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मिशन 2019: कभी 'आइटी-फाइटी' कहते थे लालू, अब डिजिटल हो रहा राजद

जदयू के प्रशांत किशोर से मुकाबले को राजद तैयार है। आगामी चुनाव को लेकर पार्टी आइटी प्रोफेशनल्‍स की टीम का विस्‍तर कर रही है। जानिए मामला।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 09:40 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 09:40 PM (IST)
मिशन 2019: कभी 'आइटी-फाइटी' कहते थे लालू, अब डिजिटल हो रहा राजद
मिशन 2019: कभी 'आइटी-फाइटी' कहते थे लालू, अब डिजिटल हो रहा राजद

पटना [अरुण अशेष]। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कभी कहा था- ये आइटी-फाइटी क्या है? खूब मजाक उड़ा था। मगर, उनके पुत्र तेजस्वी यादव का आइटी (सूचना तकनीक) प्रेम ठीक उनके उलट है। वे इस मोर्चे पर जदयू या भाजपा से दो कदम आगे ही रहना चाहते हैं।

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आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनावाें को लेकर राजद का जमीनी सर्वे 18 जिलों में पूरा हो चुका है। लक्ष्य यही है कि जदयू उपाध्‍यक्ष व चर्चित राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम से अधिक सटीक विश्लेषण हो। इसके आधार पर बनी रणनीति के नतीजे भी बेहतर हों।

सामाजिक बदलाव में आस्था के आधार पर बनाई टीम

यह सब उस हालत में हो रहा है, जब उनकी टीम में आइआइएम और आइआइटी जैसे नामचीन संस्थानों से पढ़ कर आए लोग नहीं हैं। हां, टीम के सदस्यों का चयन सामाजिक बदलाव में उनकी आस्था के आधार पर किया गया है।

एक पटना तो दूसरी टीम दिल्‍ली में

राजद की आइटी टीम का नेतृत्व संजय यादव करते हैं। दो दर्जन से अधिक लोगों की टीम दो हिस्से में बंटी है। पटना वाली टीम तेजस्वी यादव के कार्यालय में ही बैठती है। दिल्ली में अलग कार्यालय है। संजय दोनों टीम की देखरेख करते हैं।

तेजस्‍वी के सोशल अकाउंट संभालते सदस्‍य

तेजस्वी का फेसबुक और ट्विटर एकाउंट इसी टीम के सदस्‍य देखते हैं। देश की राजनीतिक और आर्थिक घटनाओं का ब्योरा अपनी टिप्पणी के साथ यह तेजस्वी को उपलब्ध कराती है। गौर करेंगे, ट्विटर पर तेजस्वी की प्रतिक्रिया किसी घटना के तुरंत बाद आ जाती है।

संपर्क में प्रशांत किशोर के पुराने सहयोगी

नई बात यह है कि प्रशांत किशोर की टीम के साथ काम कर चुके कुछ प्रोफेशनल इस समय संजय यादव के संपर्क में हैं। इनमें कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें प्रशांत ने आंध्र प्रदेश में चुनाव के लिए हैदराबाद में तैनात किया था। यह तैनाती उन्हें रास नहीं आई। दूसरी श्रेणी के लोग वे हैं, जिन्हें प्रशांत के जदयू से जुड़ जाने के बाद उनकी टीम में अपना भविष्य नजर नहीं आ रहा है। इसलिए कि जदयू की विरोधी पार्टियां अब प्रशांत की मदद नहीं ले सकती हैं।

जाहिर है, ऐसे लोगों के सामने काम के विकल्प कम हो गए हैं। संजय यादव इत्मीनान होने के बाद ही इन्हें अपनी टीम में शामिल करेंगे कि कहीं ये राजद की रणनीति की जानकारी पीके को न दे दें।

चुनावी संभावनाओं पर नजर

बहरहाल, पटना और दिल्ली के अलावा 18 टीमें बिहार के जिलों में राजद और महागठबंधन की चुनावी संभावनाओं की पड़ताल कर रही है। टीम के लोग वोटरों का रुझान जानने के अलावा राजद से जुड़े नकारात्मक छवि के लोगों की भी शिनाख्त कर रहे हैं। लोकसभा के साथ विधानसभा के संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार हो रही है। टीम विरोधी दलों के उन नेताओं पर भी नजर रख रही है, जिनमें संभावना है, लेकिन अपने दल से उपेक्षित होने कारण घर बैठे हुए हैं।

अभी तेजस्वी यादव की यात्रा चल रही है। हर दिन दूसरे दल के कुछ लोग राजद में शामिल हो रहे हैं। विधान परिषद के पूर्व उप सभापति सलीम परवेज को राजद में शामिल करने की पृष्ठभूमि इसी टीम की पहल पर तैयार हुई।


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