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नीतीश कैबिनेट का बड़ा फैसला, उद्यमियों के लिए स्टार्ट अप नीति को मंजूरी

राज्य कैबिनेट ने मंगलवार को नई स्टार्टअप नीति को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी, अब बिहार भी देश के उन चंद राज्यो में शामिल हो गया है जो इस पॉलिसी को अपने यहां लागू किये हुए हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 07 Sep 2016 12:39 PM (IST)Updated: Wed, 07 Sep 2016 11:09 PM (IST)
नीतीश कैबिनेट का बड़ा फैसला, उद्यमियों के लिए स्टार्ट अप नीति को मंजूरी

पटना [वेब डेस्क]। बिहार सरकार ने अब नए उद्यमियों को आगे लाने के लिए स्टार्टअप नीति को लागू कर दिया है। स्टार्ट अप नीति 2016 को कैबिनेट से अनुमोदन मिलने के साथ ही बिहार देश के उन चंद राज्यो में शामिल हो गया है जो इस पॉलिसी को अपने यहां लागू किये हुए हैं।

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बिहार में नए स्टार्टअप नीति के तहत 5 साल तक की एजेंसियों को फायदा मिलेगा। 5 साल से अधिक समय वाले एजेंसी इस पॉलिसी से बाहर रहेंगे। इस पॉलिसी की खास बात यह है कि स्टार्ट अप एजेंसी को 5 साल तक रजिस्ट्रेशन नहीं करवाना होगा।

साथ ही इस नीति के लागू होने के बाद दवा, एफएसएसआई, भवन और अग्निशमन को छोड़ कर अन्य किसी मामले में लाइसेंस भी नहीं लेना पड़ेगा। ऐसे उद्यमों की पांच साल तक जांच भी नहीं होगी। महिला उद्यमियों को 5 प्रतिशत, एससी-एसटी को 15 प्रतिशत और दिव्यांग को 15% अतिरिक्त सहायता दी जाएगी। वेंचर फंड की कुल रकम का 22% एससी-एसटी के लिए आरक्षित रहेगा।

इसके लिए राज्य सरकार ने 500 करोड़ रुपये का एक डिबेंचर फंड भी तैयार किया है जिससे युवा उद्यमियों को उनके औद्योगिक 'आइडिया के अनुसार वित्त पोषित किया जाएगा। मंगलवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में कुल 29 प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई।

बैठक के बाद मंत्रिमंडल समन्वय विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि बिहार की यह 'स्टार्ट-अप देश के अन्य राज्यों के मुकाबले काफी बेहतर है। उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने बताया कि इस 'स्टार्ट-अप नीति में वैसी औद्योगिक यूनिटों को स्टार्ट-अप श्रेणी में शामिल किया जाएगा जिसकी स्थापना विगत पांच वर्षों के अंदर की गई है।

साथ ही उन यूनिटों को तरजीह दी जाएगी जो नए आइडिये के साथ सामने आती हैं। इन यूनिटों को राज्य सरकार न्यूनतम दो लाख और अधिकतम दस लाख रुपये तक की स्टार्ट-अप राशि भी उपलब्ध कराएगी। ऐसी यूनिटों के चयन के लिए सरकार ने एक स्वतंत्र इकाई का भी गठन किया है।

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राज्य के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों के साथ कुछ निजी संस्थानों को भी शामिल किया है। ये स्टार्ट-अप की श्रेणी में आने वाली यूनिटों का चयन करेंगे। बदले में इन संस्थानों की कमेटी को वित्त पोषित होने वाली यूनिट की कुल राशि का दो प्रतिशत हिस्सा अलग से दिया जाएगा।

स्टार्ट-अप नीति में सरकार ने अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों के लिए 22 प्रतिशत आरक्षण की भी व्यवस्था की है। जबकि महिला उद्यमियों को भी पांच प्रतिशत का आरक्षण दिया जाएगा। यानी 500 करोड़ रुपये की राशि का 22 प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए तथा पांच प्रतिशत महिला उद्यमियों के लिए होगा।

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लांच होगा स्टार्ट-अप पोर्टल

एस सिद्धार्थ ने बताया कि इसके लिए उद्योग विभाग अपना पोर्टल लांच करेगा। इस पोर्टल के माध्यम से ही युवा उद्यमी अपने नए आइडिया के साथ आवेदन कर सकेंगे। स्टार्ट-अप नीति के अंतर्गत चयनित यूनिटों को अगले पांच साल तक न तो किसी तरह के लाइसेंस की जरूरत होगी और न ही इन यूनिटों का निरीक्षण किया जाएगा। बशर्ते कि इन यूनिटों से किसी तरह का ड्रग या इस तरह के उत्पाद नहीं बनाए जा रहे हों।

अब 67 वर्ष में रिटायर होंगे दंत चिकित्सक

राज्य में सरकारी दंत चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 65 वर्ष से बढ़ी कर 67 वर्ष कर दी गई है। सरकार ने बिहार दंत चिकित्सा सेवा के चिकित्सकों (शिक्षक और पदाधिकारी) और कर्मचारी बीमा चिकित्सा सेवा के चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।


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