सोनपुर मेला: हरि व हर के चरणों में समर्पित हो जाते हैं श्रद्धालु
एशिया का सबसे बड़ा मेला सोनपुर में सज जुका है। लाखों साधु-संत मेले में डेरा जमा चुके हैं। अगले कुछ दिनों में मेले का रंग और भी गाड़ा होता जाएगा।
पटना, जेएनएन। नाक से लेकर पूरे मांग सिंदूर। ललाट पर बिंदी। गंगा तट पर आंचल फैलाए महिलाएं। सुहाग की सलामती की सुख-समृद्धि की कामना। यह अनूठा दृश्य है, हरिहरक्षेत्र की पावन भूमि का। हर घाट पर कमोवेश यही नजारा। हर किसी ने हरि व हर के चरणों में खुद को समर्पित कर दिया है। यह एशिया प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला का समृद्ध अतीत है। यह मेला का वह अनूठा रंग है जिससे मेले की शुरुआत होती है। अगले कुछ दिनों में मेले का यही रंग दिखेगा।
सुबह के नौ बजे हैं। हरि व हर की पावन भूमि हरिहरक्षेत्र में अद्भुत नजारा है। हाजीपुर से सोनपुर तक गंगा-गंडक के तट पर फैला करीब दस किलोमीटर का इलाका भक्ति के महासागर में गोते लगा रहा है। पावन भूमि भक्ति के अनूठे रंग में रंग चुकी है। इधर हाजीपुर के कौनहारा घाट समेत सभी घाटों पर बड़ी संख्या में भक्तों ने रात से ही डेरा जमा लिया है। वैशाली एवं सारण के आसपास के गांवों से जहां श्रद्धालु जुटे हैं, वहीं पूरे बिहार के अधिकांश जिलों के अलावा पड़ोसी झारखंड व उत्तर प्रदेश से भी भक्त पहुंचे हैं।
साधु-संत भी बड़ी संख्या में यहां पहुंचे हैं। घाटों को जाने वाली सभी सड़कों के किनारे फुटपाथ पर दुकानें सज गई हैं। प्रसाद में फरही, चूड़ा, मकुनदाना, बतासा। सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, रोली, चंदन की दुकानें। बच्चों के खिलौने की भी दुकानें लगी हैं। उधर सोनपुर के भी घाटों पर भी इसी तरह का नजारा है।
आ रहा भक्तों का मेला
पुरानी गंडक पुल पर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है। बड़ी संख्या में पुलिस बल व मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है। भक्तों का रेला हाजीपुर से सोनपुर पैदल ही आ-जा रहा है। पुल रोड पर सड़क के दोनों किनारे फुटपाथ पर दुकानें सज गई हैं। विभिन्न कंपनियों प्रचार के साथ मेले में आने वाले लोगों के स्वागत में भव्य गेट बनाए हैं। गंडक पुल से उस पार पहुंचते ही हरि व हर के प्रति असीम आस्था दिखी। कार्तिक पूर्णिमा स्नान को भक्तों का भारी जुटान के बीच मेला भी तेजी से आकार लेता दिखा। बुधवार को ही डिप्टी सीएम सुशील मोदी मेला का विधिवत उद्घाटन कर चुके हैं, पर अभी अधिकांश सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रदर्शनी स्टॉल पूरी तरह तैयार नहीं हुए हैं। इधर, ग्रामश्री मंडप में सामान सज चुके हैं। पर्यटन विभाग के पंडाल ने भी आकार ले लिया है।
कभी गज-ग्राह का हुआ था युद्ध
हरिहरक्षेत्र हरि व हर की पावन भूमि है। भक्त की पुकार पर यहां खुद हरि यानी भगवान विष्णु एवं हर यानी भगवान शंकर पधारे थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां गज-ग्राह का युद्ध हुआ था। गंगा-गंडक के संगम में एक बार गज यानी हाथी को ग्राह यानी मगरमच्छ ने जकड़ लिया। काफी बलवान होने के बावजूद गज पानी में कमजोर पड़ गया। गज को कमल का फूल दिखाई पड़ा।
अपने सूंढ़ में जल एवं कमल का फूल लेकर गज ने हरि व हर की आराधना की। भक्त की पुकार पर स्वयं भगवान पधारे। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से ग्राह का वध कर गज की प्राण रक्षा की। नया जीवन प्रदान किया। वहीं खुद प्रभु के हाथों वध को लेकर ग्राह को भी मोक्ष की प्राप्ति हुई। हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को नए जीवन एवं मोक्ष की कामना को लेकर यहां भक्तों की भीड़ होती है।