कहीं बहार तो कुछ जगहों पर विकास का इंतजार
बड़ा मुद्दा.. -दीघा विधानसभा क्षेत्र एनडीए व महागठबंधन सहित अन्य प्रत्याशियों ने जीत के लिए झोंकी ताकत -लोगों की शिकायत चुनाव के समय सब देते हैं लॉलीपाप पर बाद में लौटकर नहीं आते -----------
नीरज कुमार, पटना
विधानसभा चुनाव की सरगर्मी जोरों पर है। दीघा विधानसभा क्षेत्र में भी हार-जीत की चर्चा हर चौक-चौराहों पर हो रही है। दीघा राजधानी की एक महत्वपूर्ण सीट है। पांच सौ वर्ष पहले गंगा के तट पर दीघा गांव बसा था। आज भी विकास की बाट जोह रहा है। पहले दीघा पटना पश्चिमी विधान सभा क्षेत्र में हुआ करता था। यहां से भाजपा के वरिष्ठ नेता नवीन किशोर सिन्हा जीता करते थे। इस बार भी इलाके का विकास एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। अधिकांश लोग विकास के मुद्दे पर ही मतदान करना चाहते हैं। इस बार मुख्यत: दो कैडर आधारित पार्टियों के बीच रोचक मुकाबला होने जा रहा है। वर्तमान में भाजपा के संजीव चौरसिया यहां से विधायक हैं। इस बार भी पार्टी ने उन्हें टिकट दिया है। वहीं, महागठबंधन ने माले नेत्री शशि यादव को मैदान में उतारा है। इसके अलावा दीघा के पूर्व पार्षद संजय कुमार सिन्हा, वरिष्ठ समाजसेवी विकास चंद्र उर्फ गुड्डु बाबा जैसे प्रत्याशी भी मैदान में अपनी किस्मत अजमा रहे हैं।
दीघा के पूर्व मुखिया चंद्रवंशी सिंह का कहना है कि इस बार इलाके का विकास ही मुख्य मुद्दा है। दीघा से सटे ही निरालानगर बस्ती है। यह बस्ती काफी नई है। लगभग चालीस-पचास वर्ष पहले बसी है। यहां रहने वाले अधिकांश लोग बाहरी हैं। निराला नगर निवासी विजय कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि यहां के लोग न तो किसी के समर्थक हैं न ही विरोधी। बस एक ही मुद्दा है। कोई बस्ती में नाला और सड़क बनवा दे।
इसी मोहल्ले के युवा मतदाता पप्पू कुमार उनसे अलग मत रखते हैं। उनका कहना है कि इस चुनाव में रोजगार भी एक बड़ा मुद्दा है। इस बार लोग विकास के साथ-साथ रोजगार देने वाले प्रत्याशी को मतदान करेंगे। निरालानगर से सटे जमाखारिज में चुनाव को लेकर चर्चा जोरों पर है। जमाखारिज में अधिकांश अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रहते हैं। जमाखारिज निवासी सज्जाद का कहना है कि चुनाव के समय सब लॉलीपाप देते हैं पर बाद में लौटकर नहीं आते।
दीघा विधानसभा क्षेत्र में ही आशियाना जैसे विकसित इलाका भी है। सड़क पर ही मजिस्ट्रेट कॉलोनी है। कई आइएएस अधिकारी रहते हैं। इसमें से अधिकांश अवकाश प्राप्त कर चुके हैं। मोहल्ले के अवकाश प्राप्त आइएएस अधिकारी एसपी सिंह कहते हैं, मोहल्ले में मूलभूत सुविधाएं हैं। कुछ सड़कें तो सरकार ने बनाई हैं और कुछ विकास कार्य लोगों ने अपनी पहुंच से करवा लिया। हालांकि, मोहल्ले की सुरक्षा को लेकर अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। वहीं, रूकुनापुरा स्थिति वीरेंद्र कुमार का कहना है कि इस चुनाव में विकास के मुद्दे को खारिज नहीं किया जा सकता है।