महामारी के लिए नहीं रुकती माहवारी
लॉकडाउन के कारण कई जगह सेनेटरी पैड की अनुपलब्धता
पटना। लॉकडाउन के कारण कई जगह सेनेटरी पैड की अनुपलब्धता ने महिलाओं एवं लड़कियों को डिस्पोजेबल पैड की जगह कपड़े का पैड इस्तेमाल करने पर बाध्य किया है। वाटर एड इंडिया एंड डेवलपमेंट सॉल्यूशन द्वारा समíथत मेंसट्रूअल हेल्थ अलायंस इंडिया (एमएचएआई) द्वारा माहवारी स्वच्छता जागरूकता एवं उत्पाद से जुड़े संस्थानों को शामिल करते हुए इस वर्ष के अप्रैल माह में सर्वेक्षण किया गया। एमएचआई भारत में मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों, शोधकर्ताओं, निर्माताओं और चिकित्सकों का एक नेटवर्क है। शोध में सामने आया कि कई जिलों में कई गैरसरकारी संगठनों की ओर से स्कूलों में सेनेटरी पैड का वितरण किया जाता है। लॉकडाउन में स्कूलों के बंद होने से कई लड़कियों एवं उनके परिवार के अन्य सदस्यों को सेनेटरी पैड उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। लॉकडाउन के कारण सेनेटरी पैड का निर्माण भी बाधित हुआ है। इससे ग्रामीण स्तर के रिटेल प्वाइंट्स पर पैड की उपलब्धता भी बेहद प्रभावित हुई है। गांव के जो लोग प्रखंड या जिला स्तर से सेनेटरी पैड की खरीदारी कर सकते थे, वह भी लॉकडाउन के कारण यातायात साधन उपलब्ध नहीं होने से प्रखंड या जिला स्तर पर आसानी से पहुंच नहीं पा रहे हैं।
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कोरोना काल में कपड़े का सेनेटरी पैड बेहतर विकल्प
रेगुलर सेनेटरी पैड के विकल्प के रूप में साफ सूती कपड़े से बने पैड को भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे पैड को 4-6 घटे तक इस्तेमाल किया जाए। पैड बदलने से पहले एवं बाद में हाथ की पूरी सफाई की जाए।
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बाजार में होलसेल में भी पैड की परेशानी
सेनेटरी पैड की आसान उपलब्धता में होलसेलर्स को भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। निरंतर दो महीने तक देशव्यापी लॉकडाउन के कारण सेनेटरी पैड की होलसेल वितरण काफी प्रभावित हुई है। हालांकि, धीरे-धीरे इसे फिर से नियमित करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन अधिक यातायात खर्च की चुनौती रहने वाली है।