सुपौल के शाहनवाज हुसैन बिहार में पहली बार बने मंत्री, कोसी में जदयू का चेहरा हैं लेसी सिंह
बिहार मंत्रिमंडल में शामिल किए गए अधिकांश चेहरे नए हैं। सीएम नीतीश के पहले कैबिनेट विस्तार में कल मंगलवार को 17 मंत्रियों ने शपथ ली है। जानिए पूरे 17 मंत्रियों के नाम काम और उपलब्धियां एक नजर में ।
पटना, राज्य ब्यूरो। कल मंगलवार (9 फरवरी ) को सीएम नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल का पहला विस्तार हुआ। भाजपा से नौ और जदयू के आठ मंत्रियों ने शपथ ली । पहले से कैबिनेट में 14 मंत्री थे। कैबिनेट विस्तार के बाद भाजपा कोटे से 16 और जदयू से 13 मंत्री हो गए। इसके अलावा एक-एक मंत्री हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और वीआइपी से हैं।
कैबिनेट में शामिल कई विधायक पहली बार मंत्री बनाए गए हैं। पढि़ए उनके नाम, काम और उपलब्धियां संक्षेप में।
नए मंत्रियों की प्रोफाइल
लेसी सिंह : कोसी में जदयू का प्रमुख महिला चेहरा। पति बूटन सिंह की हत्या के बाद से राजनीति में सक्रिय। 46 वर्षीय लेसी 2000 से ही विधायक रही हैं। इसके पहले भी नीतीश सरकार में समाज कल्याण मंत्री रह चुकी हैं। बिहार महिला आयोग की अध्यक्ष भी रही हैं। अररिया गर्ल्स कॉलेज से इंटर की पढ़ाई पूरी की है।
सुमित सिंह : 39 वर्षीय सुमित पहली बार मंत्री बने हैं। जमुई की चकाई सीट से महज 551 वोट से निर्दलीय चुनाव जीता और अब जदयू कोटे से मंत्री हैं। इनकी एक पहचान पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के बेटे के रूप में भी है। सुमित हिंदी विद्यापीठ देवघर से स्नातक हैं। कोई आपराधिक मुकदमा नहीं है।
संजय झा : जदयू के विधानपार्षद और राष्ट्रीय महासचिव हैं। राजनीतिक जीवन की शुरुआत भाजपा से की थी। नीतीश के करीबी होने के बाद जदयू में शामिल हो गए। 51 वर्षीय संजय दरभंगा-मधुबनी के साथ जदयू में प्रमुख ब्राह्मण चेहरा। एमए और एमबीए की डिग्री ली है। एनडीए की पिछली सरकार में जल संसाधन मंत्री के पद पर रह चुके हैं।
श्रवण कुमार : जेपी मूवमेंट के दौर से ही राजनीति में सक्रिय। नालंदा सीट से विधायक हैं। 63 वर्षीय श्रवण जदयू के पुराने और कद्दावर नेता हैं। समता पार्टी से ही नीतीश के करीबी। 1995 से अब तक सात बार विधायक रहे हैं। इसके पहले भी ग्रामीण विकास और संसदीय कार्य मंत्री रह चुके हैं।
मदन सहनी : दरभंगा के बहादुरपुर से जदयू विधायक हैं। इसके पहले गौड़ाबोरम सीट से विधायक चुने गए थे। 53 वर्षीय मदन जदयू के पुराने चेहरों में से एक। इसके पहले भी एनडीए सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रह चुके हैं। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा से स्नातक हैं।
जयंत राज : महज 33 वर्ष में मंत्री। कैबिनेट के सबसे युवा चेहरे। बांका के अमरपुर सीट से पहली बार विधायक चुने गए और पहली बार में ही मंत्री बनाया गया है। पिछड़े समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री। कोई भी आपराधिक मामला नहीं है।
जमां खान : जदयू कोटे से मंत्री। बसपा के टिकट पर कैमूर के चैनपुर से पहली बार चुनाव जीता। भाजपा के दिग्गज नेता और मंत्री बृजकिशोर बिंद को हराया। बाद में जदयू में शामिल हो गए। 47 वर्षीय जमां खान वाराणसी के आदर्श इंटर कॉलेज से 12वीं पास। आम्र्स एक्ट व हत्या के प्रयास समेत कई मामलों में एफआइआर।
सुनील कुमार : पूर्व आइपीएस और डीजी के पद से रिटायर सुनील कुमार जदयू कोटे से मंत्री बने हैं। गोपालगंज के भोरे सीट से चुनाव लड़कर पहली बार विधायक बने हैं। उन्होंने सुरक्षित सीट से भाकपा माले के जितेंद्र प्रसाद को 1026 वोट से हराया था। संत स्टीफेंस कॉलेज दिल्ली से एमए की डिग्री। कोई आपराधिक मामला नहीं।
