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शाह-नीतीश की मुलाकात पर राजद का सवाल- मिलेंगे तो क्या कहेंगे नीतीश

राजद नेताओं ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और सीएम नीतीश कुमार के कल की मुलाकात पर तंज कसा है। दोनों ने पूछा है कि इस मुलाकात पर दोनों क्या स्पष्टीकरण देंगे?

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 11 Jul 2018 05:55 PM (IST)Updated: Thu, 12 Jul 2018 11:31 AM (IST)
शाह-नीतीश की मुलाकात पर राजद का सवाल- मिलेंगे तो क्या कहेंगे नीतीश
शाह-नीतीश की मुलाकात पर राजद का सवाल- मिलेंगे तो क्या कहेंगे नीतीश

पटना [जेएनएन]। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कल होनेवाली मुलाकात को लेकर  नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर पूछा है कि मुलाकात होगी तो नीतीश कुमार अमित शाह से क्या कहेंगे? शायद कहेंगे कि तब मैं मज़बूत था अब मजबूर हूं।

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कल नीतीश कुमार बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को विस्तृत बिंदुवार स्पष्टीकरण देंगे कि उन्होंने जून 2010 में नरेंद्र मोदी का भोज अंतिम क्षणों में क्यों रद्द किया था और अब मजबूरन किन परिस्थितियों में आपको भोज दिया जा रहा है?

शिवानंद ने कहा-पुरानी बातों को याद कर दोनों को झेंप तो होगी

वहीं राजद नेता शिवानंद तिवारी ने भी दोनों की मुलाकात पर तंज कसा है और कहा है कि चलो अब अनिश्चितता का माहौल समाप्त हुआ। दोनों के बीच अब एक नहीं बल्कि दो मुलाक़ातें होगी। उन्होंने कहा कि हालांकि पहली मुलाक़ात समूह में होगी तो दूसरी भाजपा के नेताओं के साथ। इन दोनों की असली मुलाक़ात तो रात में होगी, भोजन पर।

भाजपा गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश जी की अमित शाह से यह पहली मुलाक़ात होगी। विधान सभा के पिछले चुनाव में नीतीश जी महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा थे। अमित शाह उस चुनावी अभियान में बिहार के लोगों को चेता रहे थे कि नीतीश अगर मुख्यमंत्री बनेंगे तो पाकिस्तान में दिवाली मनेगी।इसलिए पहली मुलाक़ात में पुरानी बातों को यादकर थोड़ी झेंप तो होगी ही। 

लेकिन दोनों की बातचीत का असली पेंच तो बड़े भाई के दर्जा का है। बिहार में चेहरा किसका बड़ा होगा? नीतीश कुमार का या नरेंद्र मोदी का? बड़ा भाई कौन है, या किसका चेहरा बड़ा है, इसकी कसौटी क्या होगी ? स्वाभाविक है कि आगामी चुनाव में जो ज़्यादा सीट पर चुनाव लड़ेगा बिहार की जनता उसे ही बड़े भाई का दर्जा देगी।

उन्होंने पूछा कि क्या भाजपा के लिए यह संभव है? सहज बुद्धि तो कहती है कि यह नामुमकिन है। तब नीतीश कुमार क्या रूख अपनायेंगे यह देखना दिलचस्प होगा।


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