रंग-विकल्प के आशियाने में मिट्टी ले रही आकार, रच रहे सृष्टि, कर रहे करामात
पटना में कई कलाकार आपको देखने को इस तरह से मिल जाएंगे जो मिट्टी के जरिये कई मूर्त का नया आकार और नए सृष्टि का निर्माण कर रहे हैं।
पटना [प्रभात रंजन]। ये वर्कशॉप 12 साल से अनवरत चल रही है। मौसम कैसा भी हो कलाकार जुटते हैं। काम मि˜ी में जान फूंकना है। कलाकृतियों से शाति और सद्भाव का सदेश देना है। बात पाटलिपुत्र इंडस्ट्रीयल एरिया स्थित 'रंग-विकल्प' स्टूडियो की हो रही है। 32 कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों की प्रदर्शनी ललित कला अकादमी परिसर में की जाएगी। इससे कलाकारों की पहचान होने के साथ उन्हें आर्थिक सहयोग भी मिलेगा।
दोपहर के तीन बज रहे हैं। रंग विकल्प स्टूडियो में कलाकारों की भीड़ लगी है। सभी मिट्टी में जान फूंकने में लगे हैं। कोई बेटियों के बचपन और उनके सस्कार को कलाकृति में दिखाने का प्रयास कर रहा है तो कोई भगवान बुद्ध और कबूतर की कलाकृति बना शाति और सद्भाव का वातावरण स्थापित करने में लगा है। कोई आम इंसान की बदहाल जिंदगी को बया करने में लगा है तो कोई कलाकृति के जरिए बिहार की लोक सस्कृति और इतिहास को दर्शाने का प्रयास कर रहा है। कलाकृतियों का निर्माण कार्य पूरा करने के बाद कलाकारों की प्रतिभा का प्रदर्शन बिहार ललित कला अकादमी परिसर में होगा। कलाकृति की प्रदर्शनी के दौरान कला प्रेमियों के लिए बिक्री के लिए रखा जाएगा। जिससे कलाकारों की पहचान होने के साथ उन्हें आर्थिक सहयोग भी मिलेगा। रंग विकल्प की ओर से वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें पटना एव प्रदेश के विभिन्न जिलों से 32 कलाकारों ने वर्कशॉप में भाग लेकर मूर्तिया बनाई।
वर्ष 2006 से आयोजित हो रही वर्कशॉप, कला को दे रहे पहचान
कलाकारों को बेहतर मच मुहैया करने के लिए रंग विकल्प सस्था बीते 12 सालों से नियमित वर्कशॉप का आयोजन करती आ रही है। रंग विकल्प सस्था के वरिष्ठ कलाकार सन्यासी रेड की मानें तो बिहार की शिल्प कला काफी समृद्ध रहा है। मौर्या, पाल, गुप्त आदि काल में भी बिहार की शिल्प कला अपनी महत्ता रखी है। ऐसे में बिहार की शिल्प कला को जीवित रखने एव राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कला की पहचान दिलाने के लिए जो भी प्रयास हो सस्था के माध्यम से किया जाता रहा है। बिहार में शिल्प कलाकारों के वर्कशॉप के लिए जगह नहीं थी ऐसे में कला को समृद्ध बनाने एव कलाकारों को मच मुहैया कराने के उद्देश्य से वर्कशॉप का आयोजन नियमित हो रहा है। रेड बताते हैं कि वर्कशॉप में कलाकारों द्वारा तैयार मूर्तियों को शहर के विभिन्न जगहों में प्रदर्शनी लगाकर उन्हें बेहतर मच देने के साथ उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का छोटा सा प्रयास है। वर्कशॉप का सारा खर्च रंग विकल्प उठा रहा है। कलाकारों को सिर्फ अपनी कलाकृतियोंका निर्माण करना होता है।
एक-दूसरे से सीखने का मौका
वर्कशॉप में आने वाले वैसे तो सभी वरिष्ठ कलाकार हैं। जिसमें कई राज्य पुरस्कार प्राप्त कलाकार भी हैं। वर्कशॉप का उद्देश्य न केवल मूर्तियों का निर्माण करना है बल्कि एक-दूसरे कलाकार से कला की बारीकी भी सीखना है। वरिष्ठ कलाकार सन्यासी रेड ने कहा कि कितना भी बड़ा कलाकार हो वो ताउम्र सीखता है। वर्कशॉप के दौरान सभी एक दूसरे का सहयोग करने के साथ उसे बेहतर बनाने का प्रयास एक दूसरे को देख करते है। जिससे कलाकारों को काफी कुछ सीखने का मौका मिलता है।
बाल सस्कार को बढ़ावा देने का उद्देश्य
खुसरूपुर पटना से आए शशिकात कुमार कलाकृति के जरिए बेटियों में सस्कार देने में लगे है। शशिकात की कलाकृति में पत्थर पर बैठी लड़की मसाला पीसते नजर आ रही है। जिसमें बेटियों के बचपन से दिए जाने वाले सस्कार को दिखाया गया है।
कलाकृति में बिहार का स्वर्णिम इतिहास
वरिष्ठ कलाकार सन्यासी रेड कला के माध्यम से बिहार के गौरवशाली इतिहास को बया कर रहे है। कलाकृति में अशोक स्तभ, सम्राट अशोक, चद्रगुप्त और सूबे की मि˜ी दिखा रहे है।
बयां कर रहे प्रकृति और पुरुष का सबध
गया के इंद्रदेव भारती कला के माध्यम से प्रकृति और पुरुष के सबध को बया कर रहे है। प्रकृति और पुरुष के मिलन से नए पौध का जन्म जीवन चक्र को दर्शाता है।
कलाकृतियों में दिख रहा मा और बेटे का प्यार
ससार के सभी जीवों में मा और बेटे का प्यार सबसे अलग होता है। आरा से आए रूपेश की माने तो कलाकृति में जलपरि को केंद्रित कर मूर्ति का निर्माण कर रहे हैं जिसमें मा और बेटे के प्रेम को दिखाया गया है।
बोझ तले दबी दिख रही आम इंसान की जिंदगी
परसा बाजार के पकज कुमार पीटर अपनी कलाकृति में बैल के जरिए आम इंसान की कहानी को बया कर रहे है। इंसान पूरी जिदंगी बैल की तरह काम करने के साथ परिवार और समाज का बोझ उठाता है। जब वह थक जाता है तो उसे पूछने वाला कोई नहीं।
पेड़ की छाव में आम आदमी की कहानी
मुंगेर से आए सत्यजीत बताते हैं कि अपनी कला के जरिए आम इंसान की जिंदगी को बया कर रहे हैं। आम आदमी जब थका-होता है तो सुकून की तलाश में पेड़ के नीचे बैठने का प्रयास करता है।
विज्ञान के विकास में प्रकृति का क्षरण
छपरा के आदित्य मूर्ति से विज्ञान के विकास के साथ प्रकृति का क्षरण को दिखा रहे है। आदित्य की मानें तो विज्ञान की उपयोगिता ने प्रकृति का दोहन कर उसके सतुलन को बिगाड़ दिया है।
दिख रहा महिला पुरुष का मधुर संबंध
पटना सिटी से आए शशाक अपनी कलाकृति में पुरुष और महिलाओं के मधुर सबध को दिखाया है। एक दूसरे को प्रेम करते नजर आ रहे हैं। शशाक की माने तो बिना प्रेम की दुनिया अधूरी है।
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