बिहार: शिक्षा विभाग में अजब घोटाले की गजब कहानी, BEO के अद्भुत कारनामे की खुली पोल
बिहार के सुपौल जिले में शिक्षा विभाग में घोटाले का एक अजीब मामला सामने आया है। बीईओ ने एक शिक्षिका की बहाली कर दी और उसके नाम पर सैलेरी भी जारी की गई उस स्कूल में जो है ही नहीं।
पटना, जेेएनएन। बिहार में शिक्षा विभाग में एक अजब घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। एक शिक्षिका को पहले कागज पर नियोजित किया गया। इसके बाद एक ऐसे स्कूल में उसका प्रतिनियोजन दिखाया गया जो है ही नहीं। इतना ही नहीं, कुछ वर्षों तक नियमित रूप से वेतन भुगतान करने के बाद 49 वर्षीय उक्त शिक्षिका को मातृत्व अवकाश भी दिया गया और उसकी छुट्टी और वेतन भुगतान का प्रस्ताव भी विभाग को भेजा गया।
अद्बुत कारनामा किया है बीईओ ने, जानिए
जांच में पता चला कि यह कारनामा किया है कई मामले को लेकर विवादित रहे बीईओ सूर्यदेव प्रसाद ने।
बीईओ सूर्यदेव प्रसाद ने मध्य विद्यालय हटबरिया में पदस्थापित प्रखंड शिक्षिका कुमारी सुभद्रा ठाकुर को 5 जुलाई 2017 से 16 नवम्बर 2017 तक मातृत्व अवकाश में रहने, फिर 17 नवम्बर 2017 से 2 अक्टूबर 2018 तक कार्यरत दिखाते हुए और फिर 3 अक्टूबर 2018 से 31 दिसम्बर 2018 तक चिकित्सकीय अवकाश में दिखाने और फिर जनवरी 2019 के कार्यरत अवधि का वेतन भुगतान करने का प्रस्ताव विभाग को भेजा था।
टीचर है ही नहीं, वेतन भुगतान की रिपोर्ट बन गई
डीईओ अजय कुमार सिंह को जब कुछ आशंका हुई तब उन्होंने मामले की जांच शुरू की। डीईओ ने जब मध्य विद्यालय हटबरिया की जांच की तो उपस्थिति पंजी में कहीं भी कुमारी सुभद्रा ठाकुर का नाम अंकित नहीं था। पूछताछ में वहां के एचएम ने स्पष्ट किया कि श्रीमती ठाकुर 26 सितम्बर 2012 से स्कूल से बिना सूचना के अनुपस्थित हैं।
घोटाले का अजब-गजब खेल
कागजातों के जांच के क्रम में बीईओ के 1 फरवरी 2016 के एक पत्र से पता चला कि श्रीमती ठाकुर का प्रतिनियोजन दूबियाही प्राथमिक विद्यालय में कर दिया गया है जबकि इस नाम का कोई स्कूल पिपरा प्रखंड में है ही नहीं। बाद में पिपरा प्रखंड के दूबियाही में स्थिति प्राथमिक विद्यालय दूबियाही गोठ और प्राथमिक विद्यालय दूबियाही छींट की भी जांच की गयी।
दूबियाही गोठ में जब उपस्थिति पंजी की जांच हुई तो पता चला कि वहां भी सुभद्रा ठाकुर के नाम की कोई शिक्षिका प्रतिनियुक्त नहीं है। एचएम पंकज कुमार शर्मा उपस्थिति दर्ज कर गायब मिले। स्कूल में पदस्थापित शिक्षिका भारती प्रभा लाल ने बताया कि वह 2005 से स्कूल में हैं और इस स्कूल में सुभद्रा ठाकुर कभी कार्यरत थी ही नहीं।
उसी स्कूल के दूसरे शिक्षक इम्तेखाब आलम खां ने भी बताया कि वह 2016 से स्कूल में हैं और कुमारी सुभद्रा ठाकुर नाम की कोई शिक्षिका यहां नहीं है। प्राथमिक विद्यालय दूबियाही छींट के भी शिक्षकों ने बताया कि कुमारी सुभद्रा ठाकुर नाम की कोई शिक्षिका यहां कभी कार्यरत नहीं थी।
डीईओ-बीईओ को शोकॉज नोटिस, मांगा जवाब
जांच में जब पोल खुली तो अब डीईओ ने संबंधित बीईओ को इस पूरे मामले के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए शोकॉज किया है। मामला पिपरा प्रखंड से जुड़ा हुआ है जिसमें और बड़ा खुलासा हुआ है। मध्य विद्यालय हटबरिया में कुमारी सुभद्रा ठाकुर के शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच में पाया गया कि उनकी जन्म तिथि 17 सितम्बर 1968 है।
49 साल की शिक्षिका को दे दिया मातृत्व अवकाश
जन्म तिथि के अनुसार जुलाई 2017 में जब से उन्हें मातृत्व अवकाश दिखाया गया है तब उनकी उम्र 49 साल होती है। ऐसे में मातृत्व अवकाश स्वीकृत किया जाना भी संदेह पैदा करता है। डीईओ के अनुसार जांच में ग्रामीणों ने बताया कि सुभद्रा ठाकुर उसी गांव की है। उनको दो पुत्र और एक पुत्री है। एक पुत्र की उम्र लगभग 30 साल है और वह इंजीनियर के पद पर कहीं कार्यरत है।
इस पूरे घटनाक्रम में जिला शिक्षा पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने बीईओ सूर्यदेव प्रसाद को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि प्रखंड शिक्षिका कुमारी सुभद्रा ठाकुर को 26 सितम्बर 2012 से फर्जी तरीके से प्रतिनियोजित दिखाकर अवैध तरीके से उनका वेतन भुगतान करने के लिए बीईओ पूर्णरूपेण जिम्मेदार हैं।
उधर, डीईओ श्री सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद इसमें जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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