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मिशन 2019: राहुल गांधी की चिंता, बिहार कांग्रेस में कायम हो सामाजिक संतुलन

बिहार कांग्रेस में सामाजिक संतुलन कायम करना एक समस्‍या बनकर खड़ी है। इसे लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राहुल गांधी भी चिंतित है। पूरा मामला जानिए इस खबर में।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 08:43 PM (IST)Updated: Wed, 24 Oct 2018 12:01 PM (IST)
मिशन 2019: राहुल गांधी की चिंता, बिहार कांग्रेस में कायम हो सामाजिक संतुलन
मिशन 2019: राहुल गांधी की चिंता, बिहार कांग्रेस में कायम हो सामाजिक संतुलन

पटना [एसए शाद]। बिहार कांग्रेस में संगठन के विभिन्न स्तर पर सामाजिक संतुलन कायम करना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। पिछले माह दिल्ली में प्रदेश के नेताओं के साथ हुई बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी इस सिलसिले में अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं।

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उन्होंने पिछड़ों एवं अतिपिछड़ों के बेहतर प्रतिनिधित्व की ओर इशारा करते हुए कहा था कि संगठन 'वेल बैंलेंस्ड' रहे तो बेहतर है। आने वाले दिनों में प्रदेश में कई कमेटियों के गठन से लेकर हाल में बनी 22 सदस्यीय वर्किंग कमेटी का विस्तार होना है।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि 18 सितंबर को नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में डा. मदन मोहन झा की नियुक्ति के साथ हुई कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति और परामर्शी समिति एवं कार्य समिति के गठन में बहुत हद तक सामाजिक संतुलन का ख्याल रखा गया है।

मगर, पूर्व में बिहार से अखिल भारतीय कांग्रेस समिति(एआइसीसी) के सदस्य बनाए जाने के क्रम में भूमिहार जाति  से सर्वाधिक सदस्य बनाए गए, जबकि 1990 के बाद से ही इस जाति का पार्टी के प्रति झुकाव अपेक्षित रूप से कम रहा है। कुल 137 में से 31 इसी समुदाय के सदस्य हैं।

पिछड़ी जाति में शामिल कुर्मी से सिर्फ दो, अतिपिछड़े से दो, अनुसूचित जाति से 16 और वैश्य से चार सदस्य हैं। अल्पसंख्यक समुदाय से बेहतर प्रतिनिधित्व है। करीब 25 सदस्य इस समुदाय से शामिल हैं। महिलाएं भी बहुत कम करीब एक दर्जन ही हैं।

इसके अलावा, पूर्व में जहां 15-15 वर्ष का अनुभव रखने वाले एआइसीसी के सदस्य नहीं बन पाते थे, वहीं इस दफा एक साल तक के अनुभव रखने वालों को जगह दी गई है। ऐसा भी कुछ उदाहरण हैं कि जो प्रदेश कांग्रेस समिति के सदस्य तो नहीं बन सके, लेकिन एआइसीसी के अभी सदस्य हैं। 

राहुल गांधी के साथ पिछले माह दिल्ली में हुई बैठक में कुछ वरिष्ठ नेताओं के अलावा नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष और वे नेता भी मौजूद थे, जिन्हें संगठन में नई जिम्मेदारी दी गई थी। पार्टी सूत्रों की मानें तो बैठक में अतिपिछड़ों की बिहार की राजनीति में अहम भागीदारी की बात उठी थी।

बताते चलें कि 2005 में नीतीश कुमार को सत्ता में लाने में इस समुदाय की सक्रिय भूमिका रही थी। बैठक में शामिल कई नेताओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि राहुल गांधी ने अतिपिछड़ों एवं पिछड़ों को साथ लेकर चलने पर जोर दिया था। साथ ही सामूहिक नेतृत्व की भी चर्चा की थी। उनका कहना था कि बिहार में इसी के मद्देनजर एक प्रदेश अध्यक्ष के अलावा चार कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष की इस बार नियुक्ति की गई है। 

आने वाले दिनों में प्रदेश में उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव, संगठन सचिव, कोषाध्यक्ष के अलावा जिला स्तर पर पदाधिकारियों की नियुक्ति की जानी है। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा ने सामाजिक संतुलन को आवश्यक करार देते हुए कहा कि इस पर पार्टी का हमेशा से ध्यान रहा है। हम केवल समुदाय ही नहीं क्षेत्र के आधार पर भी संगठन में संतुलन बनाते हैं। हर उस व्यक्ति को मौका दिया जाता है जो पार्टी के लिए उपयोगी हो।


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