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बिहार की श्रेयसी को मिला अर्जुन पुरस्कार, मां बोलीं- पिता को दी सच्‍ची श्रद्धांजलि

गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड हासिल करने वाली शूटर श्रेयसी को मंगलवार को अर्जुन अवॉर्ड से सम्‍मानित किया गया। आइए जाने श्रेयसी के संबंध में कुछ खास बातें।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 07:23 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 08:23 PM (IST)
बिहार की श्रेयसी को मिला अर्जुन पुरस्कार, मां बोलीं- पिता को दी सच्‍ची श्रद्धांजलि
बिहार की श्रेयसी को मिला अर्जुन पुरस्कार, मां बोलीं- पिता को दी सच्‍ची श्रद्धांजलि

पटना/ जमुई [जागरण टीम]।  देश की स्टार निशानेबाज श्रेयसी सिंह को मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रतिष्ठित अर्जुन अवार्ड से सम्‍मानित किया। वे जमुई की मूल निवासी तथा यह पुरस्कार पाने वाली बिहार की चौथी और एकमात्र महिला खिलाड़ी हैं। इसके पूर्व बिहार की ओर से फुटबॉल के दिग्गज सी. प्रसाद, एथलीट शिवनाथ सिंह और राजेश चौधरी (नौकायन) को यह पुरस्कार मिल चुका है।
श्रेयसी ने कहा कि एक खिलाड़ी के लिए इससे बड़ा सम्मान कोई और नहीं सकता। यह मुकाम हासिल करने में उनके पिता स्व. दिग्विजय सिंह की अहम भूमिका रही। उनके जाने के बाद मां ने पिता की कमी महसूस नहीं होने दी और साए की तरह साथ रहकर इस मुकाम तक पहुंचाया। मां व पूर्व सांसद पुतुल सिंह ने कहा कि देश के लिए पदक जीत और फिर प्रतिष्ठित अर्जुन अवार्ड हासिल कर श्रेयसी ने दिवंगत पिता को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।
उधर, श्रेयसी के जमुई स्थित पैतृक गांव गिद्धौर सहित जमुई व पूरे राज्‍य में खेल प्रेमियों व खिलाडिय़ों में जश्न का माहौल है। जमुई स्थित पैतृक घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है।

डबल ट्रैप इवेंट्स में करतीं भारत का प्रतिनिधित्व
गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीत अर्जुन पुरस्कार पाने का हकदार बनी श्रेयसी का जन्म 29 अगस्त 1991 में हुआ था। उनके दादा कुमार सुरेंद्र सिंह और पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह अपने जीवन काल में राष्ट्रीय रायफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे थे। श्रेयसी दिल्ली के हंसराज कॉलेज की छात्रा हैं और वहीं पर शूटिंग का प्रशिक्षण भी लेती हैं। वे शूटर के रूप में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय डबल ट्रैप इवेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व करती आ रही हैं।

