वैदिक साहित्य में छिपे हैं वैज्ञानिक रहस्य
आधुनिक युग में भी संस्कृत की शिक्षा आवश्यक है।
पटना। आधुनिक युग में भी संस्कृत की शिक्षा आवश्यक है। यह हमारे वैदिक साहित्य में वर्णित वैज्ञानिक तथ्यों को जानने के लिए भी जरूरी है। वेद-पुराणों में कई ऐसे रहस्य हैं, जिसे वैज्ञानिकों ने भी सही बताया है। दैनिक जागरण के अभियान जागरण संस्कारशाला के तहत आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता के दौरान विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने ये बातें कहीं।
'आधुनिक युग में भी संस्कृत की शिक्षा आवश्यक है' विषय के पक्ष में बोलते हुए छात्र-छात्राओं ने संस्कृत को विज्ञान सम्मत भाषा बताया। विषय के विपक्ष में बोलते हुए छात्रों ने संस्कृत शिक्षा को आधुनिक युग में अनावश्यक बताया। डॉ. डीवाई पाटिल पुष्पलता पाटिल इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित दैनिक जागरण संस्कारशाला में 56 स्कूलों के छात्रों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता के पहले दिन आठ स्कूलों के छात्रों ने प्रतिस्पर्धा में खुद को बेहतर वक्ता साबित करते हुए अगले चरण में अपनी जगह सुनिश्चित की। यह प्रतियोगिता कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के छात्रों के लिए पूर्व निर्धारित 25 विषयों पर आयोजित की गई थी। प्रतियोगिता का फाइनल राउंड सोमवार को होगा।
------------
हर विषय के पक्ष-विपक्ष में तर्क दे रहे थे बच्चे
वाद-विवाद प्रतियोगिता में छात्रों को लॉटरी पद्धति से एक विषय दिए जाता था। संबंधित विषय पर हर स्कूल के एक छात्र को पक्ष, जबकि दूसरे छात्र को विपक्ष में बोलना था। निर्णायक मंडल ने अलग-अलग रूप में वक्तव्य संरचना, तर्क क्षमता, प्रस्तुति, शैली एवं वितर्क, खंडन क्षमता के आधार पर अंक दिया। 'विद्यालयों में यूनिफार्म आवश्यक है', 'कोचिंग कक्षाओं का कोई विकल्प नहीं है', 'आधुनिक युग में भी संस्कृत की शिक्षा आवश्यक है', 'पॉकेट मनी का प्रचलन अपरिहार्य है', 'वृद्धाश्रम वर्तमान युग की आवश्यकता है' आदि विषयों पर पक्ष-विपक्ष में बात रखने के लिए छात्रों को दो-दो मिनट का मौका दिया गया।
------------
हर गतिविधि पर भी जजों की नजर
प्रतिभागियों की हर गतिविधि पर जजों की नजर थी। हर टीम की अलग-अलग मार्किंग की जा रही थी। इसकी रिपोर्ट भी तुरंत अपडेट की जा रही थी। निर्णायक मंडल में पटना विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. बलराम तिवारी, पटना विवि पत्रकारिता विभाग के डॉ. नरेंद्र तिवारी, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रो. डॉ. राम गोपाल पांडेय, पटना साइंस कॉलेज के सेवानिवृत प्रो. डॉ. रमाकांत पांडेय, टीपीएस कॉलेज के एसोसिएट प्रो. डॉ. शशि भूषण चौधरी ने निर्णायक मंडल की भूमिका निभाई।
-------------
दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ आगाज
कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। मौके पर विद्यालय के अध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह, निदेशक डॉ. सीबी सिंह, प्राचार्या राधिका के उपस्थित रहे। अतिथियों के स्वागत में छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि डॉ. अनिल सुलभ ने प्रस्तुत सास्कृतिक कार्यक्रमों की मुक्त कंठ से प्रशसा की। सभी छात्रों को संस्कारों का महत्व बताते हुए उन्हें नैतिक मूल्यों से परिचित करवाया। कहा कि बच्चे समाज की कड़ी हैं। आने वाले कल को उन्हें ही संवारना है। इसलिए उन्हें शुरू से ही अच्छे संस्कार देना जरूरी है, ताकि वे एक सफल नागरिक एवं अच्छे इंसान बन सकें। जागरण संस्कारशाला यह कार्य पूरी सफलता के साथ कर रही है। इस दौरान डॉ. डीवाई पाटिल पुष्पलता पाटिल इंटरनेशनल स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाएं भी थे।
--------------
'विविधता पूर्वाग्रहों को बढ़ाती है' विषय पर चार मिनट बोलेंगे छात्र
दैनिक जागरण संस्कारशाला के तहत आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता के दूसरे दिन फाइनल राउंड में सोमवार को 'विविधता पूर्वाग्रहों को बढ़ाती है' विषय पर छात्रों को चार-चार मिनट बोलना है। इसमें सेंट मैरी एकेडमी, सेंट कैरेंस हाई स्कूल, न्यू एरा हाई स्कूल, सेंट कैरेंस सेकेंड्री स्कूल, पटना दून पब्लिक स्कूल, न्यू एरा पब्लिक स्कूल, बॉल्डविन एकेडमी एवं आचार्यश्री सुदर्शन कृष्णा निकेतन स्कूल के छात्र को फाइनल राउंड के लिए चुना गया है।
---------------
फाइनल राउंड के लिए चयनित स्कूल
प्राप्तांक स्कूल
362 सेंट मैरी एकेडमी
358 सेंट कैरेंस हाई स्कूल
357 न्यू एरा हाई स्कूल
354 सेंट कैरेंस सेकेंड्री स्कूल
348 पटना दून पब्लिक स्कूल
347 न्यू एरा पब्लिक स्कूल
347 बॉल्डविन एकेडमी
344 आचार्यश्री सुदर्शन कृष्णा निकेतन स्कूल