सारण में मतांतरण के कुचक्र ने फिर पकड़ा जोर, हिंदू संगठनों के विरोध के बाद चर्च का निर्माण रुका
सारण में सुनहरे सब्जबाग दिखा मतांतरण का खेल पुराना ईसाई मिशनरी के खिलाफ भड़के गुस्से के बीच सारणवासियों को पूर्व के धर्मान्तरण की आयी याद गडख़ा में करीब डेढ़ हजार हिन्दू बन गए थे बौद्ध तो दैैनिक जागरण ने देश स्तर पर उठाया था मुद्दा
जागरण संवाददाता, छपरा : छपरा सदर प्रखंड के जटुआ गांव में लोगों के भारी विरोध के बाद एक ईसाई दंपती ने प्रार्थना सभा के लिए बनाए जा रहे भवन का निर्माण कार्य रोक दिया। लोगों का आरोप है कि प्रार्थना सभा के लिए भवन के पीछे मतांतरण का उद्देश्य था। आंध्र प्रदेश के कुचीपुड़ी निवासी मधुकर कुचीपुड़ी की पत्नी सियोन कुमारी के नाम इसी साल चार अप्रैल को जमीन की रजिस्ट्री कराई गई थी। उन्होंने यहां पर अपने आवास के साथ एक छोटा सा अस्पताल और ईसाई प्रार्थना सभा भवन बनाने की योजना बनाई थी। तीन-चार दिन पहले ईंट-गिट्टी आदि लाई गई, पर ग्रामीणों ने विरोध कर दिया। उनका कहना था कि आसपास के क्षेत्र में कहीं भी ईसाई नहीं हैं तो प्रार्थना सभा के नाम पर भवन निर्माण क्यों किया जा रहा है।
रविवार को इस विषय को लेकर ग्रामीणों ने महापंचायत की। लोगों का कहना था कि इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति के लोगों की बड़ी आबादी है। उन्हें प्रलोभन देकर मतांतरण के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा है। नैनी, फकुली, उमधा आदि ग्राम पंचायतों के साथ ही जिला मुख्यालय से भी लोग बड़ी संख्या में महापंचायत में पहुंचे थे।
महापंचायत का नेतृत्व भाजपा नेता शैलेन्द्र सेंगर कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ईसाई दंपती ने यहां निर्माण नहीं करने की सूचना भेजी है। पंचायत में गंगोत्री प्रसाद, लक्ष्मी नारायण गुप्ता, सुधाकर कुमार, चंदन सिंह आदि लोग मौजूद थे। सदर अंचलाधिकारी सत्येंद्र सिंह ने बताया कि स्थिति फिलहाल शांतिपूर्ण है और ईसाई दंपती यहां से निर्माण सामग्री हटा रहे हैं।
नैनी गांव के किसान से खरीदी गई जमीन
मुफस्सिल अंचल के जुटुआ गांव में जमीन की रजिस्ट्री दो भागों में कराई गई थी, जिसमें एक टुकड़ा आठ कट्ठा सात धुर और दूसरा आठ कट्ठा बारह धूर का है। जमीन नैनी गांव के कन्हैया प्रसाद सिंह ने बेची है।
ईसाई दंपती दस साल से छपरा में
सियोन कुमारी व मधुकर कुचीपुड़ी ने स्वीकार किया है कि वे लोग क्रिश्चियन पास्टर हैं। अच्छी-खासी नौकरी छोड़ कर जनसेवा का व्रत लिया है और लोक सेवा के लिए ही बिहार आए हैं। वे छपरा में 10 साल से रह रहे हैं। धर्म का प्रचार करने का अधिकार उन्हें संविधान ने दे रखा है और वे कोई गलत कार्य नहीं कर रहे। उन्होंने मतांतरण के आरोप को मनगढ़ंत बताया। वहीं, भरत मांझी के साथ गांव के अन्य लोगों ने भी कहा कि यह दंपती पिछले कई महीने से लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। इनके प्रलोभन में आकर तीन परिवारों ने ईसाई धर्म अपना भी लिया है। बता दें कि मतांतरण का खेल गया में भी व्यापक पैमाने पर चल रहा है, जहां इसी तरह प्रार्थना सभा भवन बनाकर शुरुआत की जाती है। वहां भी लोगों ने विरोध किया था।