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28 जुलाई से शुरू होगा सावन, 19 साल बाद बन रहा दुलर्भ संयोग, 30 को पहला सोमवार

28 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने जा रहा है। यह भगवान शिव को काफी प्रिय है। इस साल 19 सालों बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि सभी राशियों को फायदा मिलेगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Jul 2018 04:21 PM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 04:21 PM (IST)
28 जुलाई से शुरू होगा सावन, 19 साल बाद बन रहा दुलर्भ संयोग, 30 को पहला सोमवार
28 जुलाई से शुरू होगा सावन, 19 साल बाद बन रहा दुलर्भ संयोग, 30 को पहला सोमवार

पटना [जेएनएन]। 28 जुलाई दिन शनिवार को भगवान का प्रिय माह सावन आरंभ होने वाला है। भगवान शिव को प्रिय माह सावन होने के कारण शिवमदिर में भोले का जलाभिषेक कर श्रद्धालु सावन में भोलेनाथ को प्रसन्न करेंगे। वहीं कुवारी कन्या एव सुहागिन महिलाएं सोमवारी का व्रत कर खुशहाल दापत्य की कामना करेंगी। कर्मकाड विशेषज्ञ पडित राकेश झा शास्त्री ने कहा कि भगवान शिव सावन माह में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने ससुराल गए थे। जहा पर उनका जलाभिषेक किया गया था। पडित झा ने कहा कि 19 साल बाद सावन माह में ग्रहों का दुर्लभ सयोग बन रहा है। इस बार सावन में मलमास पड़ने से सावन पूरे 30 दिनों का हो गया है। सावन मास का आरंभ प्रीति एव आयुष्मान योग के साथ श्रवण नक्षत्र में होने से उत्तम योग बन रहा है। यह योग सर्वार्थ सिद्धि योग के बराबर है। जिसमें भगवान भोले की पूजा-अर्चना करना मगलकारी माना गया है।

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सावन मास में पड़ेगा चार सोमवार

इस वर्ष सावन में चार सोमवार पड़ने से श्रद्धालुओं के लिए खास है। पडित राकेश झा ने कहा सोमवार के दिन सोमवारी व्रत करने के साथ बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक कर मनोवाछित फल प्राप्त कर सकते हैं।

30 जुलाई - सावन का पहला सोमवार

06 अगस्त - सावन का दूसरा सोमवार

13 अगस्त - सावन का तीसरा सोमवार और हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी।

20 अगस्त - सावन का चौथा एव अंतिम सोमवारी व्रत

26 अगस्त - सावन माह का अंतिम दिन तथा पूर्णिमा व रक्षाबधन

राशि के अनुसार करें भगवान शंकर का जलाभिषेक

पडित राकेश झा ने कहा कि वैसे तो पूरे सावन में विभिन्न राशियों वाले लोग भगवान भोले को गगाजल से जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना कर सकते हैं। लेकिन राशि के अनुसार अगर भोले की पूजा हो तो श्रद्धालुओं को मनोवाछित फल की प्राप्ति हो सकती है। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी।

अलग-अलग राशियों पर प्रभाव

मेष : लाल फूल, लाल चदन चढ़ाने के साथ नागेश्वराय नम: का जाप करना फलदाई है।

मिथुन : शिवलिग पर धतूरा, भाग चढ़ाने के साथ पचाक्षरी मत्र का जाप करें।

सिंह : शिवलिग पर कनेर के लाल रंग का फूल व रूद्राष्टक का पाठ करें।

तुला : मिश्री मिला दूध से शिवलिग पर जलाभिषेक एव शिव सहस्त्र नाम का पाठ करें।

धनु : शिवलिग पर पीले फूल एव शिवाष्टक का पाठ करें।

मीन : शिवलिग पर पचामृत, पीले फूल, चदन की माला एव पचाक्षरी मत्र का जाप करें।

वृष : चमेली के फूल शिवलिग पर चढ़ाकर रूद्राष्टक का पाठ करना फलदाई है।

कर्क : शिवलिग पर भाग मिश्रित दूध एव रूद्राष्टक का पाठ करें

कन्या : शिवलिग पर बेलपत्र, धतूरा, भाग एव पचाक्षरी मत्र का जाप करें।

वृश्चिक : शिवलिग पर गुलाब, बेलपत्र एव रूद्राष्टक का पाठ करें।

मकर : शिवलिग पर भाग, फूल, अष्टगध एव पार्वतीनाथाय का जाप करें।

कुंभ : गन्ने के रस से शिव का अभिषेक एव शिवाष्टक का पाठ करें।


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