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मोर जिया ललचाए, झुलनी ला द हो बालम ..

एक ओर शिल्प कला के विविध कलाकृतियों के स्टॉल सजे हैं तो दूसरी ओर शिल्प कला के विभिन्न कलाकृतियां मन को मोह रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 11:36 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 11:36 PM (IST)
मोर जिया ललचाए, झुलनी ला द हो बालम ..
मोर जिया ललचाए, झुलनी ला द हो बालम ..

एक ओर शिल्प कला के विविध कलाकृतियों के स्टॉल सजे हैं तो दूसरी ओर शिल्प कला के विविध आयामों से जुड़ी कलाकृतियों की जीवंत प्रदर्शनी लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं। विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकार अपनी लोक कलाओं की प्रस्तुति कर राज्यों की लोक संस्कृति से लोगों को रूबरू कराने में लगे थे। गीत-संगीत नृत्य की उम्दा प्रस्तुति से पूरा परिसर गुलजार रहा। परिसर के अंदर और बाहर कलाओं के विभिन्न स्वरूप एक-एक कर कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है। कुछ ऐसा ही नजारा मंगलवार को प्रेमचंद रंगशाला परिसर में देखने को मिला। मौका था पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता की ओर से 'इंद्रधनुष' कार्यक्रम के आयोजन का। 10 दिसंबर से आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के दूसरे दिन उत्तरप्रदेश, बंगाल, ओडिशा आदि राज्यों से आए कलाकारों के साथ बिहार के विभिन्न जिलों से आए कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक उम्दा प्रस्तुति सभागार में प्रस्तुति हो रही थी। कार्यक्रम को यादगार बनाने में कला संस्कृति मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि ने कलाकारों की प्रस्तुति देख उनकी जमकर सराहना की। कलाकारों को संबोधित करते हुए मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि ने इंद्रधनुष कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम आयोजित होने से विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति को समझने का मौका बिहार के कलाकारों को मिलेगा। बिहार के कलाकारों को इंद्रधनुष महोत्सव के जरिए विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति से रूबरू होने के साथ बहुत कुछ सीखने को मौका मिलेगा। वही राज्यों के साथ सांस्कृतिक संबंधों का आदान-प्रदान होने से बिहार कला संस्कृति के क्षेत्र और मजबूत होगा। ऐसे आयोजनों के जरिए एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना साकार होगी।

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लोक गीतों की खुशबू से सराबोर होता रहा परिसर -

इंद्रधनुष कार्यक्रम के दूसरे दिन मुजफ्फरपुर से आए साधना कला केंद्र के कलाकारों ने लोक गीतों की उम्दा प्रस्तुति कर दर्शकों का मन मोह लिया। कलाकारों ने कार्यक्रम में चार-चांद लगाने में बिहारी गीत ' खुशियां यहां पे अपार बा, तो देख सोना सा अपना बिहार बा' गीत के जरिए बिहार की गौरवशाली परंपराओं को पेश कर दर्शकों की तालियां खूब बटोरी। वही कलाकारों ने कजरी गीत ' हमार बंगला हो-हमार बंगला, बरसात में चुएला हमार बंगला' को पेश कर भोजपुरी गीतों की मिठास लोगों को परिचय कराया। वही कलाकारों ने 'हमतो पहरी चुनरिया, चलेली बजरिया को गायिका अंबिका, ममता, रमण आदि ने पेश कर तालियां बटोरी। वही संगत कलाकारों में परकशन पर अनिल रूद्रा, हारमोनियम पर परम राम शर्मा, ढोलक पर समरीन कुमार आदि का सहयोग रहा। जैसे-जैसे कार्यक्रम आगे की ओर बढ़ता जा रहा प्रेमचंद रंगशाला के बाहरी परिसर में बने मंच पर पूर्णिया कला रंगमंच के कलाकारों ने ' जागते रहिए जमाने को दबाते रहिए मेरी आवाज में आवाज मिलाते रहिए' आदि गीतों को पेश कर दर्शकों का खूब मनोरंजन कराया। पूर्णिया के कलाकारों ने किसान गीत पर बटोरीं तालियां

