कुशवाहा ने दिया 'पॉलिटिकल खीर' का फॉर्मूला, बड़ा सवाल- क्या NDA से टूटेगी RLSP?
रालोसपा नेता व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने पॉलिटिकल खीर बनाने का नया फॉर्मूला दिया है। सत्ता पक्ष इसे दबाव की राजनीति मान रहा है। क्या है मामला, जानिए इस खबर में।
By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 26 Aug 2018 12:44 PM (IST)Updated: Mon, 27 Aug 2018 11:03 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में नाराज बताए जा रहे केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने पॉलिटिकल खीर बनाने का जो फॉर्मूला दिया है, उससे बिहार की राजनीति में कयासों का सिलसिला फिर आरंभ हो गया है। एक बार फिर यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) राजग से टूटने जा रही है? हालांकि, कुशवाहा ने ऐसी किसी संभावना से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने किसी दल से जोड़कर कोई बात नहीं की थी।
कुशवाहा ने कही ये बात
पटना में बीपी मंडल के जन्म शती समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि अगर यदुवंशियों (यादव) के दूध में कुशवंशी (कुशवाहा) का चावल मिल जाए तो दुनिया का सबसे स्वादिष्ट खीर तैयार होगी। अागे उन्होंने अपनी पार्टी के ब्राह्मण नेता शंकर झा आज़ाद की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये चीनी मिलाएंगे और दलित नेता भूदेव चौधरी उसमें तुलसी डालेंगे।
उन्होंने इसे और स्पष्ट करते हुए कहा कि यह खीर तब तक स्वादिष्ट नहीं होगी जब तक इसमें छोटी जातियों और दबे-कुचले समाज का पंचमेवा नहीं पड़ेगा। यही सामाजिक न्याय की असली परिभाषा है। उपेंद्र कुशवाहा के अनुसार यह समीकरण बने तो राज्य की सत्ता आसानी से मिल जाए। सम्मेलन में कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की मांग की भी उठी।
धीरे-धीरे स्पष्ट कर रहे रणनीति
माना जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा धीरे-धीरे लोकसभा व विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी रणनीति स्पष्ट कर रहे हैं। वे आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए अधिकतम सीटों के लिए दबाव की राजनीति कर रहे हैं। सीट बंटवारे पर बात बनी तो वे राजग में रहेंगे, अन्यथा राजग से दूर भी जा सकते हैं। कुशवाहा के ऐसे बयानों को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
राजद ने किया बयान का स्वागत
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उपेंद्र कुशवाहा के बयान के राजनीतिक निहितार्थ भांपने में देर नहीं की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह स्वादिष्ट और पौष्टिक खीर श्रमशील लोगों की जरूरत है। प्रेमभाव से बनाई गई खीर में पौष्टिकता, स्वाद और ऊर्जा की भरपूर मात्रा होती है। यह एक अच्छा व्यंजन है।
राजग नेताओं ने दी ये प्रतिक्रिया
कुशवाहा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा कि इस बयान का राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। राजग के घटक दल लोजपा के सुप्रीमो राम विलास पासवान ने भी कहा कि सभी घटक दल एकजुट हैं और आगामी लोकसभा चुनाव में सभी मिलकर 40 सीटों पर जीतेंगे। उधर, एक भाजपा नेता ने गोपनीयता के आग्रह के साथ कहा कि कुशवाहा का बयान दबाव की राजनीति का हिस्सा है। वे राजग में हैं और रहेंगे। कुशवाहा ने भी समय-समय पर कहा है कि वे राजग में हैं और रहेंगे।
विवाद फंसा तो कुशवाहा ने दी ये सफाई
विवाद फंसा तो उपेंद्र कुशवाहा ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उनके बयान का राजनीतिक अर्थ नहीं हैए उन्होंने सामाजिक बात कही है। कहा कि उनकी बातों की सही तरीके से व्याख्या होनी चाहिए। कुशवाहा ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैं।
सीट शेयरिंग को ले फंस रहा पेंच
