फिटनेस में कमियां बनती हैं वाहन दुर्घटना की बड़ी वजह, जानें किन-किन कारणों से सड़क पर जा रही जान
राज्य में वाहनों की फिटनेस की अनदेखी के कारण हर वर्ष सैकड़ों लोग सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं। बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं वाहनों की जर्जर हालात के चलते होती है। वाहनों के लिए अनिवार्य सुरक्षा मानक जैसा कोई प्रावधान अभी तक नहीं बन पाया है।
पटना, जेएनएन। बिहार में वाहनों की फिटनेस की अनदेखी के कारण हर वर्ष सैकड़ों लोग सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं। बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं वाहनों की जर्जर हालात के चलते होती है। वाहनों के लिए अनिवार्य सुरक्षा मानक जैसा कोई प्रावधान अभी तक नहीं बन पाया है। वाहन चलाते हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते भी सैड़कों लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं। परिवहन विभाग और पुलिस के तमाम अंकुश व जुर्माना लगाने के बावजूद गाडिय़ों की फिटनेस को लोग तवज्जो नहीं देते हैं। यही वजह है कि गत वर्ष ही यानि 2019 में कुल 6731 सड़क दुर्घटनाओं में से 4131 ग्रामीण क्षेत्रों में व 2615 दुर्घटनाएं शहरी क्षेत्रों में हुई। बस और ट्रक जैसे बड़े वाहन में स्पीड गवर्नर नहीं होने की वजह से बड़ी दुर्घटनाएं घटती हैं
गंभीर चोटों से बचाव में इनकी भूमिका अहम
हेलमेट न पहनना या फिर सीट बेल्ट न लगाना दुर्घटनाओं का कारण भले ही न हो, पर गंभीर चोटों से बचाव में इनकी भूमिका अहम होती है। यातायात नियमों के उल्लंघन में सड़क पर चलते हुए लेन तोडऩा, गलत दिशा में गाड़ी चलाना, शराब पीकर या ड्रग्स का सेवन करके ड्राइविंग, मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए गाड़ी चलाना, रेड लाइट नजअंदाज करना और अन्य दूसरे मामले शामिल हैं।
2019 में सीट बेल्ट न लगाने से गई इतनी जान
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के बिहार से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि 2019 में सीट बेल्ट नहीं लगाने की वजह से वाहन दुर्घटनाओं 49 लोगों की जान गई। यह स्थिति तब जब देश में कुल गाडिय़ों के गत वर्ष हुए निबंधन में बिहार की हिस्सेदारी महज 2.9 फीसद है।
पटना में 49 वाहन दुर्घटनाओं में 30 लोगों की जान गई
आंकड़ों की बात करें तो यातायात नियम तोड़ने के कारण गत वर्ष देश के दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में पटना में 49 वाहन दुर्घटनाओं में 30 लोगों की जान चली गई। 2019 में गलत दिशा में जहां गाड़ी चलाने में 142 दुर्घटनाओं में 68 लोग मारे गए। वहीं, तेज गति में वाहन के अनियंत्रित होने से हुई 76 सड़क दुर्घटना में 40 लोग मौत के मुंह में समा गए। यही नहीं, वाहन दुर्घटना में से 16 में गाडिय़ों के पाट्र्स की चोट से पांच लोगों मारे गए।
मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी खतरनाक
एनसीएपी (न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम) टेस्ट में ज्यादातर भारतीय कारें फेल हो जाती हैं। व्यावसायिक बड़े वाहनों व छोटे वाहनों जैसे कार, साइकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल, जुगाड़ और तांगा जैसे वाहन के अप्रशिक्षित चालकों की वजह से दुर्घटनाएं घटती हैं। वाहन मालिक और ड्राइवर में जागरूकता की कमी व अज्ञानता के कारण फॉग लाइट, हेड लाइट, बैक लाइट, पाॄकग लाइट, कलर रिफ्लेक्टर का इस्तेमाल नहीं करते हैं। ड्राइविंग करते समय मोबाइल फोन का उपयोग भी सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण बनकर उभर रहा है। पिछले वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में अहम मौतों का कारण गाड़ी चलाते हुए मोबाइल फोन के उपयोग को माना गया है। यातायात विशेषज्ञ का कहना है कि गाडिय़ों की तेज रफ्तार भी सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण हैं। सड़क दुर्घटनाओं के लिए आमतौर पर ड्राइवर की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया जाता है।