सरस मेले में लकड़ी का टाइटेनिक जहाज और वाद्ययंत्र संग किसान चाची के आचार की खुशबू Patna News
राजधानी के ज्ञान भवन में सरस मेले की शुरुआत हो चुकी है। मेले में इस बार कई आकर्षक चीजें व्यापारियों द्वारा लाई गई हैं।
पटना, जेएनएन। राज्यों के लोक कलाओं के साथ बिहार की कला संस्कृति एक साथ ज्ञान भवन के आंगन में अपनी खुशबू फैला रही थी। गांव-जबार की मिठास और लोक कलाओं के साथ घरेलू सामग्री और शिल्प कलाकृतियां भवन की शोभा-बढ़ा रही थी। बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति 'जीविका' की ओर से बिहार ग्राम सरस मेले का औपचारिक उद्घाटन सोमवार को गांधी मैदान स्थित ज्ञान भवन में किया गया। 11 सितंबर तक चलने वाले मेले में देश भर के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं एवं शिल्पकारों द्वारा निर्मित कलाकृतियों की बिक्री एवं सह प्रदर्शनी का पहले दिन लोगों ने दीदार करने के साथ खरीदारी की।
मणिपुर की शॉल बनी आकर्षण का केंद्र
ज्ञान भवन में लगे सरस मेले का आकर्षण समस्तीपुर से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाई गई बांस की कलाकृतियों के साथ मणिपुर की हापी शॉल आकर्षण का केंद्र रही। समस्तीपुर से आईं ममता देवी व वेणु शिल्प में राज्य पुरस्कार प्राप्त कलाकार संजय कुमार ने कहा कि मेले में बांस से बनी एक से बढ़कर एक कलाकृतियां हैं। जिसमें मां दुर्गा, ताजमहल, भगवान बुद्ध और गणेश, टाइटेनिक जहाज मुख्य आकर्षण का केंद्र है। शिल्पकार संजय ने कहा कि इन कलाकृतियों का निर्माण आसाम के बांस से किया गया है। जो खराब नहीं होता। वहीं मणिपुर से पहली बार आई साइतो एवं रीना बताती हैं कि मणिपुर का शॉल और डलिया लोगों को पसंद आ रही है।
वाद्ययंत्र के साथ किसान चाची का आचार लोगों को आ रहा पसंद
मेले में घूमने आए लोगों ने विभिन्न स्टॉलों पर सजे कलाकृति और सामग्रियों की खरीदारी करने के साथ किसानी चाची के शहजन, आम, कटहल आदि के आचार के साथ लोगों ने दुल्हन बाजार पटना के चना-जोर गर्म का लोगों ने खूब आनंद उठाया। वही कोचस रोहतास के वाद्य-यंत्रों में ढोलक, डमरू, गिटार और हारमोनियम वाद्य-यंत्र को भी लोगों ने दीदार किया। किसान चाची राजकुमारी देवी के पति अवधेश चौधरी ने कहा कि मेले में इस बार कई प्रकार के आचार के साथ शहद और अन्य सामग्री है। जिसे लोग पसंद करेंगे।
मलबरी कोकून से तैयार कपड़ों को देखने की उत्सुकता
मेले मलबरी कोकून सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं ने मलबरी सिल्क साडिय़ों को लाकर लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहीं हैं। पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, अररिया, मधेपुरा, सुपौल में महिलाएं मलबरी का पौधा तैयार कर उसके फल से धागा तैयार कर कपड़ों का निर्माण करने में लगी है। सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी रीना बताती हैं कि यह सरकार की ओर से सार्थक पहल है। उत्तर बिहार के जिलों में हर साल बाढ़ आती है। ऐसे में पारंपरिक खेती करना मुश्किल है। ऐसे में लेकिन मकबरी का पौधा लगाना आसान है। कम लागत में इससे मुनाफा ठीक होता है।
वहीं जीविका परियोजना प्रबंधक नीरज कुमार सिंह ने कहा कि इसकी खेती सात हजार किसान कर रहे हैं। इसकी खेती करने में पुरुषों की कोई खास जरूरत नहीं होती है इसे महिलाएं आसानी से कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रही हैं। मलबरी कोकून से तैयार कपड़ों की मांग देश में खूब है।
इसकी खेती मिट्टी के लिए लाभदायक है। मुख्यमंत्री कोशी मलबरी योजना का लाभ इन महिलाओं का मिल रहा है। मेले के बारे में कम्युनिकेशन मैनेजर रौशन कुमार ने कहा कि देश के 10 राज्यों के साथ बिहार के अन्य जिलों से उद्यमी आएं हैं। जो अपने साथ लोक कलाओं को भी साथ लाए हैं।
मंत्री आज करेंगे मेले का उद्घाटन
ज्ञान भवन में चलने वाले मेले का विधिवत उद्घाटन ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी बालामुरुगन डी एवं जीविका के पदाधिकारी शाम छह बजे करेंगे।