छठे गुरु के 425वें प्रकाश पर्व पर सजा विशेष दीवान
सिख पंथ के छठे गुरु हरगोविद साहिब का जीवन दर्शन मानव कल्याण का संदेश देता है
पटना सिटी। सिख पंथ के छठे गुरु हरगोविद साहिब का जीवन दर्शन मानव कल्याण का संदेश देता है। गुरु हरगोविद देव साहिब पांचवें गुरु अर्जुन देव के पुत्र थे। अमृतसर के बडाली में वर्ष 1595 में 14 जून को मां गंगा ने छठे गुरु को जन्म दिया। गुरु जी का सिद्धांत समाज को एकता व अखंडता के सूत्र में पिरोता है। गुरु हरगोविद ने एक मजबूत सिख सेना संगठित की और पिता अर्जुन देव के निर्देशानुसार सिख पंथ को योद्धा चरित्र प्रदान किया। छठे गुरु का ज्यादा समय युद्ध प्रशिक्षण व युद्ध कला में बीता। बाद में वे कुशल तलवारबाज, कुश्ती व घुड़सवारी में माहिर हो गए। उक्त बातें सिख पंथ के छठे गुरु श्री हरगोविद साहिब जी महाराज के मीरी पीरी प्रकाश पर्व पर शनिवार को तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के दरबार हॉल के सजे दीवान में जत्थेदार ज्ञानी रणजीत सिंह गौहर-ए-मस्कीन ने प्रकाश पर्व के दौरान कहीं।
कथा वाचक भाई ज्ञानी गगनदीप सिंह ने कहा कि शक्ति व भक्ति के उपासक गुरु महाराज ने मीरी पीरी के माध्यम से दो तलवार रखने की परंपरा आरंभ किया। मीरी अर्थात शक्ति व पीरी मतलब भक्ति का प्रतीक है। मानवीय मूल्यों की रक्षा में गुरु जी के त्याग को नहीं भुलाया जा सकता है। अपने जीवन दर्शन में आध्यात्मिक व सांसारिक उन्नति के लिए मानव को एकता के सूत्र में बांधा है। विशेष दीवान में हुजूरी रागी जत्थाओं में रागी जोगिदर सिंह, जगत सिंह, बिक्रम सिंह, रजनीश सिंह व ज्ञान सिंह ने शबद कीर्तन से संगतों को निहाल किया। इससे पूर्व दो दिनों से वरीय मीत ग्रंथी ज्ञानी बलदेव सिह की देखरेख में चल रहे श्री गुरुग्रंथ साहिब के अखंड पाठ की समाप्ति हुई। विश्व शांति व भाईचारा के लिए अरदास हुआ।
विशेष दीवान में श्रद्धा अर्पित करने वालों में अधीक्षक सरदार दलजीत सिंह, प्रबंधक दिलीप पटेल, महाकांत राय, दिलीप पटेल, प्रेम सिंह, देवेंद्र सिंह, मंजीत सिंह, अवधेश सिंह, पपींद्र सिंह, इंद्रजीत सिंह बग्गा, प्रेम सिंह समेत अन्य थे। विशेष दीवान के बाद गुरु का लंगर चला। बाललीला गुरुद्वारा में बाबा गुरुविदर सिंह की देखरेख में छठे गुरु का प्रकाश पर्व मनाया गया। वहीं गुरुवाणी प्रचार सेवा केंद्र में प्रो. लाल मोहर उपाध्याय की अध्यक्षता व बेबी कुमारी के संचालन में गुरु महाराज के जीवन दर्शन पर संगोष्ठी हुई।