तकनीशियनों की कमी से थमी रैपिड किट की रफ्तार
तकनीशियनों की कमी से रैपिड किट से जांच की रफ्तार कम हो गई है।
रिपोर्ट में देरी
- रैपिड किट से दो, ट्रूनैट से तीन व आरटीपीसीआर से रिपोर्ट मिलती पांच दिन में
- तीन विधियों से जांच के लिए अलग-अलग सैंपल लेने व रिपोर्ट मिलाने में होती देर
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जागरण संवाददाता, पटना : रैपिड किट से 30 मिनट में जांच का दावा तकनीशियनों की कमी के कारण फलीभूत नहीं हो रहा है। रैपिड किट से टेस्ट कराने में भी रिपोर्ट एक से दो दिन बाद ही मिल रही है। वहीं ट्रूनैट विधि से दो से तीन तो आरटीपीसीआर विधि से जांच रिपोर्ट पांच से छह दिन बाद आ रही है।
रैपिड किट से जांच कार्य कर रहे न्यू गार्डिनर रोड, राजवंशी नगर, जयप्रभा और राजेंद्र नगर अस्पताल समेत अन्य जगह भी यही हाल है। कारण हर जांच केंद्र पर तकनीशियन व अन्य कर्मियों की कमी बताई जा रही है। डॉक्टरों ने कहा- प्रक्रिया जटिल, मानवबल कम
डॉक्टरों के अनुसार सरकार आरटीपीसीआर, ट्रूनैट और रैपिड किट से कोरोना की जांच करा रही है। तीनों विधियों से जांच के नमूना लेने का तरीका तो एक है, लेकिन उन्हें अलग रिएजेंट्स वाले वीटीएम (वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम) में रखा जाता है। इसमें काफी सावधानी की जरूरत होती है। उसी समय वीटीएम की कोडिंग कर पेपर में चढ़ाया जाता है। इसके बाद एक व्यक्ति पीपीई किट पहन कर एक बार में करीब 20 लोगों का सैंपल लेता है। हर सेंटर पर दो ही लोग हैं। ऐसे में सैंपल कलेक्शन, पंजी संधारित करने और जांच के बाद रिपोर्ट मिलाने आदि में काफी समय लगता है। 30 मिनट में एंटीजन रैपिड किट से मिलनी है रिपोर्ट, लेकिन मिल रही दूसरे या तीसरे दिन 02 घंटे में ट्रूनैट विधि से चार रिपोर्ट देनी है, संदिग्धों को मिल रही है दो से तीन दिन में
06 घंटे में आरटीपीसीआर विधि से 70 से 90 नमूनों की होनी है जांच, रिपोर्ट पांच से छह दिन में