शाहनवाज हुसैन : सुपौल के मूल रूप से रहने वाले शाहनवाज हुसैन पहली बार बिहार सरकार में मंत्री बनाए गए हैं। भाजपा के मुसलमान चेहरा होने के साथ राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। बिहार में भाजपा ने पहली बार किसी मुसलमान को एमएलसी बनाकर मंत्री बनाया है।
सम्राट चौधरी : भाजपा के कुशवाहा चेहरा हैं। राजद और जदयू के रास्ते भाजपा में आने बाद एमएलसी बनाकर मंत्री बनाए गए हैं। सम्राट के नाम बिहार में सबसे कम उम्र के मंत्री होने का रिकार्ड है। मुंगेर जिले के तारापुर के रहने वाले सम्राट चौधरी पूर्व में नगर विकास एवं आवास मंत्री रह चुके हैं।
प्रमोद कुमार : मोतिहारी से विधायक हैं। प्रमोद पर्यटन मंत्री एवं कला संस्कृति व खेलकूद मंत्री रह चुके हैं। खांटी कैडर के नेता माने जाते हैं। प्रमोद के नाम पांच बार मोतिहारी का प्रतिनिधित्व करने का रिकार्ड है। बाल स्वयंसेवक रहे हैं। पार्टी संगठन में जिला अध्यक्ष समेत विभिन्न पदों पर प्रतिनिधित्व किया है।
नितिन नवीन : राजधानी पटना में बांकीपुर विधानसभा सीट से लगातार चौथी बार विधायक चुने गए नितिन नवीन को पिता नवीन सिन्हा से विरासत में राजनीति मिली है। बिहार भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष, युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री रह चुके हैं। सिक्किम के संगठन प्रभारी और चुनाव प्रभारी और वर्तमान में छत्तीसगढ़ भाजपा के सह प्रभारी हैं। पहली बार मंत्री बनाए गए हैं।
जनक राम : गोपालगंज के पूर्व सांसद और भाजपा के प्रदेश महामंत्री हैं। वर्तमान में किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि राज्यपाल मनोनयन कोटे से एमएलसी बनाए जाएंगे। पहली बार मंत्री बनाए गए हैं। बसपा के रास्ते जनक राम को भाजपा में इंट्री मिली थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में जनक राम की सीट गठबंधन के कारण जदयू के खाते में चली गई थी।
नारायण प्रसाद : पश्चिमी चंपारण (बेतिया) जिले के नौतन से विधायक हैं। वैश्य में तेली समाज से आने वाले नारायण प्रसाद लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। तीन बार विधायक रह चुके हैं। पहली बार बसपा से विधायक चुने गए थे। पहली बार मंत्री बनाए गए हैं। भाजपा संगठन में विभिन्न पदों पर रहे हैं। भाजपा प्रदेश किसान मोर्चा में प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके हैं।
नीरज सिंह बबलू : पहली बार मंत्री बनाए गए हैं। पूर्णिया जिले के मलडीहा के रहने वाले और बॉलीवुड के दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के चचेरे भाई बबलू 2020 के विधानसभा चुनाव में पांचवीं बार छातापुर से विधायक चुने गए। भाजपा में आने से पहले आनंद मोहन की पार्टी बिहार पीपुल्स पार्टी और जदयू में रह चुके हैं। भाजपा से 2015 में जुड़े थे। पहली बार 2005 में जदयू से जीते थे।
आलोक रंजन झा :
पहली बार 2010 में भाजपा के टिकट पर सहरसा से विधायक चुने गए आलोक रंजन झा बाल स्वयं सेवक हैं। 2020 के चुनाव में पार्टी ने टिकट नहीं दिया। पार्टी में सहरसा जिले के जिलाध्यक्ष के अलावा विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। 2020 के चुनाव में राजद प्रत्याशी और पूर्व सांसद लवली आंनद को हराया 17वीं विधानसभा के सदस्य चुने गए।
सुभाष सिंह :
गोपालगंज जिले के गोपालगंज से विधायक सुभाष सिंह 2020 विधानसभा चुनाव में पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं। आनंद मोहन के दल बिहार पीपुल्स पार्टी से सुभाष ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया। पहली बार एनडीए सरकार में मंत्री बनाए गए हैं।