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एक-एक ईट जोड़ी तो स्लम के बच्चों के लिए तैयार हुआ विद्या का मंदिर

राजधानी की मलिन बस्ती (स्लम) के बच्चों के लिए काम करने वाली संस्थाएं ढेरों हैं लेकिन इस संस्था ने अनोखा काम किया है

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 01:03 AM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 06:16 AM (IST)
एक-एक ईट जोड़ी तो स्लम के बच्चों के लिए तैयार हुआ विद्या का मंदिर
एक-एक ईट जोड़ी तो स्लम के बच्चों के लिए तैयार हुआ विद्या का मंदिर

पटना। राजधानी की मलिन बस्ती (स्लम) के बच्चों के लिए काम करने वाली संस्थाएं ढेरों हैं, लेकिन अब उनकी सबसे बुनियादी जरूरत यानी शिक्षा के लिए युवाओं की एक टोली आगे आई है। बीइंग हेल्पर नाम की संस्था के बैनर तले काम करने वाले युवाओं ने आम लोगों की मदद से स्लम के बच्चों के लिए एक स्कूल ही तैयार कर लिया है। खुशी की बात यह है कि इस स्कूल के पास अपना पक्का भवन सहित हर जरूरी संसाधन उपलब्ध हो गया है। बच्चों को शिक्षा दान देने के लिए भी आम लोग आगे आ रहे हैं।

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संस्था के संयोजक सन्नी कुमार बताते हैं कि स्कूल में वो सारी सुविधाएं दी जाएंगी जो एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को मिलती हैं। यहां कराटे से लेकर संगीत और अन्य विषयों की शिक्षा दी जाएगी। स्कूल की खासियत है कि यहां के सारे सामान आम लोगों से दान में हासिल किए गए हैं। किसी ने अपनी पुरानी किताबों को दान में दे दिया है तो किसी ने अपना मकान बिना किसी किराये के उपलब्ध करा दिया है। रमेश चंद्रा ने दान में दिया अपना पूरा मकान :

सन्नी बताते हैं कि खाजपुरा में स्कूल शुरू करने के लिए रमेश चंद्रा ने तीन फ्लोर का अपना मकान उपलब्ध कराया है। स्कूल प्रबंधन को केवल बिजली बिल का खर्च उठाना होगा। वहीं राजधानी के इनरव्हील क्लब द्वारा बच्चों के बैठने के लिए कुर्सी और टेबल उपलब्ध कराया गया है। 85 बच्चों के बैठने लायक इंतजाम :

सन्नी बताते हैं कि स्कूल में एक बार में कुल 85 बच्चे बैठकर आराम से पढ़ाई कर सकते हैं। यहां बच्चों को कराटे के स्टेट चैंपियन सार्थक कुमार आत्मरक्षा की शिक्षा देंगे। डांस की क्लास आर्यन और मोनिका सिंह लेंगी। आम लोग करते हैं किताबों का दान :

इस स्कूल के लिए आम लोगों ने ही किताबें भी दान की हैं। अभी तक करीब दो हजार किताबों को जमा कर लिया गया है। सन्नी बताते हैं कि लोग उन्हें फोन कर किताबें दान करने की इच्छा जताते हैं। इसके बाद संस्था उनसे संपर्क कर ऐसी किताबों का चयन करती है जो बच्चों के पढ़ने योग्य होती हैं। 12 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहेगा स्कूल :

स्लम के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के लिए बना स्कूल दोपहर 12 बजे से शाम के 6 बजे तक खुला रहेगा। इस स्कूल में शिक्षादान के इच्छुक लोग भी संस्था से संपर्क कर सकते हैं। सन्नी बताते हैं कि इस स्कूल को रविवार के दिन भी खोला जाएगा, जिससे ज्यादा से ज्यादा बच्चे लाभान्वित हो सकें। डिजिटल तकनीक का होगा इस्तेमाल :

इस स्कूल में बच्चों के लिए डिजिटल पढ़ाई की भी सुविधा दी जाएगी, जिससे वो स्मार्ट क्लास और बाकी चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें। संस्था के शुभम कुमार और सन्नी कुमार बच्चों को शिक्षा के डिजिटल तरीकों से अवगत कराएंगे।


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