वही सभागार के अंदर पूर्णिया कला रंगमंच के बैनर तले कलाकारों ने लोक नृत्य, संगीत की प्रस्तुति कर दर्शकों की तालियां बटोरीं। कलाकारों ने मंच पर किसान गीत, झूमर व होली गीतों की प्रस्तुति की। गीतों में 'की धानी हे अब हम बनबे किसनवा तू किसानी बन ही न' वही झूमर 'मोर जिया ललचाए झुलनी लादे हो बालम' आदि गीतों को पेश महोत्सव में चार-चांद लगा दिया। प्रवीण कुमार के निर्देशन में मनीषा कुमारी, सुमित कुमार, अभिमन्यु, काव्या, रंजना, दिवाली रानी, शिखा, निशांत आदि कलाकारों ने उम्दा प्रस्तुति कर दर्शकों की तालियां खूब बटोरी। भोजपुरी झुमर को भी लोगों ने सराहा

वही समारोह के दौरान अंश कला केंद्र की ओर से भोजपुरी झुमर 'हमरा आम अमरइया बड़ा निक लागे ला सईयां तोहरी मड़इया बड़ा निक लागे' व 'उमर बदरिया चमके बिजुरिया से रिमझिम बरसे लागल सावनवा से रिमझिम' गीतों को पेश किसानों की खुशी बयां कर समारोह को यादगार बना दिया। विकास कुमार के निर्देशन में राधा, अंशु, पंमी, सुधा, अनन्या आदि कलाकारों ने उम्दा प्रस्तुति की। वही कला संग्रह पटना की ओर से कलाकारों ने 'जगदंबा घर में दियरा बार ऐली रे' जनति जे जारर जेबू आग में दहेज के' गीतों को पेश कर दहेज पर प्रहार कर दर्शकों का दिल जीता। मंच पर निहारिका, पंमी, पूजा, अनीता, माधव आदि कलाकारों ने प्रस्तुति की।

मंच पर जीवंत हुआ भगवान का दशावतार -

इंद्रधनुष कार्यक्रम के दौरान प्रेमचंद रंगशाला परिसर में कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक प्रस्तुति मंच पर हो रही थी। समारोह में चार-चांद लगाने के लिए ओडिशा से आए कलाकारों ने अपने भाव-भंगिमा के साथ भगवान विष्णु के दशावतार मत्स्य, वराह, वामना, नरसिंह, विष्णु आदि स्वरूपों को बयां कर दर्शकों का पूरा मनोरंजन कराया। वही कार्यक्रम में जान डालने के लिए शांति निकेतन पश्चिम बंगाल से आए कलाकारों ने बहुरूपिया नृत्य नाटिका के जरिए भगवान शिव, नारद,रावण, पागल, सुंदरी, कपाली, राजा हरिश्चंद्र आदि की भूमिका को बयां कर दर्शकों का खूब मनोरंजन कराया। एक से बढ़कर एक प्रस्तुति से कलाकारों ने मोहा मन

जैसे-जैसे कार्यक्रम समापन की ओर आगे बढ़ रहा था मंच पर कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक प्रस्तुति हो रही थी। दर्शकों को दिल जीतने के लिए अभिकल्पना संस्था के कलाकारों ने वरिष्ठ नृत्यांगना सुदीपा बोस के निर्देशन में झिझिया, जट-जटिन आदि की प्रस्तुति कर दिल जीता। समारोह के दौरान मंच संचालन सोमा चक्रवर्ती ने किया। मौके पर बिहार संगीत नाटक अकादमी के सचिव विनोद अनुपम, वरिष्ठ कलाकार मनोज कुमार बच्चन, पूर्वी सांस्कृतिक केंद्र के तापस, राजकुमार लाल आदि मौजूद थे।


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