बिहार में एेसी चली PM मोदी की लहर कि लालू हो गए फेल, टूट गया यादव तिलिस्म
लोकसभा चुनाव में बिहार में पीएम मोदी की एेसी लहर रही कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के सारे ट्रिक्स फेल हो गए। इस बार यादवों का तिलिस्म भी राजद की तरफ से टूट गया। जानिए
पटना [अरविंद शर्मा]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर में लालू प्रसाद के आधार वोटर भी महागठबंधन और अपने चहेते प्रत्याशियों को कामयाबी नहीं दिला पाए। राजद में यादव जाति के कुल 41 विधायक हैं। घटक दलों को लालू के इस वोट बैंक पर पूरा भरोसा था, किंतु परिणाम आया तो तेजस्वी यादव समेत राजद के कुल चार विधायक ही लालू के भरोसे पर खरे उतर सके।37 विधायक वोट ट्रांसफर कराने में बुरी तरह असफल रहे।
राजद के लिए सुकून पहुंचाने वाली बात कि मनेर के राजद विधायक भाई वीरेंद्र पर पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में भितरघात के आरोप लगाए जा रहे थे, किंतु नतीजे में ऐसे आरोपों की हवा निकल गई।
भाई वीरेंद्र के विधानसभा क्षेत्र में पाटलिपुत्र की राजद प्रत्याशी मीसा भारती को सबसे ज्यादा आठ हजार मतों से बढ़त मिली। महागठबंधन प्रत्याशियों को लीड दिलाने के मामले में यादव विधायक बच्चा यादव का स्थान दूसरा है।
उन्होंने पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में तीन हजार मतों से मीसा भारती को आगे रखा। तीसरे नंबर पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव हैं, जिन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र राघोपुर में 242 वोटों की मामूली बढ़त दिलाकर अपनी प्रतिष्ठा बचाई, जबकि लोकसभा चुनाव में खुद को दूसरा लालू प्रसाद बताने वाले तेजप्रताप यादव के क्षेत्र महुआ में हाजीपुर के राजद प्रत्याशी शिवचंद्र राम को बुरी तरह शिकस्त मिली। उन्हें 33 हजार से अधिक मतों से पीछे रह जाना पड़ा।
जहानाबाद में राजद विधायक सुदय यादव ने भी सुरेंद्र यादव को दो हजार मतों से बढ़त दिलाई। आरा में राजद से गठबंधन भी माले को रास नहीं आया। बड़हरा के राजद विधायक सरोज यादव ने राजू यादव के लिए कुछ नहीं किया। आरके सिंह को 95 हजार वोट मिल गए, जबकि राजू को मात्र 51 हजार मतों से संतोष करना पड़ा।
जमुई में चिराग पासवान के विजय ध्वज को न राजद के विजय प्रकाश यादव रोक पाए, न चकाई में सावित्री देवी। दोनों क्षेत्रों में रालोसपा के भूदेव चौधरी करीब 40 हजार मतों से पीछे रह गए। पाटलिपुत्र क्षेत्र के फतुहा में भी राजद विधायक रामानंद यादव का पराक्रम नहीं दिखा। लालू के पारिवारिक मित्र और कांग्र्रेस प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा को 12 हजार से पीछे रह जाना पड़ा।
घटक दलों को राजद के वोटरों ने समर्थन नहीं किया, इसका सबसे बड़ा उदाहरण नवादा में देखा जा सकता है, जहां लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा का उपचुनाव भी हो रहा था। राजद के क्षत्रप राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी राजद की प्रत्याशी थीं। उन्हें चार सौ वोटों से पीछे रह जाना पड़ा, जबकि विधानसभा उपचुनाव में साथी दल हम का प्रत्याशी तीसरे नंबर पर खिसक गया। जाहिर है, घटक दलों के प्रत्याशी को यादव वोटरों ने नकार दिया।
घर में भी पिछड़ गए राजद प्रत्याशी
राजद ने इस बार तीन यादव विधायकों को लोकसभा का टिकट दिया था। झंझारपुर के गुलाब यादव, सारण में लालू के समधी चंद्रिका राय और जहानाबाद में सुरेंद्र यादव चुनाव लड़ रहे थे। गुलाब और चंद्रिका का विधानसभा क्षेत्र भी उसी संसदीय क्षेत्र में आता है। दोनों अपने घर में भी सुरक्षित नहीं रह सके। बड़े अंतर से पिछड़ गए।
गुलाब यादव अपने क्षेत्र झंझारपुर में 60 हजार 906 वोट से पीछे रह गए और चंद्रिका राय अपने क्षेत्र परसा में सात हजार 834 वोटों से मात खा गए। सुरेंद्र यादव का बेलागंज क्षेत्र गया संसदीय क्षेत्र में आता है, जहां पूर्व सीएम जीतनराम मांझी अपने दल से प्रत्याशी थे। उन्हें 426 वोटों से पिछड़ जाना पड़ा।
बिहार में चार में एक विधायक यादव
बिहार में 2015 में कुल 61 यादव विधायक जीत कर आए थे। मतलब 243 सदस्यीय विधानसभा में प्रत्येक चार विधायक में से एक यादव। इनमें से 42 तो केवल राजद से थे। किंतु राजबल्लभ यादव की सदस्यता खत्म होने के बाद अभी राजद में यादव विधायकों की संख्या 41 है। अन्य दलों से भी यादव विधायक चुनकर आए हैं। जदयू से 11, कांग्रेस से दो और भाजपा से छह यादव विधायक हैं।
विस क्षेत्र : महागठबंधन की हार
गायघाट : 75,610
नरपतगंज : 68,834
औराई : 66,413
झंझारपुर : 60,906
बहादुरपुर : 57642
जमुई : 51,560
सहरसा : 51,389
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