तीन करोड़ लगा कोलकाता से मंगाया गया था पानी वाला जहाज, खड़े-खड़े हो गया कबाड़
पर्यटन निगम की शिथिलता के कारण पटना का एक और टूरिस्ट प्लेस खत्म हो गया है। तीन करोड़ की लागत से मंगाया गया फ्लोटिंग रेस्तरां गंगा एमवी विहार पानी में खड़े-खड़े कबाड़ हो गया है।
पटना, जेएनएन। पर्यटन निगम की अनदेखी ने राजधानी का आकर्षक टूरिस्ट स्पॉट छीन लिया। टेंडर पर टेंडर निकलता रहा और पानी में खड़े-खड़े फ्लोटिंग रेस्तरां गंगा एमवी विहार कबाड़ हो गया। तीन करोड़ की लागत से कोलकाता से मंगाया गया पानी का जहाज अब चलने लायक नहीं रह गया है। फिलहाल यह गांधी घाट में एक किनारे खड़ा है। अब स्थिति यह है कि इसे नीलाम करने की तैयारी चल रही है। जल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 21 जुलाई 2009 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद सवारी कर गांधी घाट से फ्लोटिंग रेस्तरां का उद्घाटन किया था। कम समय में ही फ्लोटिंग रेस्तरां पटनावासियों का पसंदीदा पिकनिक स्पॉट बन गया। मुख्यमंत्री ने फ्लोटिंग रेस्तरां पर कैबिनेट की बैठक भी की थी।
इंजन की खराबी को नजरअंदाज कर जारी रहा परिचालन
वर्ष 2016 में फ्लोटिंग रेस्तरां के एक इंजन में खराबी आई थी मगर इसे नजरअंदाज कर परिचालन जारी रहा। टेंडर जरूर निकला मगर किसी ने जहाज की मरम्मत में रुचि नहीं ली। एक इंजन के सहारे ही जहाज चलता रहा। इसके बाद भी चार बार मरम्मत के लिए टेंडर निकला मगर स्थिति जस की तस रही। पानी में पड़ा-पड़ा जहाज और भी खराब होने लगा। इसी बीच 14 जनवरी 2017 को नाव हादसा हुआ और इसके बाद जहाज के परिचालन पर पूर्ण रूप से रोक लग गई।
पांच साल में करनी थी मरम्मत
फ्लोटिंग रेस्तरां को कोलकाता की कंपनी पीपुल्स इंजीनियरिंग वकर्स से खरीदा गया था। खरीद के पांच साल बाद इसे पानी से बाहर निकालकर ड्राई डॉक (मरम्मत) करना था मगर ऐसा नहीं हुआ। फ्लोटिंग रेस्तरां के एक इंजन में खराबी आने के बाद से चार एमडी बदल चुके हैं, मगर जहाज की किस्मत नहीं बदली।
एक घंटे में दिखता था गंगा का मनोरम दृश्य
फ्लोटिंग रेस्तरां से गंगा की तेज धाराओं के बीच लोग सैर करते थे। गांधीघाट से चलकर पानी का जहाज पहले कालीघाट तक जाता फिर यहां से यू टर्न लेकर गांधीसेतु पुल तक की सैर कराता। इसके बाद जहाज फिर से यूटर्न लेकर गांधीघाट आ जाता। एक घंटे के सफर में गंगा के किनारे से पटना का मनोरम दृश्य दिखता।