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पीएमसीएच में डायलिसिस चालू न करने पर विभागाध्यक्ष से मांगा स्पष्टीकरण

राजधानी के पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) में डायलिसिस चालू न करने पर नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष से मांगा गया स्पष्टीकरण।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 01:17 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 01:17 AM (IST)
पीएमसीएच में डायलिसिस चालू न करने पर विभागाध्यक्ष से मांगा स्पष्टीकरण
पीएमसीएच में डायलिसिस चालू न करने पर विभागाध्यक्ष से मांगा स्पष्टीकरण

पटना। राजधानी के पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) में डायलिसिस चालू न करने पर नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ.यशवंत सिंह से अधीक्षक डॉ. विमल कारक ने स्पष्टीकरण मांगा है। अधीक्षक का कहना है कि हाईकोर्ट के निर्देश पर भी 30 डायलिसिस मशीन को अब तक चालू नहीं किया जा सका है।

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पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ. विद्यापति चौधरी का कहना है कि पिछले वर्ष बिहार राज्य चिकित्सा सेवा एवं आधारभूत संरचना निगम द्वारा के पीएमसएच को 30 नई डायलिसिस मशीनें दी गई थीं, मगर उन मशीनों को अब तक चालू नहीं किया जा सका है। इससे मरीजों को काफी परेशानी होती है। पीएमसीएच में राज्य के कोने-कोने से मरीज आते हैं। यहां पर पहले से छह डायलिसिस मशीन कार्यरत थी। उसके बाद 30 नई मशीनें मंगाई गई। उन मशीनों को पिछले साल ही सेट कर दिया गया, मगर अब तक उन्हें चालू नहीं किया जा सका है। इसको लेकर सरकार काफी गंभीर है। इसके लिए सीधे तौर पर नेफ्रो विभाग के अध्यक्ष को जिम्मेदार माना जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री भी निर्देश दे चुके हैं, मगर उनके आदेश का भी पालन नहीं हुआ। राज्यभर से पीएमसीएच में आते हैं किडनी के मरीज

पीएमसीएच में राज्यभर से किडनी के मरीज आते हैं, मगर उनका डायलिसिस नहीं हो पा रहा है। वे निराश होकर घर लौटने को विवश होते हैं। पीएमसीएच में गरीब मरीज आते हैं। पैसे के अभाव में वे निजी अस्पतालों में नहीं जाते हैं। परिणामस्वरूप में बेमौत मरने को विवश हैं। सरकार ने पीएमसीएच को मशीन देकर अपनी जिम्मेदारी समाप्त मान ली और पीएमसीएच मशीन लेकर सो गया। सरकार के करोड़ों रुपये खर्च हो गए मगर उसका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है। फाइलों में अतिक्रमण मुक्त हो गया पीएमसीएच

पीएमसीएच राज्य के सबसे बड़ा अस्पताल होने के साथ-साथ सबसे अतिक्रमणयुक्त भी है। इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। पीएमसीएच प्रशासन अस्पताल को अतिक्रमण मुक्त करने की घोषणा करता है पर सच कुछ और ही है। कई जगहों पर अस्पताल प्रशासन स्वयं अतिक्रमण खड़ा किए हुए है। पीएमसीएच की इमरजेंसी के बगल में कई दुकानें लगी हैं। इसके अलावा पीएमसएच में चार कैंटीन खुले हैं। इसके बावजूद जगह-जगह दुकानें अस्पताल प्रशासन खुलवाए हुए हैं। पार्किंग स्थल में तब्दील हो जाता है पीएमसीएच

पीएमसीएच तो एक अस्पताल है,मगर 10 बजे के बाद यह एक पार्किंग स्थल में तब्दील हो जाता है। यहां पर अशोक राजपथ के दुकानदारों के वाहन लगे होते हैं। कई डॉक्टरों को भी यहां पर वाहन लगाने का मौका नहीं मिलता है। ऐसे में मरीज कहां अपना वाहन लगाएं अस्पताल प्रशासन बताने में असमर्थता जाहिर करता है। डॉक्टरों को वाहन पास जारी करने का निर्णय फाइलों में झूल रहा है।


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