कुशवाहा व राजग नेता जो भी कहें, राजग में ऑल इज वेल नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कुशवाहा का विरोध जग-जाहिर रहा है। चुनाव में सीट शेयरिंग का पेंच भी मुख्यत: नीतीश के जदयू को लेकर ही फंसता दिख रहा है। उधर, विपक्षी महागठबंधन कुशवाहा को अपने पाले करने में लंबे समय से लगा है। ऐसे में आश्यर्च नहीं कि कुशवाहा की नई राजनीतिक खीर विपक्ष का मुंह मीठा करने के काम आए।
कुशवाहा ने कही ये बात
पटना में बीपी मंडल के जन्म शती समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि अगर यदुवंशियों (यादव) के दूध में कुशवंशी (कुशवाहा) का चावल मिल जाए तो दुनिया का सबसे स्वादिष्ट खीर तैयार होगी। अागे उन्होंने अपनी पार्टी के ब्राह्मण नेता शंकर झा आज़ाद की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये चीनी मिलाएंगे और दलित नेता भूदेव चौधरी उसमें तुलसी डालेंगे।
उन्होंने इसे और स्पष्ट करते हुए कहा कि यह खीर तब तक स्वादिष्ट नहीं होगी जब तक इसमें छोटी जातियों और दबे-कुचले समाज का पंचमेवा नहीं पड़ेगा। यही सामाजिक न्याय की असली परिभाषा है। उपेंद्र कुशवाहा के अनुसार यह समीकरण बने तो राज्य की सत्ता आसानी से मिल जाए। सम्मेलन में कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की मांग की भी उठी।
धीरे-धीरे स्पष्ट कर रहे रणनीति
माना जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा धीरे-धीरे लोकसभा व विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी रणनीति स्पष्ट कर रहे हैं। वे आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए अधिकतम सीटों के लिए दबाव की राजनीति कर रहे हैं। सीट बंटवारे पर बात बनी तो वे राजग में रहेंगे, अन्यथा राजग से दूर भी जा सकते हैं। कुशवाहा के ऐसे बयानों को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
राजद ने किया बयान का स्वागत
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उपेंद्र कुशवाहा के बयान के राजनीतिक निहितार्थ भांपने में देर नहीं की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह स्वादिष्ट और पौष्टिक खीर श्रमशील लोगों की जरूरत है। प्रेमभाव से बनाई गई खीर में पौष्टिकता, स्वाद और ऊर्जा की भरपूर मात्रा होती है। यह एक अच्छा व्यंजन है।
राजग नेताओं ने दी ये प्रतिक्रिया
कुशवाहा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा कि इस बयान का राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। राजग के घटक दल लोजपा के सुप्रीमो राम विलास पासवान ने भी कहा कि सभी घटक दल एकजुट हैं और आगामी लोकसभा चुनाव में सभी मिलकर 40 सीटों पर जीतेंगे। उधर, एक भाजपा नेता ने गोपनीयता के आग्रह के साथ कहा कि कुशवाहा का बयान दबाव की राजनीति का हिस्सा है। वे राजग में हैं और रहेंगे। कुशवाहा ने भी समय-समय पर कहा है कि वे राजग में हैं और रहेंगे।
विवाद फंसा तो कुशवाहा ने दी ये सफाई
विवाद फंसा तो उपेंद्र कुशवाहा ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उनके बयान का राजनीतिक अर्थ नहीं हैए उन्होंने सामाजिक बात कही है। कहा कि उनकी बातों की सही तरीके से व्याख्या होनी चाहिए। कुशवाहा ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैं।
सीट शेयरिंग को ले फंस रहा पेंच
कुशवाहा व राजग नेता जो भी कहें, राजग में ऑल इज वेल नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कुशवाहा का विरोध जग-जाहिर रहा है। चुनाव में सीट शेयरिंग का पेंच भी मुख्यत: नीतीश के जदयू को लेकर ही फंसता दिख रहा है। उधर, विपक्षी महागठबंधन कुशवाहा को अपने पाले करने में लंबे समय से लगा है। ऐसे में आश्यर्च नहीं कि कुशवाहा की नई राजनीतिक खीर विपक्ष का मुंह मीठा करने के काम आए।
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