स्कूल बसों के स्पीड पर लगी लगाम, 40 से अधिक गति मिली तो होगी कार्रवाई
15 मार्च तक राज्य भर के स्कूली बसों में स्पीड लिमिट डिवाइस लगाना अनिवार्य हो गया है। इस डिवाइस के लग जाने के बाद उसकी अधिकतम गति सीमा 40 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक नहीं हो सकेगी।
पटना [जितेंद्र कुमार]। स्कूल बसों की रफ्तार पर लगाम लगाने की पुख्ता तैयारी शुरू हो गई है। गति सीमा पर लगाम के लिए 15 मार्च तक पटना सहित राज्य भर के स्कूली बसों में स्पीड लिमिट डिवाइस (स्पीड गवर्नर) लगाना अनिवार्य हो गया है। इस डिवाइस के बस में लग जाने के बाद उसकी अधिकतम गति सीमा 40 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक नहीं हो सकेगी। आदेश का उल्लंघन करने वालों पर परिवहन अधिनियम की धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। इसके अलावा बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट रद कर दिया जाएगा। यह आदेश मंगलवार को राज्य के सभी जिला परिवहन पदाधिकारी और मोटर वाहन निरीक्षकों को दे दिया गया है।
मंत्रालय डिवाइस लगाने किया अनिवार्य
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए वाहनों को निर्धारित गति सीमा परिचालन के लिए स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य कर दिया है। 1 अप्रैल से बिना स्पीड गर्वनर वाले वाहनों का निबंधन रोक दी जाएगी।
गति की दो श्रेणी तय
मंत्रालय ने दो श्रेणी 60 और 80 किलोमीटर प्रति घंटे निर्धारित की है। राज्य सरकार को शक्ति दी गई है कि अपने शहर और सड़क के अनुसार गति सीमा में संशोधन कर सकती है, लेकिन अधिकतम सीमा 80 किलोमीटर से अधिक नहीं होगी। स्कूली बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर सीबीएसइ ने मान्यता प्राप्त स्कूलों के बसों के लिए 40 किलोमीटर अधिकतम गति सीमा निर्धारित किया है।
जारी की चेतावनी
बिहार सरकार ने प्रथम चरण में स्कूली बसों की गति सीमा सीबीएसइ द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार अधिकतम 40 किलोमीटर प्रति घंटे से परिचालन के लिए स्पीड लिमिट डिवाइस (स्पीड गर्वनर) लगाने के लिए 15 मार्च तक मोहलत दी है। राज्य के सभी स्कूल प्रबंधन को वाहनों में स्पीड गर्वनर नहीं लगाने पर फिटनेस और परमिट रद करने की चेतावनी दी है।
70 हजार वाहनों लग चुके हैं स्पीड गवर्नर
परिवहन विभाग के आंकड़े के मुताबिक बिहार में अब तक 70 हजार वाहनों में स्पीड गवर्नर लगे हुए हैं। अधिकांश वाहनों में कंपनी द्वारा स्थापित डिवाइस है। करीब 12 से 15 लाख वाहनों में स्पीड गर्वनर लगाने के लिए 10 एजेंसी का चयन कर लिया है। मंगलवार को सभी कंपनियों के डिवाइस का प्रदर्शन किया गया है। जिला परिवहन पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि स्पीड गर्वनर लगाने वाले कंपनियों को अपने जिले में ट्रेड लाइसेंस जारी करें। ट्रेड लाइसेंस के पहले मोटर वाहन निरीक्षक वितरक और खुदरा विक्रेता के प्रतिष्ठान की भौतिक जांच करेंगे।
गाडिय़ों का सर्टिफिकेट
स्पीड गवर्नर डिवाइस लगी गाडिय़ों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जिस पर वाहन संख्या, इंजन नंबर, चेचिस नंबर, बार कोड और अन्य सुरक्षा मानक दर्ज होंगे। बिहार में वाहन मालिकों को अपने पसंद का डिवाइस लगाने की छूट होगी। अलग-अलग डिवाइस अपने तरीके से गति सीमा को नियंत्रित करेगा।
बच्चों के जिंदगी को खतरे में डालने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। स्कूल प्रबंधन को 15 मार्च तक सभी बसों में 40 किमी प्रति घंटे गति वाला स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य है। बसों को फिटनेस नहीं दिया जाएगा। आदेश का उल्लंघन करने पर प्राथमिकी होगी।
संजय कुमार अग्रवाल, सचिव, परिवहन विभाग।