बौद्धिक संपदा अधिकार की जानकारी से भरेगी तिजोरी
बौद्धिक संपदा अधिकार की जानकारी नहीं रहने के कारण कई लोग इसके लाभ से वंचित है।
पटना । बौद्धिक संपदा अधिकार की जानकारी नहीं रहने के कारण कई लोग इसके लाभ से वंचित हैं। इसका उपयोग कर के कई तरह के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। उक्त बातें रविवार को पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय ने चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में 'बौद्धिक संपदा अधिकार में उभरते मुद्दों एवं चुनौतियों' पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में कही।
उन्होंने कहा कि कॉपीराइट का उल्लंघन करने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए इसकी जानकारी अनिवार्य है। उन्होंने रिसर्च में मौलिकता पर बल दिया। अतिथियों का स्वागत कुलपति सेवानिवृत न्यायमूर्ति मृदुला मिश्र ने किया। उन्होंने कहा कि हमारे समय में बौद्धिक संपदा अधिकार बहुत कम लोग जानते थे। आज इसका महत्व बढ़ गया है। नए-नए पेटेंट सामने आ रहे हैं। बिहार सरकार के उद्योग विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी डॉक्टर एस सिद्धार्थ ने कहा कि पेटेंट को प्रोटेक्ट करने के लिए कई नियम कानून हैं। संयोजक प्रो. एससी रॉय ने सेमिनार के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। न्यायमूर्ति डॉ. रवि रंजन ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार आज के उन्नत समय में बढ़ गया है। भविष्य का भी यही लॉ है। उन्होंने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनिया थोड़े बहुत परिवर्तन पर नया-नया पेटेंट करा रही हैं। जिससे समाज का कमजोर वर्ग प्रभावित हो रहा है।
शहरी विकास विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी चैतन्य प्रसाद, ने कहा कि भौतिक रूप से उबर कंपनी के पास एक भी वाहन नहीं है, लेकिन बौद्धिक संपदा अधिकार की मदद से यह सबसे बड़ी पब्लिक परिवहन के रूप में सफल है। सेमिनार के अंतिम सत्र में पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है ताकि सभी को इसका लाभ मिले।
कार्यशाला में रजिस्ट्रार मनोरंजन प्रसाद श्रीवास्तव, राजीव गाधी स्कूल ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट (आइआइटी खडगपुर) की संकायध्यक्ष प्रो. एम पद्मावती, पटना लॉ यूनिवर्सिटी के प्राचार्य मो. शरीफ, प्रत्युष कौशिक, विजय कुमार विमल, वीरेंद्र गुप्ता आदि ने भी विचार रखे।