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Lockdown effect in Bihar: बिहार में कहीं पौत्र निभा रहा फर्ज तो कहीं मंझले बेटे के कांधे पर पड़ा बोझ

Lockdown effect in Bihar बिहार में कहीं पौत्र निभा रहा फर्ज तो कहीं मंझले बेटे के कांधे पर पड़ा बोझ। बड़े व छोटे बेटे के बदले मंझले बेटे ने खगडि़या में दी मुखाग्नि।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 10:19 PM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 12:23 PM (IST)
Lockdown effect in Bihar: बिहार में कहीं पौत्र निभा रहा फर्ज तो कहीं मंझले बेटे के कांधे पर पड़ा बोझ
Lockdown effect in Bihar: बिहार में कहीं पौत्र निभा रहा फर्ज तो कहीं मंझले बेटे के कांधे पर पड़ा बोझ

पटना, जेएनएन। कोरोना संकट को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। ट्रेन से लेकर प्‍लेन तक बंद हैं। तमाम वाहन रुके पड़े हैं। घर के लोगों को बाहर निकलना मना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद लॉकडाउन की घोषणा की थी। लोगों से कहा है कि कोरोना से जंग जीतनी है तो घर से बाहर न निकलें। दहलीज को लक्षमण रेखा मानकर उसे न लांघें। इसकी वजह से जरूरत पड़ने पर भी दूर देस से लोग लौट नहीं पा रहे हैं। यही वजह है कि बुधवार को बांका में एक वृद्ध का निधन हुआ तो मुखाग्नि उनके इकलौते बेटे की जगह पोते ने दी। लॉकडाउन के कारण उनका बेटा घर नहीं आ सका। इसी तरह, खगड़िया में रिटायर हेडमास्‍टर की मौत पर उनके बड़े व छोटे बेटे हिमाचल प्रदेश से मौके पर नहीं आ सके। तब मंझले बेटे ने मुखाग्नि का सामाजिक दायित्‍व निभाया। इसी तरह, सीतामढ़ी के युवा एसडीओ कुमार गौरव दादी की अंतिम यात्रा में शामिल होने के बजाय लॉकडाउन में लोगों की सेवा करना ज्‍यादा जरूरी समझे।  

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बांका: कोरोना में पिता के श्राद्धकर्म नहीं पहुंच सका इकलौता पुत्र 

हर एक मां-बाप के जीवन में अंतिम इच्छा होती है कि अपने पुत्र से मुखाग्नि प्राप्त कर सदगति प्राप्त करे, लेकिन अभागे कोरोना ने एक पुत्र को पिता के अंतिम कार्य भी शरीक होने से रोक दिया है। यह मामला प्रखंड के पहड़ी खजूरी गांव में सामने आया है। गांव के एक वृद्ध देवेन्द्र सिंह का निधन 21 मार्च को हो गया। परिवार वालों ने इसकी सूचना सूरत में रह रहे उनके इकलौते पुत्र राजेश कुमार सिंह को दिया। अगले दिन जनता कर्फ्यू देख राजेश लाचार हो गया। पंडितों के कहे अनुसार मुखाग्नि का काम राजेश के नाबालिग पुत्र ने दिया। राजेश ने अपने परिवार वालों के पिता के श्राद्ध कर्म में आने की बात कही। अगले ही दिन संपूर्ण देश में लॉक डाउन घोषित हो गया। अब तो राजेश सूरत में एक कमरे के अंदर रहने पर विवश हो गया। राजेश ने दूरभाष पर हुई बातचीत में जागरण को बताया कि पिता के अंतिम संस्कार और श्राद्ध कर्म में नहीं पहुंचने का बहुत दुख है। इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। लेकिन इससे अधिक देशवासियों की चिंता है कि कैसे कोरोना की जंग में सफल हो सके। राजेश के इस धैर्य और हिम्मत पर ग्रामीण भी फक्र कर रहे हैं। 

खगडि़या में मंझले बेटे ने निभाया दायित्‍व

लॉकडाउन के कारण देश भर में हजारों लोग कहीं न कहीं फंसे हुए हैं। बेबसी इतनी कि चाह कर भी लोग अपने परिजन से नहीं मिल पा रहे हैं। इसी दौरान खगड़िया जिले के बेला गांव निवासी 80 वर्षीय बुजुर्ग अर्जुन झा का निधन हो गया। वे रिटायर्ड हेडमास्टर थे। 29 मार्च को जब उनका निधन हुआ तो अफसोस कि उनके बड़े और छोटे दोनों बेटे पास में नहीं थे। दोनों हिमाचल प्रदेश में लॉकडाउन के कारण फंसे हुए थे। उनके बड़े बेटे विजयशंकर झा और छोटे बेटे महाशंकर झा लाख कोशिश के बावजूद अपने दिवंगत पिता के पास नहीं पहुंच सके। हिंदू परंपरा के अनुसार पिता को सबसे बड़ा या सबसे छोटा बेटा ही मुखाग्नि देता है, लेकिन लॉकडाउन की मजबूरी के चलते परिजनों ने मंझले बेटे धनंजय कुमार झा को ही पिता को मुखाग्नि देने के लिए अधिकृत किया। दोनों बड़े और छोटे बेटे अपने पिता के अंतिम दर्शन भी नहीं कर सके। 

सीतामढ़ी: यह आइएएस नहीं कर सके दादी के अंतिम दर्शन

सीतामढ़ी के सदर एसडीएम कुमार गौरव ने कोरोना संकट के इस दौर में मानवता की अनूठी मिसाल पेश की है। कोरोना से जंग में अपने फर्ज को भुलाकर कर्तव्य को महत्व दिया है। अपनी दादी की मौत की खबर सुनकर भी ड्यूटी से डिगे नहीं। मूलरूप से मुंगेर के हवेली खड़गपुर के रहने वाले कुमार गौरव की दादी का शनिवार को निधन हो गया। वे अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सके। दूसरे दिन रविवार को भी कोरोना को हराने की जंग में दौड़-भाग करते नजर आए। 2017 बैच के आइएएस अधिकारी ने पिछले साल अक्टूबर माह में सदर एसडीएम की कमान संभाली है। डीपीआरओ परिमल कुमार ने बताया कि जब उन्हें ये खबर मिली, तब वे ड्यूटी निभा रहे थे। खबर सुनने के बाद भी ड्यूटी से डिगे नहीं। कोलकाता से आए सात मजदूरों की उन्होंने स्क्रीनिंग कराई। उन्हें उनके घर पहुंचाने का इंतजाम कराया। उनके प्रयास से सभी मजदूर अपने गांव सुप्पी प्रखंड लौट सके। वहीं जिले के लोगों को आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी न हो, इसके लिए भी कई दुकानदारों से मिलकर उन्हें होम डिलीवरी के लिए राजी किया। जिला प्रशासन की ओर से इस जांबाज अधिकारी की प्रशंसा की गई है।


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