नारी को 'शक्ति' बनाने में जुटी हैं शिखा
मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो हर मुश्किल रास्ता आसान हो जाता है। इसका सटीक उदाहरण हैं शिखा..
पिंटू कुमार, पटना। मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो हर मुश्किल रास्ता आसान हो जाता है। इसका उदाहरण हैं आरएमएस कॉलोनी की रहने वाली शिखा। वर्ष 2014 में 12वीं करने के बाद शिखा ने कराटे सीखने की शुरुआत की। दो सालों तक उन्होंने कराटे सीखा। उसके बाद उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर लड़कियों को मुफ्त में कराटे की ट्रेनिंग देनी शुरू की। वह अबतक 200 से अधिक लड़कियों को मुफ्त में कराटे की ट्रेनिंग दे चुकी हैं। इस नेक काम में उनके कोच सागर कुमार ली ने खूब मदद की। इनमें से कुछ लड़कियां तो राज्य स्तर के कराटे प्रतियोगिता में हिस्सा भी ले चुकी हैं। कंकड़बाग की शालिनी, रितिक्षा, दिव्या और कल्पना जैसी कई लड़कियां इस कड़ी का हिस्सा हैं। 2016 से लड़कियों को मुफ्त में ट्रेनिंग दे रही हैं : कराटे में ब्राउन बेल्ट हासिल कर चुकीं शिखा कहती हैं कि वे अपने हुनर को खुद तक सीमित नहीं रखना चाहती हैं। समाज में लड़कियां आज खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है। उन्हें आत्मरक्षा के गुर सीखाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जीवन भर आर्थिक रूप से कमजोर लड़कियों को कराटे की ट्रेनिंग देती रहेंगी।
स्वजनों ने कराटे सीखने से कर दिया था मना : 12वीं करने के बाद शिखा ने माता-पिता से कराटे सीखने के लिए अनुमति मांगी, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्हें मना कर दिया गया। इसके बावजूद उन्होंने अपना सपना नहीं तोड़ा। उन्होंने अपनी पॉकेट मनी से कराटे की ट्रेनिंग लेनी शुरू की। 2014 में 500 रुपये महीने की फीस देकर कराटे सीखना शुरू किया। दो सालों तक उन्होंने कराटे की ट्रेनिंग ली। बाद के दिनों में प्राइवेट स्कूलों में कराटे की ट्रेनिंग देकर खुद के लिए किट और ड्रेस का खर्च निकालना शुरू किया। अबतक छह राष्ट्रीय स्पर्धाओं में ले चुकी हैं हिस्सा : वह वर्ष 2016 से अबतक छह राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा ले चुकी हैं। 2018 में राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में सिल्वर मेडल और 2020 में यूनिवर्सिटी गेम में एक गोल्ड और एक सिल्वर मेडल उन्हें मिल चुका है। बिहार खेल सम्मान से हो चुकीं सम्मानित : वर्ष 2018 में बिहार सरकार के खेल सम्मान से भी वह सम्मानित हो चुकी हैं। इसमें सम्मान-पत्र के साथ ही उन्हें 50 हजार रुपये भी मिले थे।