मर्दानगी बढ़ाती मर्सिडीज व BMW से महंगी यह छिपकली, चीन ले जाते तस्कर गिरफ्तार
दुर्लभ प्रजाति की टोको छिपकलियों की मांग चीन व दक्षिण पूर्व एशिया में काफी है। इनसे नपुंसकता दूर करने व कैंसर की दवाएं बनतीं हैं। ऐसी चार छिपकलियों के साथ एक तस्कर पकड़ा गया है।
पटना/ किशनगंज [जागरण टीम]। एक छिपकली की कीमत क्या हो सकती है? लाख-दो लाख या हद-से-हद पांच लाख? आपका अनुमान अगर अधिक उदार हुआ तो शायद 10 लाख। लेकिन, आप जानकर हैरत में पड़ जाएंगे कि एक छोटी सी छिपकली एेसी भी है, जिसकी कीमत करोड़ों में है। मर्सिडीज व बीएमडब्ल्यू आदि लग्जरी कारों से भी अधिक कीमत की इस 'गीको' या 'टोको' छिपकली का उपयोग मर्दानगी बढ़ाने वाली दवाओं के निर्माण में होता है। एसएसबी 41वीं बटालियन के जवानों ने पश्चिम बंगाल सीमावर्ती किशनगंज में 4.5 करोड़ की ऐसी पांच छिपकलियों के साथ एक तस्कर को गिरफ्तार किया है।
जानकारी के अनुसार एसएसबी 41वीं बटालियन के जवानों ने रविवार की सुबह छापेमारी कर 4.5 करोड़ की पांच टोके छिपकलियों के साथ एक तस्कर अमर सरकार को गिरफ्तार किया है। एसएसबी ने यह कार्रवाई किशनगंज सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी में की है। बरामद छिपकलियों को वन विभाग सौंपा जा रहा है। बताया जाता है कि तस्करी की छिपकलियों को चीन भेजा जाने वाला था।
नपुंसकता से लेकर कैंसर तक के इलाज में होता उपयोग
'गीको' एक दुर्लभ छिपकली है, जो ‘टॉक-के’ जैसी आवाज़ निकालने के कारण 'टोको' भी कही जाती है। इसके मांस से नपुंसकता, डायबिटीज, एड्स और कैंसर की परंपरागत दवाएं बनाई जाती हैं। इसका इस्तेमाल मर्दानगी बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। खासकर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में इसकी बेहद मांग है। चीन में भी चाइनीज ट्रेडिशनल मेडिसिन में इसका उपयोग किया जाता है।
करोड़ों में बिकतीं ये छिपकलियां
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऐसी एक छिपकली की कीमत एक करोड़ रुपये तक है। यह छिपकली दक्षिण-पूर्व एशिया, बिहार, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पूर्वोत्तर भारत, फिलीपींस तथा नेपाल में पाई जाती है। जंगलों की निरंतर कटाई होने की वजह से यह खत्म होती जा रही है। रविवार को बरामद तीन छिपकलियाें की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में साढ़े चार करोड़ से अधिक बताई जा रही है।