होली में शराबबंदी की हवा निकालने में जुटे तस्कर, ऐसे लाई जा रही करोड़ों की शराब
होली को लेकर बिहार में शराब तस्कर सक्रिय हो गए हैं। राज्य में शराबबंदी को देखते हुए बाहर से करोड़ों की शराब मंगाई जा रही है। तस्करों के इस खेल को जानने के लिए पढ़ें यह खबर।
पटना [जेएनएन]। रंगों और खुशियों का पर्व होली अब करीब आ गया है। ऐसे में शराब के तलबगारों की प्यास बुझाने और मुनाफाखोरी के धंधे को चमकाने के लिए शराब के तस्कर भी सक्रिय हो गए हैं। वे हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड व पश्चिम बंगाल जैसे बाहरी राज्यों से चोरी-छिपे करोड़ों की शराब की खेप मंगाकर रकम दोगुनी करने की पूरी तैयारी कर चुके हैं।
शराबबंदी लागू होने की वजह से तस्करों के लिए बिहार बड़ा 'बाजार' बन गया है। हालांकि, होली पर्व को देखते हुए शराब तस्करों से निपटने के लिए पुलिस ने भी पूरी चाक-चौबंद व्यवस्था की है, लेकिन तस्करी के कारोबार में उतरे लोग चौकसी को धता बता धड़ल्ले से अपने धंधे को अंजाम तक पहुंचा रहे हैं। छोटे तस्कर शराब की खेप स्टोर कर रहे तो बड़े माफिया कंटेनर और ट्रकों के जरिये बॉर्डर पार कराने की फिराक में हैं।
सूत्रों की मानें तो जेल जाने का जोखिम अब आसानी से मैनेज हो रहा है। दरअसल, पकड़े जाने पर तस्कर मुंहमांगी रकम अदा कर रहे हैं। पिछले वर्ष होली के पूर्व भी पुलिस और मद्य निषेध विभाग की छापेमारी में कंटेनर, ट्रक और गोदामों में शराब का खेल उजागर हो चुका है।
ऐसे चल रहा मुनाफे का खेल
सूत्रों की मानें तो एक बोतल शराब मंगाने पर सभी खर्च जोड़कर औसतन 600 रुपये की लागत आ रही है। यही माल सेल्समैन के माध्यम से बाजार में 1400 रुपये में बिक रहा है। झारखंड की शराब तो 1600 रुपये तक में बिक रही है।
सभी ने बदला रूट
ट्रेन से शराब लाने वाले कारोबारी अब पटना जंक्शन के बजाए पहले हॉल्ट या छोटे स्टेशन पर उतर कर पतली गली पकड़ लेते हैं। बक्सर की ओर से आने वाले लोग दानापुर, सचिवालय या फुलवारीशरीफ में उतर जाते हैं। वहीं गया की ओर से आने वाले परसा बाजार व पुनपुन स्टेशन को सुरक्षित मानकर शराब खपा रहे हैं। एक ट्रेन में कम से कम 40 से 50 वेंडर अलग-अलग कोचों में शराब का कार्टन छिपाए बैठे होते हैं। ट्रॉली बैग या एयर बैग में बोतलें भरी होती हैं।
ऐसे आ रहा कंटेनर
होली में शराब की तस्करी को देखते हुए झारखंड की सीमा पर कड़ा पहरा है। सूत्रों की मानें तो शराब तस्करों का माल पार कराने में स्थानीय बिचौलिए भी शामिल हैं। शराब भरे कंटेनर या ट्रक को स्थानीय चालक सौदा तय कर मंजिल तक पहुंचाते हैं। नवादा, नालंदा, गया, रोहतास, कैमूर, बक्सर और भोजपुर तक कंटेनरों से शराब पहुंचने के बाद उसे छोटी गाडिय़ों से अलग-अलग कारोबारियों के पास पहुंचाई जा रही है।
शहरी क्षेत्रों में भी उतर रही शराब
सूत्रों की मानें तो तस्कर तय ग्राहकों से होली में शराब परोसने के लिए एडवांस में रकम ले चुके हैं, तो बड़े शराब माफिया छोटे तस्करों की मांग पर पूरी खेप उतारने में जुटे हैं। सूत्रों की मानें तो किश्तों में शराब जिले में पहुंच रही है। शहरी क्षेत्र के थाने जैसे जक्कनपुर, एसके पुरी, पत्रकार नगर, गर्दनीबाग और बेउर आदि इलाकों में शराब तस्कर ज्यादा सक्रिय हैं। जबकि ट्रकों से शराब पड़ोसी जिलों में पहुंच रही है। वहां से छोटे वाहनों के माध्यम से तस्करी हो रही है।
पिछले साल होली के पूर्व बरामद शराब की खेप
- फरवरी में सिवान के मुफस्सिल थाने ने कचहरी रेलवे स्टेशन के समीप दो चौपहिया वाहनों में लदी 2250 बोतल शराब को बरामद किया था।
- मुजफ्फरपुर के अहियापुर थाना क्षेत्र से एसटीएफ ने एक ट्रक विदेशी शराब बरामद की। इस शराब को होली में खपाने की तैयारी थी।
- बहादुरपुर थाना क्षेत्र की न्यू कुंज कॉलोनी में 170 बोतल अंग्रेजी दारू बरामद की गई। होली में डिमांड को देखते हुए शराब मंगाई गई थी।
- कंकड़बाग की डॉक्टर्स कॉलोनी स्थित गैराज में पिछले साल होली के पहले 28 फरवरी को विधिवत बार पकड़ा गया था।
असली के दाम पर बिक रही नकली शराब
अपर पुलिस अधीक्षक सह नोडल अफसर राकेश कुमार दुबे के मुताबिक पूर्व में पकड़ी गई हरियाणा व पंजाब की शराब का बैच नंबर मिलान के लिए पटना पुलिस की टीम वहां गई थी। मालूम हुआ कि उक्त बैच नंबर की शराब न तो कंपनी ने तैयार की थी और न ही डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से बेची गई। ऐसे में माना गया कि जब्त अधिकांश शराब नकली है, जिनकी री-बाटलिंग और री-पैकिंग की जा रही है। सूत्रों के अनुसार हाल में जब्त की गई हरियाणा निर्मित शराब की जांच में एफएसएल ने सनसनीखेज खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक शराब के सैंपल में यूरिया मिली थी। विशेषज्ञों की मानें तो यूरिया का सेवन करना जानलेवा हो सकता है।