अमर्यादित बोल से तेजस्वी यादव ने कटघरे में खड़ी की अपनी छवि, अपने भी हैरान- परायों ने निशाने पर लिया
नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ जो भी बोला उससे सबसे ज्यादा नुकसान उन्हीं को हुआ है। अपने-पराये सभी तेजस्वी के इस तेवर को देखकर हैरान हैं। विरोधी आलोचना कर रहे हैैं और समर्थक निराश हैैं।
पटना, जेएनएन। 17वीं विधानसभा के पहले सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ जो भी बोला, उससे सबसे ज्यादा नुकसान उन्हीं को हुआ है। राजग के 126 के खिलाफ 110 विधायकों वाले महागठबंधन के इस नेता ने सदन में तीखे हमले कर स्वयं की बनाई छवि को खुद ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। अपने-पराये सभी तेजस्वी के इस तेवर को देखकर हैरान हैं। विरोधी आलोचना कर रहे हैैं और समर्थक निराश हैैं।
हार और हताशा से उबारने का प्रयास
विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से लेकर परिणाम आने तक आम मतदाताओं के जहन में तेजस्वी की तीन तरह की तस्वीरें उभरीं हैं। एक वैसा युवा नेता जो एक-एक दिन में दौड़-दौड़कर 19-19 सभाएं कर रहा था। न खाने की सुध थी, न सोने का समय। दिन-रात चुनाव की चिंता। महागठबंधन के प्रत्याशियों को हार और हताशा से उबारने का प्रयास। 31 साल के इस युवा नेता ने अपनी सबसे अच्छी तस्वीर उस वक्त बना ली, जब चुनावी सभाओं में नीतीश कुमार के तीखे हमले का भी कड़ा जवाब नहीं दिया। नपे-तुले शब्दों में इसे अपने चाचाजी का आशीर्वाद बताकर टाल दिया।
मुख्यमंत्री पर निजी हमले से बदली सोच
आम मतदाताओं में इसका सकारात्मक संदेश गया और डेढ़ दशक पहले के जंगलराज के आरोपों के बावजूद माना जाने लगा कि बिहार को एक अच्छा नेता मिल गया। किंतु सारी धारणाओं को तेजस्वी ने विधानसभा में उस समय धो दिया, जब अपने पिता की उम्र के बराबर मुख्यमंत्री पर निजी हमले किए। सदन में अपशब्दों का इस्तेमाल कर उन्होंने न केवल संसदीय सभ्याचार का तमाशा बना दिया, बल्कि अपनी उस छवि को भी धक्का दिया, जिसके बूते उन्होंने लालू प्रसाद की गैर-मौजूदगी में भी राजद समेत महागठबंधन के अन्य घटक दलों को सहारा दिया और मुश्किल हालात में भी 110 विधायक जिता कर ले आए थे। राजद के लिए यह बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि डेढ़ साल पहले लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ते हुए जो पार्टी जीरो पर आउट हो गई थी, उसने विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित सफलता प्राप्त कर सबको हैरान कर दिया। अथक मेहनत, शालीनता और वोटों के समीकरण के सहारे तेजस्वी को भविष्य का मुख्यमंत्री माना जाने लगा। नतीजे आने के पहले तक तेजस्वी एक बड़ी आबादी के चहेते बन चुके थे। परिणाम आने के बाद वह सत्ता से भले थोड़ी दूर दिखने लगे, लेकिन लोगों का लगाव कम नहीं हुआ, बल्कि सहानुभूति में इजाफा ही हुआ।
पर्दे से बाहर आया असली चेहरा
तेजस्वी के बदले रूप के बारे में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह अब अगर कहते हैैं कि उनका असली चेहरा पर्दे से बाहर आ गया है तो राजद के लाखों समर्थकों का नाउम्मीद होना लाजिमी है। राजद के एक वरिष्ठ नेता स्वीकार करते हैैं कि तेजस्वी ने अपशब्दों से नीतीश का नहीं, अपना ही नुकसान किया है।