मिशन 2019: आसान नहीं महागठबंधन की सीट शेयरिंग, अहम रहेगी लालू की भूमिका
बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में सीटों के बंटवारा को ले जितने दल, उतनी मांगें हैं। हालांकि, बड़े नेता आम सहमति बनाने में लगे हैं। इसमें लालू की भूमिका अहम होगी।
पटना [अरविंद शर्मा]। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के विरोध के नाम पर बिहार में दर्जन भर दलों के महागठबंधन की दीवार में मजबूती नजर नहीं आ रही है। घटक दलों की सूची जैसे-जैसे लंबी होती जा रही है, वैसे-वैसे तकरार के हालात भी बनने लगे हैं। ऐसे में सीट शेयरिंग को लेकर पेंच फंस सकता है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव महागठबंधन की एकजुटता की धुरी हैं। सीट शेयरिंग के विवाद को सुलझाने में उनकी भूमिका अहम रहने की उम्मीद है।
मांझी के बयान के साथ उठने लगी मांग
घटक दलों की संख्या दर्जन भर पहुंच रही है। एक-दो दावेदार अभी भी दस्तक दे रहे हैं। बड़ी पार्टियों के बड़े नेता सबकी कुंडली मिलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ग्रह-नक्षत्रों का संयोग साथ नहीं दे रहा है। सीटों की हिस्सेदारी-दावेदारी को लेकर हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतनराम मांझी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को नागनाथ तो महागठबंधन को सांपनाथ कह दबाव बनाने की कोशिश की।
रघुवंश ने छोटे दलों को दी नसीहत
मांझी के कड़वे बोल के बाद राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी छोटे दलों को नसीहत दे डाली। रघुवंश प्रसाद सिंह ने महागठबंधन के छोटे दलों को सौदेबाजी न करने की नसीहत दे डाली।
इन्होंने अभी नहीं खोले पत्ते
समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और वामदलों ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। शरद यादव के लोकतांत्रिक जनता दल का मुंह भी अभी बंद है। कांग्रेस भी दर्शक की भूमिका में है, किंतु उसके रणनीतिकार जब सक्रिय होंगे, तब राजद के लिए असहज स्थिति हो सकती है।
जितने दल, उतनी मांगें
जाहिर है, महागठबंधन में सीट बंटवारे का मामला राजग की तुलना में ज्यादा पेचीदा है। जितने दल हैं, उतनी ही मांगें भी हैं। सीटें महज 40 हैं। कैसे होगा बंटवारा? क्या होगा फार्मूला? सारी बातें खरमास के बाद साफ होंगी। अभी सिर्फ आकलन किया जा रहा है।
सीट बंटवारे में लालू की अहम भूमिका
सीट बंटवारे की कवायद के बीच महागठबंधन के लिए पटना-दिल्ली के बाद रांची का रिम्स (अस्पताल) भी एक अहम मठ बन गया है, जहां चारा घोटाला में सजायाफ्ता जद प्रमुख लालू प्रसाद का इलाज चल रहा है। प्रत्येक शनिवार को लोग लालू की सेहत जानने के बहाने जाते हैं, लेकिन दरबार सीट बंटवारे के मसले पर ही लगता है। बीते दिन भी लालू के बेटे तेजस्वी यादव के साथ उपेंद्र कुशवाहा व मुकेश सहनी मिलने गए थे। लालू प्रसाद से मिलने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा भी कि सियासी बातचीत भी हुई। स्पष्ट है कि यह सियासी बातचीत सीटों को लेकर ही हुई।
बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन के सीट बंटवारे में लालू प्रसाद यादव की भूमिका अहम रहेगी, यह तो तय है। महज तीन लोगों के मिलने की बंदिश अगर नहीं होती तो रिम्स में लालू का पूरा दरबार सजना तय था।
अनन्त व पप्पू को नहीं मिल रही जगह
पिछले लोकसभा चुनाव में राजद के टिकट पर मधेपुरा से सांसद चुने गए राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव तथा मोकामा से निर्दलीय विधायक अनंत सिंह के लिए इस बार किसी गठबंधन में जगह बनती नहीं दिख रही है। राजग ने तीन दलों का गठबंधन कर पहले ही ब्रेक लगा दिया है। महागठबंधन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दोनों को शामिल किए जाने के खिलाफ हैं।
पप्पू की बात करें तो शुरू में कांग्रेस के जरिए बात चलाने का प्रयास जरूर हुआ, लेकिन वह अंजाम तक नहीं पहुंच पाया। पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस की सांसद हैं। उनकी कोशिश भी रंग नहीं ला रही है। हालांकि, पप्पू ने प्रयास जारी रखा है। उधर, अनंत सिंह के समर्थन में लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव हैं। अब इस संबंध में भी अंतिम फैसला लालू को ही लेना है।