चांद दिखाओ तो अंगुली देखते रह जाते लोग : सत्यपाल मलिक
हमें फक्र है कि हमारे चीफ मिनिस्टर क्राइम और करप्शन के प्रति जीरो टॉलरेंस रखते है। राज्यपाल सत्पाल मलिक ने एनआइटी में अपनी बातें रखी।
पटना [जेएनएन]। हमें फक्र है कि हमारे चीफ मिनिस्टर क्राइम और करप्शन के प्रति जीरो टॉलरेंस रखते हैं। मेरी मंशा किसी की आलोचना करना नहीं है। एक कहावत है कि किसी को चांद दिखाओ तो कई बार लोग अंगुली देखते रह जाते हैं। वे चांद नहीं देखते।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रविवार को एनआइटी के दीक्षा समारोह पर अपनी बात की शुरुआत कुछ इन्हीं शब्दों से की। उन्होंने कहा कि बीते दिनों छात्र संघ के कार्यक्रम में गया था। मैंने छात्राओं से कहा कि यदि उनके साथ कोई ज्यादती होती है तो राजभवन को बता सकती हैं। दो-तीन मामले आए थे जिसमें हमने सरकार और प्रशासन के माध्यम से हस्तक्षेप किया था। मेरी सरकार के मुखिया नीतीश कुमार हैं। मुझे फक्र है कि हमारा सीएम क्राइम और करप्शन के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति रखते हैं। मेरी मंशा आलोचना और समानांतर पुलिस हेडक्वार्टर बनाने की नहीं थी लेकिन मीडिया में जो बातें चलाई गई वह चांद दिखाने पर अंगुली देखने जैसी थीं। जिसके पास उन्नत तकनीक है वही दुनिया में सबसे ताकतवर होगा। रुपये-पैसे, बम और फौज साइबर ज्ञान के आगे काम नहीं आएगी। बिहार कुछ मायने में भले ही गरीब हो, लेकिन प्रतिभा के मामले में सबसे अमीर है। ये बातें राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रविवार को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) के सातवें दीक्षा समारोह में कहीं। संस्थान के निदेशक पीके जैन ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धे और राजभवन के प्रधान सचिव विवेक सिंह उपस्थित थे।
राज्यपाल ने कहा कि सिलकॉन वैली बिहार की देन है। आज अमेरिका में बिहार की जो इज्जत है वह दुबई में नहीं है। दुबई में लोग मजदूर बनकर जाते हैं। बराक ओबामा खुद कह चुके हैं कि यदि अमेरिका के युवा नहीं चेते तो बिहार के तकनीक से लैस लोगों की बराबरी में खड़े नहीं हो सकेंगे। देश का यह यह छठा सबसे पुराना इंजीनिय¨रग कॉलेज है। इस 18 वें एनआइटी ने राष्ट्र के विकास में बड़ा तकनीकी योगदान दिया है। दुनिया में इंसानियत का इतिहास 6000 साल का है। पिछले 50 सालों में देश ने जितनी तरक्की नहीं की उससे कही ज्यादा बीते पांच वर्षो में हुई है। इस्राइल, जिसके पास खेती के लिए अच्छी जमीन नहीं वह तकनीक के बूते पूरी दुनिया को हथियारों की आपूर्ति करता है। जर्मनी, जापान व अमेरिका भी तकनीक के सहारे ही विकास कर रहे हैं। पटना में विश्वेश्वरैया की प्रतिमा आप लोगों ने देखी होगी। आंध्र प्रदेश के रहने वाले पहले इंजीनियर थे। देश के लिए पहले डैम का निर्माण किया था। सिविल इंजीनिय¨रग डिग्रीधारियों को आज विश्वेश्वरैया बनने की जरूरत है। लेकिन, उन्हें ठेकेदार और नेताओं से टकराना होगा। आज एक एसडीओ के यहां छापे में इतना धन मिल रहा है जितना किसी मुख्यमंत्री के पास नहीं होता। देश, इमारत, रोड और पुल से नहीं हमारे चरित्र से बनेगा। दिल्ली में लोहे का एक पुल देखकर लोग आज भी कहते हैं कि अंग्रेजों ने क्या पुल बनाया था। पुल जस का तस है। आज निष्ठा और ईमानदारी से भी आपको पैसे मिल जाएंगे क्योंकि तकनीक आपके हाथों में है। राज्यपाल ने कहा कि बिहार में चाय की दुकानों पर भी जो बातें होती हैं वे सेंट्रल हॉल से बेहतर होती हैं। उन्होंने इस बात को महसूस किया और बीते दिनों प्रधानमंत्री से भी इसे साझा किया। राज्यपाल ने कहा कि एक बात अखरती है कि नोबेल पुरस्कार के मामले में बिहार पीछे है। इसके लिए प्रयास किए जाने चाहिए। उम्मीद है कि बिहार की बेटियां नोबेल लाएंगी। मुक्केबाजी, कुश्ती, शूटिंग समेत हर क्षेत्र में गोल्ड मेडल हासिल करने में लड़कियां आगे निकल रही हैं। लड़कों को भी बराबरी के लिए प्रयास करना चाहिए।