Bihar Election 2020 Result: 70 में से 51 सीटों पर हार का ठीकरा प्रदेश कांग्रेस ने महागठबंधन के सहयोगी दलों पर फोड़ा, पार्टी में हो सकते हैं बड़े बदलाव
Bihar Election 2020 Result आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस से हार की वजह पर रिपोर्ट मांगी। प्रदेश कांग्रेस ने कहा- हार की वजह महागठबंधन के सहयोगियों का दबाव भी जिम्मेदार है। हार की समीक्षा के बाद प्रदेश कांग्रेस को बड़े बदलाव से दो-चार होना पड़ सकता है। जानिए पूरा मामला ।
पटना, राज्य ब्यूरो । Bihar Election 2020 Result: बंगाल और उत्तरप्रदेश चुनाव के पूर्व बिहार चुनाव में बड़ी पराजय ने कांग्रेस की बनी-बनाई रणनीति पर पानी फेर दिया है। इस हार के बाद जहां एक ओर प्रदेश स्तर पर राजद-कांग्रेस संबंधों में खटास है तो दूसरी ओर यह चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि जल्द ही बिहार कांग्रेस को बड़े बदलाव से दो-चार होना पड़ सकता है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से बिहार प्रभारी से चुनाव की रिपोर्ट तलब किए जाने के बाद से यह चर्चा जोर पकड़ रही है। इधर, कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने कहा कि पार्टी को इस बात की भी समीक्षा करनी चाहिए कि किस दबाव में पार्टी ने उन सीटों पर चुनाव लडऩा स्वीकार किया जहां से कभी कांग्रेस या महागठबंधन के सहयोगी की जीत नहीं हुई थी। उन्होंने कहा कि लोकसभा में महागठबंधन के सहयोगी दल तो खाता भी नहीं खोल पाए तो वैसे में भी कांग्रेस कई सीटों पर जीती थी।
पुरानी सीटों पर भी हार गई पार्टी
70 सीटें लड़कर 51 पर पराजित रहने वाली कांग्रेस के लिए यह हार गले की फांस बन गई है। एक ओर सहयोगी राज्य में सरकार ना बनने का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ रहे हैं तो दूसरी ओर आलाकमान भी प्रदेश नेतृत्व को हार का गुनहगार मान रहा है। पार्टी की बड़ी चिंता उन सीटों पर हार को लेकर है जहां कांग्रेस का हमेशा ही प्रदर्शन बेहतर रहा है। ऐसे क्षेत्र मिथिलांचल और सीमांचल भी आते हैं। हालांकि सीमांचल में इस बार औसतन पार्टी ने ठीक-ठाक जंग लड़ी, लेकिन मिथिलांचल में पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल सकी। पुरानी सीटों पर भी जीत से पीछे रह गई।
आलाकमान कर रहा समीक्षा
पार्टी की इस बड़ी हार को लेकर केंद्रीय नेतृत्व समीक्षा में जुट गया है। सूत्रों की माने तो कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने बिहार के प्रभारी से चुनाव में जीत-हार की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। बिहार प्रभारी को निर्देश दिए गए हैं कि वे रिपोर्ट में हार की वजहों का भी विशेष उल्लेख करें। रिपोर्ट तलब की जानकारी मिलने के बाद से ऐसे अनुमान लगाए जा रहे हैं कि संभव है कि जल्द ही बिहार कांग्रेस के बड़े बदलाव से गुजरना पड़े।
हार की वजह महागठबंधन के सहयोगी दल तो नहीं
हालांकि कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी कहते हैं कि आलाकमान को जो बदलाव करना है वह करे। यह उसके अधिकार क्षेत्र का मामला है। परन्तु पार्टी को इस बात की भी समीक्षा करनी चाहिए कि किस दबाव में पार्टी ने उन सीटों पर चुनाव लडऩा स्वीकार किया जहां से कभी कांग्रेस या महागठबंधन के सहयोगी की जीत नहीं हुई थी। समीक्षा इस बात की भी होनी चाहिए कि लोकसभा चुनाव में जब महागठबंधन के सहयोगी अपना खाता भी नहीं खोल पाए वैसे समय में कांग्रेस ने खाता खोला तो कैसे खोला।
कादरी कहते हैं कि निश्चित रूप से हमें प्रत्येक सीट की समीक्षा कर जिम्मेदारी तय करनी चाहिए, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व को समीक्षा के क्रम में यह भी देखना चाहिए कि कहीं सहयोगियों का दबाव तो हार की वजह नहीं। इन तमाम समीक्षा के बाद जो बदलाव होने हैं हो। क्योंकि कोई भी चीज स्थायी नहीं।