से वाहनों की आवाजाही हो रही है। हर दिन उत्तर बिहार से राजधानी की ओर आने और इधर से जाने वाले वाहनों की संख्या 20 हजार से अधिक होती है। सेतु पर हर दिन लग रहे जाम की समस्या गहराती ही जा रही है। ऐसे में स्टील के सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण में देरी होने से लाखों लोगों की मुसीबत और गंभीर होने की पूरी संभावना है। पश्चिमी लेन का निर्माण हो भी गया तो इसके बाद पूर्वी लेन को काटने और बनाने में कई साल लग जाएंगे। यूं कहें कि गांधी सेतु वाहनों एवं यात्रियों के लिए मुसीबत का सेतु अगले कई सालों तक के लिए बन चुका है।