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2010 से शुरू हुआ कामयाबी का सफर
2010 के दिल्ली कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में उन्होंने सबसे पहले रजत पदक जीता। उसी साल श्रेयसी ने दिल्ली में ही राष्ट्रमंडल खेलों में सिंगल्स और डबल ट्रैप में भाग लिया। उसमें वे सिंगल्स में छठे और डबल ट्रैप में पांचवें स्थान पर रही थीं। इसके पूर्व मैक्सिको में 2013 में आयोजित ट्रैप शूटिंग वर्ल्‍ड कप में भारतीय टीम की सदस्य के रूप में वह 15वें पायदान पर रही थींं।
2014 में स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने शूटिंग में रजत पदक अपने नाम किया था। उसी साल इंचियोन एशियाड में कांस्य पदक जीता।
2017 में ब्रिसबेन में आयोजित कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में डबल ट्रैप में श्रेयसी ने रजत पदक पर निशाना साधा। आखिरकार इस साल ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में श्रेयसी को वह सफलता मिली, जिसका उन्हें सालों से इंतजार था। डबल ट्रैप में उन्होंने मेजबान खिलाड़ी को शूटआउट में पछाड़कर स्वर्ण पर कब्जा जमाया।
कहा: दोगुने उत्साह से करूंगी मेहनत
वर्तमान में श्रेयसी 2020 ओलंपिक में क्वालीफाई करने पर ध्यान केन्द्रित कर रही हैं। ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना और खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पाना श्रेयसी का सपना है।
श्रेयसी ने अर्जुन पुरस्कार के लिए चुने जाने पर खुशी जताते हुए कहा था कि गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद एशियाड और दक्षिण कोरिया में विश्व चैंपियनशिप में जो निराशा हाथ लगी थी, उससे उबरने में और ओलंपिक की राह आसान करने में यह पुरस्कार मदद करेगा। 2022 ओलंपिक क्वालीफाइंग में अब भी एक साल का समय है और मैं दोगुने उत्साह के साथ अर्जुन की तरह उस लक्ष्य को पाने का प्रयास करूंगी।
अब ओलंपिक में पदक है सपना
पिछले 29 अगस्त को खेल दिवस पर बिहार सरकार की ओर से राज्य श्रेष्ठ सम्मान और अब अर्जुन पुरस्कार पाने के बाद अगला टारगेट आपका क्या है, इसपर हाल ही में श्रेयसी ने कहा कि ओलंपिक में पदक और सम्मान में राजीव गांधी खेल रत्न पाने का सपना है। मैं अपने सपने का साकार करने के लिए जमकर मेहनत करूंगी।
खूब मेहनत करें बिहार के खिलाड़ी
बिहार के खिलाडिय़ों ने लिए संदेश देते हुए श्रेयसी ने कहा कि वे खूब मेहनत करें। मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती। उन्होंने कहा कि बिहार के खिलाडि़यों को अगर उनकी जरूरत होगी तो वे हमेशा तैयार हैं। बिहार आने के बारे में श्रेयसी सिंह ने कहा था कि अभी वे नई दिल्ली में  शूटिंग पर फोकस कर रहीं हैं। दशहरा में घर जमुई आएंगी।
जमुई में जश्‍न का माहौल
श्रेयसी जब दशहरा में जमुई जाएंगी, जब उनका वहां भव्‍य स्‍वागत तय है। पूरे जमुई में उनकी सफलता का रोमांच सिर चढ़कर बोल रहा है। पैतृक गांव गिद्धौर सहित जमुई के अन्य हिस्सों में मंगलवार को खेल प्रेमियों, खिलाडिय़ों व श्रेयसी और उनके परिवार के शुभचिंतकों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई तथा अबीर-गुलाल और पटाखों के बीच जश्न मनाया।
मां की खुशी भी सातवें आसमान पर
श्रेयसी की मां पूर्व सांसद पुतुल सिंह बेटी को मिले अर्जुन अवार्ड की खुशी से अभिभूत हैं। कहती हैं कि किसी भी मां के लिए संतान की उपलब्धि से बढ़कर कुछ भी नहीं होता है। देश के लिए पदक जीतना और फिर प्रतिष्ठित अर्जुन अवार्ड हासिल कर श्रेयसी ने आठ वर्ष पूर्व दिवंगत हुए पिता को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। आज वे होते तो शायद इस खुशी के क्षण में कुछ और ही होता।
इन्‍हें मिले अर्जुन पुरस्‍कार
नीरज चोपड़ा (एथलेटिक्स), जिसेन जॉनसन (एथलेटिक्स), हिमा दास (एथलेटिक्स), एन सिक्की रेड्डी (बैडमिंटन), सतीश कुमार (बॉक्सिंग), स्मृति मंधाना (क्रिकेट), शुभंकर शर्मा (गोल्फ), मनप्रीत सिंह (हॉकी), सविता (हॉकी), रवि राठौड़ (पोलो), राही सरनोबत (शूटिंग), अंकुर मित्तल (शूटिंग), श्रेयसी सिंह (शूटिंग), मनिका बत्रा (टेबल टेनिस), जी साथियान (टेबल टेनिस), रोबन बोपन्ना (टेनिस), सुमित (रेसलिंग), पुजा कादियान (वूशू), अंकुल धामा (पारा-एथलिट), मनोज सरकार (पारा-बैडमिंटन)।


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