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सावधान! खर्राटे हो सकते हार्ट अटैक के लक्षण, अब पटना के IGIMS में कराएं जांच व इलाज

अगर सोते समय आप खर्राटे लेते हैं या असमय झपकी आती है तो यह खबर खास आपके लिए है। इसके कारणों की जांच अब पटना में भी संभव है। पटना के आइजीआइएमएस में इसके लिए मशीन मंगाई गई है।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 07:34 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 11:39 PM (IST)
सावधान! खर्राटे हो सकते हार्ट अटैक के लक्षण, अब पटना के IGIMS में कराएं जांच व इलाज
सावधान! खर्राटे हो सकते हार्ट अटैक के लक्षण, अब पटना के IGIMS में कराएं जांच व इलाज

पटना [जेएनएन]। अगर आप सोते समय खर्राटे लेते हैं तो इसका कारण हृदय रोग (Heat Disease) हो सकता है। वाहन चलाते (Driving) या किसी से बात करते हुए झपकी आती है, जब भी सावधान हो जाएं। यह भी बीमारियों का संकेत हो सकता है। लेकिन राहत की बात यह है कि अब पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्‍थान (IGIMS) में इसकी जांच हो सकती है। अगले सप्‍ताह तक इसकी जांच मशीन वहां काम करने लगेगी।

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तेज खर्राटे लेेेेने वालों में हार्ट अटैक का खतरा अधिक

हंगरी में हुए एक अध्‍ययन में पता चला हैै कि तेज़ खर्राटे लेेेेने वालों में हार्ट अटैक का खतरा समान्‍य लोगों की तुलना में एक तिहाई से अधिक होता है। शोध के अनुसार जो लोग धीरे-धीरे खर्राटे लेते हैं, उनमें हार्ट अटैक के खतरे में कोई वृद्दि नहीं होती है।

माटापे या पारासोम्निया बीमारी में भी आते खर्राटे

आइजीआइएमएस के चिकित्‍सक डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि माटापे के कारण या पारासोम्निया नामक बीमारी में खर्राटे आते हैं। शरीर में मिलाटोनिन नामक रसायन की कमी के कारण भी ऐसी समस्‍या उत्‍पन्‍न होती है। सर्वाधिक खतरनाक तो वाहन चलाते वक्‍त झपकी आना है। अब इन समस्‍याओं का निदान मशीन से जांच के बाद संभव हो सकेगा।

बिहार के किसी सरकारी अस्पताल में पहली मशीन

डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि इन समस्‍याओं की जांच के लिए आइजीआइएमएस के न्यूरोलॉजी विभाग में पॉलीसोमनोग्राफी मशीन मंगाई गई है। बिहार के किसी सरकारी अस्पताल में यह ऐसी पहली मशीन है। अस्‍पताल इस जांच का क्‍या शुल्‍क लेगा, यह अभी तय नहीं किया गया है। हालांकि, शुल्‍क कम ही रखा जाएगा।

जांच के लिए मरीज काे रात में अस्पताल में ही रुकना हाेगा

रातभर मरीज के गतिविधियां रिकार्ड करेगी मशीन

जांच के लिए मशीन को रात में मरीज के शरीर में लगाया जाएगा। मरीज की गतिविधियों को मशीन रातभर रिकार्ड करेगी, फिर उसके आधार पर डाॅक्टर बीमारी की पहचान करेंगे।


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